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विश्व पर्यटन दिवस: मुराद पूरी होने पर अकबर ने बसाई थी फतेहपुर सीकरी

उत्तर प्रदेश के आगरा में हर साल फतेहपुर सीकरी देखने वाले टूरिस्टों की संख्या बढ़ रही है. सन् 2018 में विजिटर से 11.21 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हुआ. एएसआई फतेहपुर सीकरी में महलों, मकबरा और बुलंद दरवाजे का संरक्षण कार्य भी करा रहा है.

अकबर ने आगरा के बाद दूसरी राजधानी यानी फतेहपुर सीकरी को बनाया.
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Published : Sep 27, 2019, 10:12 AM IST

Updated : Sep 28, 2019, 2:04 PM IST

आगरा: 16वीं सदी यानी मुगल बादशाहों का दौर. अकबर ने आगरा के बाद दूसरी राजधानी फतेहपुर सीकरी को बनाया. यह वही फतेहपुर सीकरी है, जहां विश्व प्रसिद्ध बुलंद दरवाजा और शेख सलीम चिश्ती की दरगाह है. बेटे की ख्वाहिश में अकबर नंगे पैर आगरा से शेख सलीम चिश्ती से मिलने फतेहपुर सीकरी आया था. अकबर के आंगन में बेटे जहांगीर का जन्म हुआ. अकबर ने खुशी में फतेहपुर सीकरी को बसाया और अपनी राजधानी भी बनाई. अकबर ने यहीं से गुजरात को फतह किया.

अकबर ने आगरा के बाद दूसरी राजधानी यानी फतेहपुर सीकरी को बनाया.

अकबर ने जब चांद बीबी सुल्ताना से दक्षिण जीता तो उसकी याद में बुलंद दरवाजा बनाया. आगरा से फतेहपुर सीकरी 35 किलोमीटर दूर है और राजस्थान के बार्डर पर है. आज विश्व पर्यटन दिवस पर ईटीवी भारत बताएगा फतेहपुर सीकरी के आलीशान महल, बुलंद दरवाजा, शेख सलीम चिश्ती की दरगाह, तानसेन, अनूप तालाब, अकबर बीरबल के किस्से और तमाम इतिहास से जुड़ी बातें. फतेहपुर सीकरी में हर साल पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है.

लाल पत्थर से कराया निर्माण
मुगल बादशाह अकबर ने जिस तरह से आगरा किला में लाल पत्थर से अकबरी महल और अन्य महल बनवाए थे. वैसे ही जब फतेहपुर सीकरी में अकबर ने निर्माण कराया तो वहां पर सभी महल, बुलंद दरवाजा और शेख सलीम चिश्ती की दरगाह में लाल पत्थर का उपयोग किया था. फतेहपुर सीकरी में बनाए गए महल और अन्य निर्माण हिंदू और मुस्लिम की कला के बेजोड़ नमूने हैं. एक किवदंती के मुताबिक़, फतेहपुर सीकरी में लाल पत्थर से निर्माण कराने की वजह फतेहपुर सीकरी में मन्नत मांगने पर अकबर को मिली संतान (संतान) कहा जाता है.

यह हैं आलीशान पैलेस

  • दीवान-ए-आम
  • दीवान-ए-खास
  • पंच महल
  • जोधाबाई महल
  • मरियम की कोठी
  • कारवां सराय
  • ख्वाबगाह
  • बीरबल भवन
  • अनूप तालाब
  • ट्रेजरी हाउस
  • बुलंद दरवाजा
  • शेख सलीम चिश्ती की दरगाह
  • पच्चीसी प्रांगण
  • जामा मस्जिद
  • नौबतखाना


यह है फतेहपुर सीकरी की अहम तिथि

  • सन् 1569 में फतेहपुर सीकरी को बसाया था.
  • सन 1571 में मुगलों की आगरा से फतेहपुर सीकरी बनी राजधानी.
  • 14 साल फतेहपुर सीकरी रही मुगलों की राजधानी.

