आगरा: आज पूरे देश में 22वां कारगिल विजय दिवस (kargil Vijay Diwas) मनाया जा रहा है. 26 जुलाई 1999 को आज ही के दिन भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध (Kargil War) के दौरान चलाए गए ऑपरेशन विजय (Operation Vijay) को सफलतापूर्वक अंजाम देकर भारत भूमि को घुसपैठियों के चंगुल से मुक्त कराया था. इस विजय अभियान में आगरा के खंदौली थाना क्षेत्र के गांव मलूपुर के रहने वाले धर्मवीर भी शामिल थे.
कारगिल युद्ध के समय धर्मवीर अविवाहित थे और दुश्मनों के नापाक मंसूबों को नाकाम करते हुए शहीद हो गए. बेटे की शहादत का जिक्र होते ही मां की आखों में आंसू और हृदय गर्व से भर जाता है. बूढ़ी मां की इच्छा है कि उनके छोटे बेटे का इकलौता बेटा चेतन भी आर्मी में जाए. बेटा धर्मवीर की तरह ही देश की सेवा और रक्षा करे. कारगिल युद्ध (Kargil War) में आगरा के 10 सपूत शहीद हुए थे. उन वीरों की वीरता की कहानी आज भी लोगों की जुबान पर है.
कारगिल पृष्ठभूमि
कारगिल युद्ध (kargil war) को कारगिल संघर्ष के नाम से भी जाना जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में मई के महीने में कश्मीर के कारगिल जिले से प्रारंभ हुआ था. आज से ठीक 22 साल पहले मई-जुलाई 1999 के बीच पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा को पार कर कारगिल की उंचाइयों पर कब्जा करने का दुस्साहस दिखाया था, जहां से भारतीय फौज पर निशाना लगाना आसान था. यह युद्ध करीब दो महीने से भी ज्यादा चला. इस युद्ध में भारतीय थलसेना व वायुसेना ने लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) पार न करने के आदेश के बावजूद अपनी मातृभूमि में घुसे आक्रमणकारियों को मार भगाया था. स्वतंत्रता का अपना ही मूल्य होता है, जो वीरों के रक्त से चुकाया जाता है.
लगभग दो महीने तक चला यह युद्ध करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल में लड़ा गया था. इसमें हमारे लगभग 527 से अधिक वीर योद्धा शहीद हुए थे और 1300 से ज्यादा घायल हो गए थे. इन शहीदों ने तिरंगे की रक्षा और भारतीय सेना की शौर्य व बलिदान की उस सर्वोच्च परम्परा का निर्वाह किया जिसकी सौगन्ध उन्होंने खाई थी. जिस राष्ट्रध्वज के आगे कभी उनका माथा सम्मान से झुका होता था, वही तिरंगा मातृभूमि के इन बलिदानी जांबाजों से लिपटकर उनकी गौरव गाथा का आजीवन बखान करता रहेगा.