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अकबर ने ढलवाया था राम टका तो अंग्रेजों ने शुरुआत में राम नामी आधा आना सिक्का से किया था कारोबार, पढ़िए डिटेल - रामलला प्राण प्रतिष्ठा

अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Akbar Ram Taka Coin) होने जा रही है. आजादी से पहले अंग्रेजों ने भी अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए राम नाम का सहारा लिया था.

इतिहासकार ने सिक्कों के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
इतिहासकार ने सिक्कों के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 17, 2024, 8:56 AM IST

इतिहासकार ने सिक्कों के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

आगरा : अयोध्या के भव्य राम मंदिर में 22 जनवरी को प्रभु श्रीराम विराजमान होंगे. इसे लेकर रामभक्तों में खासा उत्साह है. हर कोई इस दिन को खास बनाने में जुटा है. राम नाम को लेकर राजनीति गरमाई हुई है, लेकिन मुगल और अंग्रेजों ने भी राम नाम का सहारा लिया था. मुगल बादशाह अकबर ने 'राम टका' ढलवाया और चलाया था. अंग्रेजों ने आधा आना का 'राम नामी' सिक्के से शुरुआत के दौर में बंगाल में कारोबार किया था. आगरा के वरिष्ठ इतिहासकार राज किशोर 'राजे' ने इस पर विस्तार से जानकारी दी. पढ़िए ईटीवी भारत की रिपोर्ट...

बता दें कि, हिंदुस्तान में मुगलिया सल्तनत का संथापक बाबर था. मुगल शासक बाबर के नाम पर ही अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया गया था. इसे लेकर विवाद चल रह था. करीब 500 साल बाद अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अयोध्या में भव्य और नव्य राम मंदिर बना. इसी मंदिर में 22 जनवरी को रामलला को प्राण प्रतिष्ठा होगी.

अकबर ने ढलवाया था राम टका.
अकबर ने ढलवाया था राम टका.
कई तरह के खास सिक्के चलते थे.
कई तरह के खास सिक्के चलते थे.



अकबर ने सिक्कों से हटवाया था लक्ष्मी का चित्र : वरिष्ठ इतिहासकार राज किशोर 'राजे' बताते हैं कि, मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराकर हिन्दुस्तान पर अपना शासन स्थापित किया था. जिससे हिन्दुस्तान में मुस्लिम शासन की शुरुआत हुई. मगर, उस समय सिक्कों पर लक्ष्मी जी की मूर्ति थी. यह पृथ्वीराज चैहान ने शुरू की थी. करीब 500 साल तक सिक्कों पर लक्ष्मी की मूर्ति रही. इस दौरान मोहम्मद गोरी, अलाउद्दीन खिलजी, बलवन, शेरशाह सूरी, सिंकदर लोदी, बाबर और हिमांयू आदि ने सिक्कों से लक्ष्मी की मूर्ति नहीं हटाई. जब मुगलिया सल्तनत का बादशाह अकबर बना तो उसने सिक्कों से लक्ष्मी जी की मूर्ति हटाकर उस पर अल्ला हो अकबर लिखवाया. जिसका उल्लेख राघेंद्र राघव ने अपनी पुस्तक 'ग्रंथावली' दस में किया है. इसके साथ ही मेरी पुस्तक 'हकीकत-ए-अकबर' में भी है.

इतिहासकार ने अपनी पुस्तक में किया है जिक्र.
इतिहासकार ने अपनी पुस्तक में किया है जिक्र.



दुनियां में बचे सिर्फ तीन राम टका : आगरा मुगलिया सल्तनत की राजधानी रहा है. आगरा किला में मुगलों की टकसाल थी. जहां पर ढले सिक्के पूरे हिंदुस्तान में चलते थे. अकबर ने आगरा किला की टकसाल में भगवान राम और सीता के चित्र वाला सिक्का ढलवाया. अकबर ने अपने शासन के 50 साल पूरे होने पर सन 1604-05 में राम टका ढलवाया था. जिस पर धनुष बाण लिए भगवान राम और सीता की छवि थी. राम टका मुगलिया सल्तनत की भगवान राम की छवि अंकित वाली अकेली मुद्रा है. अकबर ने ये सिक्के सोने और चांदी में ढलवाए थे. इन सिक्कों पर एक ओर राम सिया तो दूसरी ओर मुद्रा की ढलाई का काल लिखा है. जिसका जिक्र परमेश्वरी लाल गुप्ता ने अपनी पुस्तक 'कॉइन्स' में किया है. दुनिया में ऐसे तीन ही सिक्के बचे हैं. जिनमें से दो सोने के हैं और एक चांदी का. इंग्लैंड के क्लासिकल न्यूमिसमेटिक ग्रुप में चांदी वाला सिक्का 1 लाख 40 हजार डॉलर में बिका था.



सुना है राम टका, पर भारत में यह नहीं : वरिष्ठ इतिहासकार राज किशोर 'राजे' बताते हैं कि मैंने राम टका के बारे में सुना है. अकबर ने अपने शासन के अंतिम काल में राम टका चलाया था. जिसके बारे में मुझे कहीं पर कोई प्रमाणिक जानकारी नहीं मिली है. न ही मैंने कभी सिक्का देखा है. इतना ही नहीं, भारत में राम टका की कोई उपलब्धता नहीं है.