इसे भी पढ़ें-विश्व पर्यटन दिवस: ताज पर नाज, मोहब्बत की निशानी के दीदार को हर कोई बेताब

सैलानियों का फतेहपुर सीकरी भ्रमण
सन् भारतीय पर्यटक विदेशी पर्यटक सार्क विदेशी पर्यटक

2016 506279 148370 -
2017 503255 181755 -
2018 518971 150047 4788
2019 302632 102130 8590

पर्यटन से रेवेन्यू (रुपये, करोड़ में)
सन् भारतीय रेवेन्यू विदेशी रेवेन्यू

2016 1.17 करोड़ 5.78 करोड़
2017 1.50 करोड़ 9.08 करोड़
2018 1.80 करोड़ 9.39 करोड़
2019 1.20 करोड़ 5.87 करोड़


दिस पेलेस वेरी फैंटेस्टिक
इटली से आए टूरिस्ट स्टेफिनो ने बताया कि मैं एक आर्किटेक्ट मैंने देखा है कि यहां बहुत ही अच्छा मैटेरियल उपयोग किया गया है. मैं इसे पसंद करता हूं. इसकी हिस्ट्री इंटरेस्टिंग है. दिस पेलेस वेरी फैंटेस्टिक है.

हम यहां बार-बार आना चाहते हैं
फ्रांस के टूरिस्ट रिचर्ड ने बताया कि हम यहां फिर से कई बार आना चाहते हैं. यह बहुत अद्भुत प्लेस है. यह बहुत अच्छा समय है. यहां की यादों को सजाने के लिए हमने बहुत फोटो सेशन कराया और अन्य चीजें खरीदी हैं. जिन्हें हम याद कर सकते हैं.

खण्डहर भवन किए जाएं दुरुस्त
पंजाब के गुरदासपुर से आए टूरिस्ट जसपाल ने बताया कि फतेहपुर सीकरी में जो भवन खंडहर हो रहे हैं. उन्हें दुरुस्त कराना चाहिए. वहां साफ-सफाई होनी चाहिए. इस ओर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यहां पर पूरे विश्व से टूरिस्ट आते हैं.

यहां से अकबर ने चलाया था दीन-ए-इलाही धर्म
टूरिस्ट गाइड अताउल्लाह ने बताया कि बादशाह अकबर ने एक नए धर्म दीन-ए-इलाही की फतेहपुर सीकरी में शुरुआत की थी. कहने को हम देखते हैं कि दीवाने खास का आर्किटेक्ट इस्लामिक है. जब इसकी डिटेल में जाते हैं तो बॉटम में हिंदूवादी आर्किटेक्चर है. उसके ऊपर जो जालियां हैं, वे पर्शियन आर्किटेक्चर की है. ऐसे ही बौद्ध और आदि तमाम धर्मों से जुड़े हुए आर्किटेक्चर दीवाने खास में देखने के लिए मिलते हैं.

बुलंद दरवाजा देखकर चौंक जाते हैं
टूरिस्ट गाइड सुलेमान ने बताया कि यह एशिया का सबसे ऊंचा बुलंद दरवाजा यहां पर है. जब अकबर ने खानदेश दक्खिन को चांद बीबी सुल्ताना से गुजरात जीता तो यहां पर यह बुलंद दरवाजा बनाया गया. यह बुलंद दरवाजा सन् 1601 में बनना शुरू हुआ था और सन् 1602 में बनकर तैयार हुआ. दरवाजे का फेस दक्षिण की ओर है और इस तक 52 सीढ़ियां हैं. बुलंद दरवाजा का आर्च 90 फीट का है. इसकी प्लेटफार्म से ऊंचाई 134 फीट है. नीचे रोड से बुलंद दरवाजे की ऊंचाई 176 फीट है. यह यहां जो बरामदे हैं वह स्कूल थे.

