आगरा : अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. इसे लेकर पूरी दुनिया के रामभक्तों में उत्साह है. इसी कड़ी में आगरा में दशानन के वंशज भी प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर बेहद खुश हैं. वे अलग-अलग तरीकों से अपनी खुशी का इजहार कर रहे हैं. उनका मानना है कि प्रभु श्रीराम ने ही उनके कुल का उद्धार किया था. खुद को रावण का वंशज बताते वाले सारस्वत समाज के लोगों ने रावण के स्वरूप के साथ गुरुवार को हवन-पूजन किया. जय श्रीराम के नारे भी लगाए.
खुद को रावण का वंशज मानता है सारस्वत ब्राह्मण : बता दें कि देश में सारस्वत ब्राह्मण खुद को दशानन रावण का वंशज बताते हैं. आगरा और आसपास के जिलों में सारस्वत ब्राह्मण की संख्या खूब है. दशहरा पर सारस्वत समाज रावण दहन का विरोध करता है. समाज के लोग दशानन की पूजा करते हैं. अयोध्या में बन रहे राम मंदिर और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर सारस्वत ब्राह्मण में खुशी की लहर है. उनका कहना है कि अयोध्या के भव्य और नव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है. ये हमारे लिए खशी की बात हैं. भगवान श्रीराम ने हमारे कुल को मुक्ति दी थी. इससे दशानन रावण के साथ-साथ हमारे कुल पर लगे सभी श्राप से हमें मुक्ति मिली थी. अब हमारे रोम-रोम में प्रभु श्रीराम बसे हैं.
प्राण प्रतिष्ठा की खुशी में किया हवन : लंकापति दशानन रावण महाराज पूजा समिति के संयोजक डाॅ. मदन मोहन शर्मा ने कहा कि लंबे अरसे के बाद भगवान श्रीराम को अपना भव्य मंदिर मिलने जा रहा है. हम भी अयोध्या जाकर प्रभु श्रीराम के दर्शन करेंगे. मैंने दशानन रावण की वेशभूषा में भगवान श्रीराम की पूजा की. अयोध्या में भव्य मंदिर बनने और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की खुशी में हमने हवन किया है. इसके साथ ही मैंने सामाजिक संदेश दिया कि, लोग नशा छोड़ दें. बच्चों को मोबाइल की लत न लगाएं. महिलाओं और बेटियों का सम्मान करें. हेलमेट और सीट बेल्ट लगाकर वाहन चलाएं. डाॅ. मदन मोहन शर्मा ने कहा कि हम रावण वंशज हैं. इसलिए, हम लोगों को संदेश दे रहे हैं कि बुरी आदत को छोड़ दें. सामाजिक बुराइयां खत्म हों. सभी प्रभु श्रीराम का नाम लें. हम सबको मिलकर ही सनातन धर्म की रक्षा करनी है.
भगवान श्रीराम ने किया कुल का उद्धार : खुद को रावण का वंशज बताने वाले सारस्वत समाज के लोगों ने कहा कि हम सभी मिलकर प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव मनाएंगे. डाॅ. मदन मोहन शर्मा ने बताया कि हम लोग सारस्वत ब्राहमण हैं. हम सब रावण वंशज हैं. भगवान श्रीराम ने हमारे कुल का उद्धार किया था. इसलिए, हम भी भगवान राम को अपना आराध्य मानते हैं. हम सब जल्द ही भगवान श्री राम के दर्शन करने अयोध्या जाएंगे. क्योंकि, हमारे रोम-रोम में राम बसे हुए हैं. पूर्व समय में हमारे समाज को श्राप मिला था. वो भगवान श्री राम के हाथों उद्धार हुआ था. क्योंकि, लंकापति रावण और विभीषण भगवान नारायण के दरबारी थे. श्राप से मुक्ति भगवान राम के हाथों मिलनी थी. इसलिए, श्राप के चलते लंकापति रावण ने राम से दुश्मनी ठानी थी.
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