आगरा: रविवार से सावन माह की शुरुआत हो गई. देश के विभिन्न मंदिरों पर भगवान शिव की झांकी सजाई गई है. सावन के आगमन पर बड़ी संख्या में भक्त अपने आराध्य शिव को पूजते हैं. ताज नगरी भी पीछे नहीं है. यहां सावन के चारों सोमवार खास महत्व रखते हैं, क्योंकि शहर के चारों ही कोनों पर महादेव के प्राचीन मंदिर स्थापित हैं. जहां, सावन के सोमवार पर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है. भक्तों का मानना है कि शहर के चारों कोनों पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर आगरा की विपत्ति से रक्षा करते हैं. कोरोना से पहले सावन के चारों सोमवार पर सभी मंदिरों पर मेला लगता था, जहां पहला मेला राजेश्वर मंदिर पर तो द्वितीय मेला बल्केश्वर, तीसरा पृथ्वीनाथ तो चौथा कैलाश मंदिर पर लगता है. लेकिन इस बार कोरोना महामारी की वजह से मेले का आयोजन नहीं हो पाया है.
इस मंदिर में दिन के तीनों प्रहर बदलता है शिवलिंग का रंग, जुड़ी है विशेष कहानी - up news
पौराणिक और वैदिक मान्यताओं का समागम है सावन का मास, और इसे भगवान शिव का मास कहा जाता है. शास्त्रों में मनोरथ पूर्ति और संकट मुक्ति के लिए शिव की उपासना बताई गई है. बड़ी संख्या में भक्त अपने आराध्य शिव को पूजते हैं, उनकी कृपा और चमत्कार को अंगीकृत करते हैं. शिव की महिमा और भक्त की भक्ति के विवध रंग यहां दिख जाते हैं. सावन में शिव के दर्शन करने के लिए दूर दूर से भक्त पहुंचते हैं और उनके चमत्कार को नमन करते हैं. ऐसा ही चमत्कारी राजेश्वर महादेव मंदिर आगरा में स्थित है, जिसका इतिहास लगभग 900 साल पुराना माना जाता है. मान्यता है कि राजेश्वर मन्दिर में स्थापित शिवलिंग तीनों प्रहर रंग बदलता है. सुबह शिवलिंग का रंग दूधिया सफेद होता है जबकि दोपहर में शिवलिंग नीलकंठ समान जबकि शाम को हलका गुलाबी. तो आइए चलते हैं आगरा के राजेश्वर महादेव मंदिर और देखते हैं शिव की महिमा.
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आगरा: रविवार से सावन माह की शुरुआत हो गई. देश के विभिन्न मंदिरों पर भगवान शिव की झांकी सजाई गई है. सावन के आगमन पर बड़ी संख्या में भक्त अपने आराध्य शिव को पूजते हैं. ताज नगरी भी पीछे नहीं है. यहां सावन के चारों सोमवार खास महत्व रखते हैं, क्योंकि शहर के चारों ही कोनों पर महादेव के प्राचीन मंदिर स्थापित हैं. जहां, सावन के सोमवार पर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है. भक्तों का मानना है कि शहर के चारों कोनों पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर आगरा की विपत्ति से रक्षा करते हैं. कोरोना से पहले सावन के चारों सोमवार पर सभी मंदिरों पर मेला लगता था, जहां पहला मेला राजेश्वर मंदिर पर तो द्वितीय मेला बल्केश्वर, तीसरा पृथ्वीनाथ तो चौथा कैलाश मंदिर पर लगता है. लेकिन इस बार कोरोना महामारी की वजह से मेले का आयोजन नहीं हो पाया है.