इन तीन कारण से अकबर ने छोड़ी थी फतेहपुर सीकरी
टूरिस्ट गाइड नरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि, एक्चुअल में आगरा के बाद में मुगलों की फतेहपुर सीकरी दूसरी राजधानी थी. अकबर ने इस शहर को बसाया और यहां पर अपनी राजधानी बनाई. मगर अकबर को तीन कारण से फतेहपुर सीकरी छोड़नी पड़ी. पहला कारण धार्मिक, दूसरी पेयजल किल्लत और तीसरी राजनैतिक समस्या थी. क्योंकि, उज्बेकिस्तान में मुगल के खिलाफ खड़ा हुआ विद्रोह था. अकबर यहां से लाहौर गए और वहां से फिर फिर आगरा आया. और वहीं से राज किया.


लगातार कर रहे संरक्षण का कार्य
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि फतेहपुर सीकरी में बुलंद दरवाजा के साथ ही दरगाह का भी संरक्षण का काम चल रहा है. क्योंकि, यहां धार्मिक पर्यटक भी बहुत आते हैं. हम फतेहपुर सीकरी में साइनेज और रूट मैप बनाने जा रहे हैं. जिससे पर्यटक आसानी से पूरे कैंपस को देख सकते हैं. हम साफ-सफाई पर भी विशेष जोर है. एएसआई की ओर से जल्द ही फतेहपुर सीकरी में भी बेबी फीडिंग रूम बनाया जाएगा.

आगरा: 16वीं सदी यानी मुगल बादशाहों का दौर. अकबर ने आगरा के बाद दूसरी राजधानी फतेहपुर सीकरी को बनाया. यह वही फतेहपुर सीकरी है, जहां विश्व प्रसिद्ध बुलंद दरवाजा और शेख सलीम चिश्ती की दरगाह है. बेटे की ख्वाहिश में अकबर नंगे पैर आगरा से शेख सलीम चिश्ती से मिलने फतेहपुर सीकरी आया था. अकबर के आंगन में बेटे जहांगीर का जन्म हुआ. अकबर ने खुशी में फतेहपुर सीकरी को बसाया और अपनी राजधानी भी बनाई. अकबर ने यहीं से गुजरात को फतह किया.

अकबर ने आगरा के बाद दूसरी राजधानी यानी फतेहपुर सीकरी को बनाया.

अकबर ने जब चांद बीबी सुल्ताना से दक्षिण जीता तो उसकी याद में बुलंद दरवाजा बनाया. आगरा से फतेहपुर सीकरी 35 किलोमीटर दूर है और राजस्थान के बार्डर पर है. आज विश्व पर्यटन दिवस पर ईटीवी भारत बताएगा फतेहपुर सीकरी के आलीशान महल, बुलंद दरवाजा, शेख सलीम चिश्ती की दरगाह, तानसेन, अनूप तालाब, अकबर बीरबल के किस्से और तमाम इतिहास से जुड़ी बातें. फतेहपुर सीकरी में हर साल पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है.

लाल पत्थर से कराया निर्माण
मुगल बादशाह अकबर ने जिस तरह से आगरा किला में लाल पत्थर से अकबरी महल और अन्य महल बनवाए थे. वैसे ही जब फतेहपुर सीकरी में अकबर ने निर्माण कराया तो वहां पर सभी महल, बुलंद दरवाजा और शेख सलीम चिश्ती की दरगाह में लाल पत्थर का उपयोग किया था. फतेहपुर सीकरी में बनाए गए महल और अन्य निर्माण हिंदू और मुस्लिम की कला के बेजोड़ नमूने हैं. एक किवदंती के मुताबिक़, फतेहपुर सीकरी में लाल पत्थर से निर्माण कराने की वजह फतेहपुर सीकरी में मन्नत मांगने पर अकबर को मिली संतान (संतान) कहा जाता है.

