आगराः ताजनगरी में पर्यटन (Tourism in Tajnagri) के विकास को लेकर साबरमती और गोमती की तरह यमुना पर रिवरफ्रंट (Riverfront on Yamuna) बनाए जाने की योजना बनाई गई थी. इसका छह साल पहले प्रेजेंटेशन भी सीएम योगी के समक्ष किया गया था. इसके बाद रिवरफ्रंट का सर्वे भी कराया गया लेकिन अब रिवरफ्रंट बनाने के प्रोजेक्ट को ड्रॉप कर दिया गया है.
आगरा के पर्यावरणविद डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य (Environmentalist Dr. Debashish Bhattacharya) की पर्यटन निदेशालय लखनऊ (Directorate of Tourism Lucknow) में लगाई आरटीआई (RTI) के जबाव से यह खुलासा हुआ है. आरटीआई के जबाव में पर्यटन निदेशायलय ने रिवरफ्रंट बनाने की किसी भी योजना के लंबित होने या योजना प्रस्तावित होने से साफ इनकार कर दिया है. इससे पर्यटन कारोबार को बढ़ाने और यमुना का किनारा खूबसूरत बनाने की उम्मीद अब खत्म हो गई है.
कालीबाड़ी, नूरी दरवाजा निवासी पर्यावरणविद डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य ने बीते दिनों रिवर फ्रंट को लेकर यूपी सकरार के पर्यटन निदेशालय, लखनऊ से आरटीआई में जानकारी मांगी थी. जिसमें आगरा में रिवरफ्रंट डवलपमेंट की योजना की क्या स्थित है. इस पर पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक अविनाश चंद्र मिश्र ने जानकारी दी कि, आगरा में यमुना रिवरफ्रंट डेवलपमेंट निर्माण की कोई योजना लंबित या प्रस्तावित नहीं है.
पर्यावरणविद डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य (Environmentalist Dr. Debashish Bhattacharya) का कहना है कि आगरा में रिवर फ्रंट डेवलपमेंट की बहुत जरूरत है. इसकी मांग भी उठती रही है. रिवर फ्रंट बनाए जाने से आगरा के पर्यटन कारोबार को पंख लग जाएंगे. ताजमहल देखने आने वाले पर्यटकों के लिए यह नया आकर्षण और पर्यटक स्थल होगा इसलिए यूपी और केंद्र दोनों ही सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए. उनका कहना है कि आगरा में यमुना पर भी साबरमती व गोमती की तरह रिवरफ्रंट बनाया जाना चाहिए. इससे अहमदाबाद की तरह आगरा में यमुना किनारे पर्यटक सैर सपाटा कर सकें.
यमुना रिवरफ्रंट की इसलिए जरूरत
बता दें कि, यमुना किनारे मुगलों ने 44 हवेलियां, उद्यान व मकबरे बनाए थे. इस बारे में आस्ट्रियाई इतिहासकार ईबा कोच ने अपनी पुस्तक 'द कंप्लीट ताजमहल एंड दि रिवरफ्रंट गार्डंस ऑफ आगरा' (Complete Taj Mahal and the Riverfront Gardens of Agra) में विस्तार से लिखा है. यमुना पर बने घाट व्यापार का केंद्र हुआ करते थे. जिसमें हाथीघाट और हाथी खाना घाट प्रमुख व्यापार केंद्र थे. इसके साथ ही आगरा में तैराकी मेला भी हुआ करते हैं. यमुना का जलस्तर कम होने से यह परंपरा भी दम तोड चुकी है. यमुना किनारे रामबाग स्मारक, चीनी का रोजा स्मारक, एत्मादउददौला स्मारक, ग्यारह सीढी और इसके बाद मेहताबग (Mehtab Bagh) है इसलिए, यमुना का रिवरफ्रंट बनाने की मांग उठी थी. इस पर प्रोजेक्ट भी तैयार हुए. मगर, बाद में हर प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चले गए.
छह वर्ष पहले बना था प्रस्ताव
जब वर्ल्ड बैंक (world bank) की मदद से यमुनापार में मेहताब बाग के पास सुविधाएं विकसित करने के लिए प्रो पुअर टूरिज्म डेवलपमेंट प्रोजेक्ट बनाया गया था. तभी छह साल पहले आगरा में यमुना के किनारे रामबाग से लेकर मेहताब बाग तक रिवरफ्रंट बनाने की योजना बनी थी. करीब पांच किमी लंबे प्राचीन मुगलकालीन उद्यानों को पुन संरक्षित करने, विजिटर सेंटर, पार्किंग का निर्माण करने, नालों के गंदे पानी को यमुना में रोकने समेत तमाम कार्य करने पर योजना बनी थी. इसके साथ ही सन 2017 में सीएम योगी के समक्ष प्रेजेंटेशन हुआ था.
ये बाधाएं बनीं रोड़ा
रामबाग स्मारक (Rambagh Memorial) से मेहताब बाग तक पांच किमी यमुना किनारे बनाए जाने वाले रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट (riverfront project) में कई अड़चनें हैं. इनमें सबसे बड़ी बाधा यमुना किनारे विकसित आबादी है. इसे हटाया जाना मुश्किल है. इस प्रोजेक्ट के सर्वे में चीनी का रोजा स्मारक से ग्यारह सीढ़ी तक ऐसी ही तमाम बाधाएं गिनाईं गईं हैं. इसके बाद सबसे बड़ी बाधा ग्यारह सीढ़ी से मेहताब बाग तक ताजमहल के पीछे यमुना की चौड़ाई केवल 300 मीटर है इसलिए रिवरफ्रंट बनाया जाना सही नहीं है.
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