यह हैं आलीशान पैलेस

  • दीवान-ए-आम
  • दीवान-ए-खास
  • पंच महल
  • जोधाबाई महल
  • मरियम की कोठी
  • कारवां सराय
  • ख्वाबगाह
  • बीरबल भवन
  • अनूप तालाब
  • ट्रेजरी हाउस
  • बुलंद दरवाजा
  • शेख सलीम चिश्ती की दरगाह
  • पच्चीसी प्रांगण
  • जामा मस्जिद
  • नौबतखाना


यह है फतेहपुर सीकरी की अहम तिथि

  • सन् 1569 में फतेहपुर सीकरी को बसाया था.
  • सन 1571 में मुगलों की आगरा से फतेहपुर सीकरी बनी राजधानी.
  • 14 साल फतेहपुर सीकरी रही मुगलों की राजधानी.

इसे भी पढ़ें-विश्व पर्यटन दिवस: ताज पर नाज, मोहब्बत की निशानी के दीदार को हर कोई बेताब

सैलानियों का फतेहपुर सीकरी भ्रमण
सन् भारतीय पर्यटक विदेशी पर्यटक सार्क विदेशी पर्यटक

2016 506279 148370 -
2017 503255 181755 -
2018 518971 150047 4788
2019 302632 102130 8590

पर्यटन से रेवेन्यू (रुपये, करोड़ में)
सन् भारतीय रेवेन्यू विदेशी रेवेन्यू

2016 1.17 करोड़ 5.78 करोड़
2017 1.50 करोड़ 9.08 करोड़
2018 1.80 करोड़ 9.39 करोड़
2019 1.20 करोड़ 5.87 करोड़


दिस पेलेस वेरी फैंटेस्टिक
इटली से आए टूरिस्ट स्टेफिनो ने बताया कि मैं एक आर्किटेक्ट मैंने देखा है कि यहां बहुत ही अच्छा मैटेरियल उपयोग किया गया है. मैं इसे पसंद करता हूं. इसकी हिस्ट्री इंटरेस्टिंग है. दिस पेलेस वेरी फैंटेस्टिक है.

हम यहां बार-बार आना चाहते हैं
फ्रांस के टूरिस्ट रिचर्ड ने बताया कि हम यहां फिर से कई बार आना चाहते हैं. यह बहुत अद्भुत प्लेस है. यह बहुत अच्छा समय है. यहां की यादों को सजाने के लिए हमने बहुत फोटो सेशन कराया और अन्य चीजें खरीदी हैं. जिन्हें हम याद कर सकते हैं.

खण्डहर भवन किए जाएं दुरुस्त
पंजाब के गुरदासपुर से आए टूरिस्ट जसपाल ने बताया कि फतेहपुर सीकरी में जो भवन खंडहर हो रहे हैं. उन्हें दुरुस्त कराना चाहिए. वहां साफ-सफाई होनी चाहिए. इस ओर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यहां पर पूरे विश्व से टूरिस्ट आते हैं.

यहां से अकबर ने चलाया था दीन-ए-इलाही धर्म
टूरिस्ट गाइड अताउल्लाह ने बताया कि बादशाह अकबर ने एक नए धर्म दीन-ए-इलाही की फतेहपुर सीकरी में शुरुआत की थी. कहने को हम देखते हैं कि दीवाने खास का आर्किटेक्ट इस्लामिक है. जब इसकी डिटेल में जाते हैं तो बॉटम में हिंदूवादी आर्किटेक्चर है. उसके ऊपर जो जालियां हैं, वे पर्शियन आर्किटेक्चर की है. ऐसे ही बौद्ध और आदि तमाम धर्मों से जुड़े हुए आर्किटेक्चर दीवाने खास में देखने के लिए मिलते हैं.

बुलंद दरवाजा देखकर चौंक जाते हैं
टूरिस्ट गाइड सुलेमान ने बताया कि यह एशिया का सबसे ऊंचा बुलंद दरवाजा यहां पर है. जब अकबर ने खानदेश दक्खिन को चांद बीबी सुल्ताना से गुजरात जीता तो यहां पर यह बुलंद दरवाजा बनाया गया. यह बुलंद दरवाजा सन् 1601 में बनना शुरू हुआ था और सन् 1602 में बनकर तैयार हुआ. दरवाजे का फेस दक्षिण की ओर है और इस तक 52 सीढ़ियां हैं. बुलंद दरवाजा का आर्च 90 फीट का है. इसकी प्लेटफार्म से ऊंचाई 134 फीट है. नीचे रोड से बुलंद दरवाजे की ऊंचाई 176 फीट है. यह यहां जो बरामदे हैं वह स्कूल थे.

इन तीन कारण से अकबर ने छोड़ी थी फतेहपुर सीकरी
टूरिस्ट गाइड नरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि, एक्चुअल में आगरा के बाद में मुगलों की फतेहपुर सीकरी दूसरी राजधानी थी. अकबर ने इस शहर को बसाया और यहां पर अपनी राजधानी बनाई. मगर अकबर को तीन कारण से फतेहपुर सीकरी छोड़नी पड़ी. पहला कारण धार्मिक, दूसरी पेयजल किल्लत और तीसरी राजनैतिक समस्या थी. क्योंकि, उज्बेकिस्तान में मुगल के खिलाफ खड़ा हुआ विद्रोह था. अकबर यहां से लाहौर गए और वहां से फिर फिर आगरा आया. और वहीं से राज किया.


लगातार कर रहे संरक्षण का कार्य
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि फतेहपुर सीकरी में बुलंद दरवाजा के साथ ही दरगाह का भी संरक्षण का काम चल रहा है. क्योंकि, यहां धार्मिक पर्यटक भी बहुत आते हैं. हम फतेहपुर सीकरी में साइनेज और रूट मैप बनाने जा रहे हैं. जिससे पर्यटक आसानी से पूरे कैंपस को देख सकते हैं. हम साफ-सफाई पर भी विशेष जोर है. एएसआई की ओर से जल्द ही फतेहपुर सीकरी में भी बेबी फीडिंग रूम बनाया जाएगा.

Intro:यह खबर श्री शैलेंद्र जी सर के आदेशानुसार भेजी जा रही है. यह विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष स्पेशल स्टोरी है..जिसकी पैकेजिंग की जाएगी.
आगरा.
16 वीं सदी यानी मुगल बादशाहों का दौर. अकबर ने आगरा के बाद दूसरी राजधानी यानी फतेहपुर सीकरी को बनाया. यह वही फतेहपुर सीकरी है, जहां विश्व प्रसिद्ध बुलंद दरवाजा और शेख सलीम चिश्ती की दरगाह है. बेटे की ख्वाहिश में अकबर नंगे पैर आगरा से शेख सलीम चिश्ती से मिलने फतेहपुर सीकरी आया था. अकबर के आंगन में बेटा जहांगीर का जन्म हुआ. अकबर ने खुशी में फतेहपुर सीकरी को बसाया और अपनी राजधानी बनाया. अकबर ने यहीं से गुजरात को फतह किया. अकबर ने जब चांद बीबी सुल्ताना से दक्षिण जीता तो उसकी याद में बुलंद दरवाजा बनाया. आगरा से फतेहपुर सीकरी 35 किलोमीटर दूर है और राजस्थान के बार्डर पर है. आज विश्व पर्यटन दिवस पर ईटीवी भारत बताएगा फतेहपुर सीकरी के आलीशान महल के बारे में, बुलंद दरवाजा, शेख सलीम चिश्ती की दरगाह, तानसेन और अनूप तालाब, अकबर बीरबल के किस्से और तमाम इतिहास से जुड़ी बातें. फतेहपुर सीकरी में हर साल पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है.



Body:लाल पत्थर से कराया निर्माण
मुगल बादशाह अकबर ने जिस तरह से आगरा किला में लाल पत्थर से अकबरी महल और अन्य महल बनवाए थे. वैसे ही जब फतेहपुर सीकरी में अकबर ने निर्माण कराया तो वहां पर सभी महल, बुलंद दरवाजा और शेख सलीम चिश्ती की दरगाह समेत लाल पत्थर से ही निर्माण कराया था. फतेहपुर सीकरी में बनाए गए महल और अन्य निर्माण हिंदू और मुस्लिम पश्चात स्थापित कला के बेजोड़ नमूने हैं. एक किवदंती के मुताबिक़, फतेहपुर सीकरी में लाल पत्थर से निर्माण कराने की वजह फतेहपुर सीकरी में मन्नत मांगने पर अकबर को मिली संतान (संतान) कहा जाता है.

यह आलीशान पैलेस
-दीवान-ए-आम।
-दीवान-ए-खास।
-पंच महल।
-जोधाबाई महल।
-मरियम की कोठी।
-कारवां सराय।
-ख्वाबगाह ।
-बीरबल भवन।
-अनूप तालाब।
- ट्रेजरी हाउस।
-बुलंद दरवाजा।
-शेख सलीम चिश्ती की दरगाह।
- पच्चीसी प्रांगण।
-जामा मस्जिद ।
-नौबतखाना ।

यह है फतेहपुर सीकरी की अहम तिथि
- सन् 1569 में फतेहपुर सीकरी को बसाया था।
- सन 1571 में मुगलों की आगरा से फतेहपुर सीकरी बनी राजधानी।
- 14 साल फतेहपुर सीकरी रही मुगलों की राजधानी।


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ग्राफिक्स के लिए
टूरिस्ट ने किया फतेहपुर सीकरी विजिट
सन् इंडियन टूरिस्ट ......फोर्रनर टूरिस्ट...... सार्क टूरिस्ट
2016........506279...........148370...............nill
2017.........503255...........181755.............1376
2018.........518971............150047............4788
2019.........302632..............102130..........8590
(एक जनवरी 2019 से 30जुलाई 2019 तक के आंकड़े हैं)

टूरिस्ट से रिवेन्यू (रुपए करोड़ में हैं)

सन्.......... रिवेन्यू इंडियन ......रिवेन्यू फोर्रनर
2016.....1.17 करोड़ रुपए..........5.78 करोड़ रुपए
2017......1.50 करोड़ रुपए..........9.08 करोड़ रुपए
2018......1.80 करोड़ रुपए........9.39 करोड़ रुपए
2019.......1.20 करोड़ रुपए.........5.87 करोड़ रुपए

(एक जनवरी 2019 से 30 जुलाई.2019 तक के आंकड़े हैं)

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दिस पेलेस वेरी फैंटेस्टिक
इटली से आए टूरिस्ट स्टेफिनो ने बताया कि मैं एक आर्किटेक्ट मैंने देखा है कि यहां बहुत ही अच्छा मैटेरियल उपयोग किया गया है.मैं इसे पसंद करता हूँ. इसकी हिस्ट्री इंटरेस्टिंग है. दिस पेलेस वेरी फैंटेस्टिक है.
.....
हम यहां बार बार आना चाहते हैं
फ्रांस के टूरिस्ट रिचर्ड ने बताया कि, हम यहां फिर से कई बार आना चाहते हैं. यह बहुत अद्भुत प्लेस है. यह बहुत अच्छा समय है. यहां की आंतों यादों को सजाने के लिए हमने बहुत फोटो सेशन कराया और अन्य चीजें खरीदे हैं. जिन्हें हम याद कर सकते हैं.
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खण्डहर भवन किए जाएं दुरुस्त
पंजाब के गुरदासपुर से आए टूरिस्ट जसपाल ने बताया कि फतेहपुर सीकरी में जो भवन खंडहर हो रहे हैं. उन्हें दुरुस्त कराना चाहिए. वहां साफ-सफाई होनी चाहिए. तो और भी बेहतर रहेगा. इस ओर भी ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यहां पर पूरे विश्व से टूरिस्ट आते हैं.

यहां से अकबर ने चलाया था दीन-ए-इलाही धर्म
टूरिस्ट गाइड अताउल्लाह ने बताया कि, बादशाह अकबर ने एक नए धर्म दीन ए इलाही की फतेहपुर सीकरी में शुरुआत की थी. कहने को हम देखते हैं, कि दीवाने खास का आर्किटेक्ट इस्लामिक है. जब इसकी डिटेल में जाते हैं तो बॉटम में हिंदूवादी आर्किटेक्चर है. उसके ऊपर जो जालियां हैं, वे पर्शियन आर्किटेक्चर की है. ऐसे ही बौद्ध और आदि तमाम धर्मों से जुड़े हुए आर्किटेक्चर दीवाने खास में देखने के लिए मिलते हैं.

बुलंद दरवाजा देखकर चौंक जाते हैं
टूरिस्ट गाइड सुलेमान ने बताया कि, यह एशिया का सबसे ऊंचा बुलंद दरवाजा यहां पर है. जब अकबर ने खानदेश दक्खिन को चांद बीबी सुल्ताना से गुजरात जीता तो यहां पर यह बुलंद दरवाजा बनाया गया. यह बुलंद दरवाजा सन् 1601 में बनना शुरू हुआ था और सन् 1602 में बनकर तैयार हुआ. दरवाजे का फेस दक्षिण की ओर है और इस तक 52 सीढ़ियां हैं. बुलंद दरवाजा का आर्च 90 फीट का है. इसकी प्लेटफार्म से ऊंचाई 134 फीट है. नीचे रोड से बुलंद दरवाजे की ऊंचाई 176 फीट है. यह यहां जो बरामदे हैं वह स्कूल थे.
.....
इन तीन कारण से अकबर ने छोड़ी थी फतेहपुर सीकरी
टूरिस्ट गाइड नरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि, एक्चुअल में आगरा के बाद में मुगलों की फतेहपुर सीकरी दूसरी राजधानी थी. अकबर ने इस शहर को बसाया और यहां पर अपनी राजधानी बनाई. मगर अकबर को तीन कारण से फतेहपुर सीकरी छोड़नी पड़ी. पहला कारण धार्मिक, दूसरी पेयजल किल्लत और तीसरी राजनैतिक समस्या थी. क्योंकि, उज्बेकिस्तान में मुगल के खिलाफ खड़ा हुआ विद्रोह था. अकबर यहां से लाहौर गए और वहां से फिर फिर आगरा आया. और वहीं से राज किया.


लगातार कर रहे संरक्षण का कार्य
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि फतेहपुर सीकरी में बुलंद दरवाजा के साथ ही दरगाह का भी संरक्षण का काम चल रहा है. क्योंकि, यहां धार्मिक पर्यटक भी बहुत आते हैं. हम फतेहपुर सीकरी में साइनेज और रूट मैप बनाने जा रहे हैं. जिससे पर्यटक आसानी से पूरे कैंपस को देख सकते हैं. हम साफ-सफाई पर भी विशेष जोर है. एएसआई की ओर से जल्द ही फतेहपुर सीकरी में भी बेबी फीडिंग रूम बनाया जाएगा.




Conclusion: हर साल फतेहपुर सीकरी देखने वाले टूरिस्टों की संख्या बढ़ रही है. यही वजह है कि एएसआई और एडीए की कमाई भी बढ़ती जा रही है. सन् 2018 में विजिटर से 11.21 करोड़ रुपए का रिवेन्यू हुआ. एएसआई फतेहपुर सीकरी में महलों, मकबरा और बुलंद दरवाजे का संरक्षण कार्य भी करा रहा है.

.........

बाइट स्टेफिनो, टूरिस्ट (इटली) की।
बाइट रिचर्ड , टूरिस्ट (फ्रांस) की।
बाइट जसपाल, टूरिस्ट (गुरदासपुर, पंजाब) की।
बाइट अताउल्लाह, टूरिस्ट गाइड (एएसआई) की।
बाइट सुलेमान, टूरिस्ट गाइड (एएसआई) की।
बाइट नरेंद्र कुमार शर्मा, टूरिस्ट गाइड (एएसआई) की।
बाइट वसंत कुमार स्वर्णकार, अधीक्षण पुरातत्वविद (एएसआई) की।
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श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357
Last Updated : Sep 28, 2019, 2:04 PM IST
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