अंगेजों ने चलाया था आधा आना : वरिष्ठ इतिहासकार राज किशोर 'राजे' बताते हैं कि, जब अंग्रेज भारत में व्यापार करने आए तो कुछ ही दिनों में समझ गए कि, भारत में हिंदुत्व का बहुत प्रभाव है. इसलिए, उन्होंने राम नाम का सहारा लिया. इसलिए, व्यापार के लिए अंग्रेजों ने भगवान राम और सीता की छवि का बंगाल में सन 1717 में सिक्का चलाया. जो आधे आना का था. इसी सिक्का से ही अंग्रेजों ने शुरुआत में व्यापार किया. अंग्रेजों ने औरंगजेब की मौत के 13 साल बाद ऐसा किया था. क्योंकि, औरंगजेब की मौत तीन मार्च 1707 में हुई थी. इसके बाद मुगलिया सल्तनत का बादशाह औरंगजेब का बेटा बहादुर शाह बना. पांच साल बहादुर शाह ने शासन किया. इसके बहादुर शाह का बेटा जहांदार शाह गद्दी पर बैठा. मगर, फर्रुखसियर ने जहांदार शाह को हराकर मार दिया. मुगलिया सल्तनत का बादशाह फर्रुखसियर बन गया. फर्रुखसियर लापरवाह बादशाह था. इसके समय पर ही बंगाल में अंग्रेजों का प्रभाव बढ़ा था. उन्होंने राम और सीता की छवि वाले सिक्का को चलाया था.

दीन-ए-इलाही में शामिल थे सभी धर्मों के मूल तत्व : मुगल काल में आगरा टकसाल और फतेहपुर सीकरी की टकसाल ही सबसे बड़ी थीं. जहां सोने और चांदी के सिक्के ढलते थे. अकबर ने हिंदुस्तान में सभी धर्मों के मूल तत्व शामिल करके दीन-ए-इलाही धर्म चलाया था.

यह भी पढ़ें : राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा; अनुष्ठान का आज दूसरा दिन, भ्रमण के बाद आज परिसर में प्रवेश करेंगे रामलला

इतिहासकार ने सिक्कों के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

आगरा : अयोध्या के भव्य राम मंदिर में 22 जनवरी को प्रभु श्रीराम विराजमान होंगे. इसे लेकर रामभक्तों में खासा उत्साह है. हर कोई इस दिन को खास बनाने में जुटा है. राम नाम को लेकर राजनीति गरमाई हुई है, लेकिन मुगल और अंग्रेजों ने भी राम नाम का सहारा लिया था. मुगल बादशाह अकबर ने 'राम टका' ढलवाया और चलाया था. अंग्रेजों ने आधा आना का 'राम नामी' सिक्के से शुरुआत के दौर में बंगाल में कारोबार किया था. आगरा के वरिष्ठ इतिहासकार राज किशोर 'राजे' ने इस पर विस्तार से जानकारी दी. पढ़िए ईटीवी भारत की रिपोर्ट...

बता दें कि, हिंदुस्तान में मुगलिया सल्तनत का संथापक बाबर था. मुगल शासक बाबर के नाम पर ही अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया गया था. इसे लेकर विवाद चल रह था. करीब 500 साल बाद अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अयोध्या में भव्य और नव्य राम मंदिर बना. इसी मंदिर में 22 जनवरी को रामलला को प्राण प्रतिष्ठा होगी.

अकबर ने ढलवाया था राम टका.
अकबर ने ढलवाया था राम टका.
कई तरह के खास सिक्के चलते थे.
कई तरह के खास सिक्के चलते थे.



अकबर ने सिक्कों से हटवाया था लक्ष्मी का चित्र : वरिष्ठ इतिहासकार राज किशोर 'राजे' बताते हैं कि, मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराकर हिन्दुस्तान पर अपना शासन स्थापित किया था. जिससे हिन्दुस्तान में मुस्लिम शासन की शुरुआत हुई. मगर, उस समय सिक्कों पर लक्ष्मी जी की मूर्ति थी. यह पृथ्वीराज चैहान ने शुरू की थी. करीब 500 साल तक सिक्कों पर लक्ष्मी की मूर्ति रही. इस दौरान मोहम्मद गोरी, अलाउद्दीन खिलजी, बलवन, शेरशाह सूरी, सिंकदर लोदी, बाबर और हिमांयू आदि ने सिक्कों से लक्ष्मी की मूर्ति नहीं हटाई. जब मुगलिया सल्तनत का बादशाह अकबर बना तो उसने सिक्कों से लक्ष्मी जी की मूर्ति हटाकर उस पर अल्ला हो अकबर लिखवाया. जिसका उल्लेख राघेंद्र राघव ने अपनी पुस्तक 'ग्रंथावली' दस में किया है. इसके साथ ही मेरी पुस्तक 'हकीकत-ए-अकबर' में भी है.

इतिहासकार ने अपनी पुस्तक में किया है जिक्र.
इतिहासकार ने अपनी पुस्तक में किया है जिक्र.



दुनियां में बचे सिर्फ तीन राम टका : आगरा मुगलिया सल्तनत की राजधानी रहा है. आगरा किला में मुगलों की टकसाल थी. जहां पर ढले सिक्के पूरे हिंदुस्तान में चलते थे. अकबर ने आगरा किला की टकसाल में भगवान राम और सीता के चित्र वाला सिक्का ढलवाया. अकबर ने अपने शासन के 50 साल पूरे होने पर सन 1604-05 में राम टका ढलवाया था. जिस पर धनुष बाण लिए भगवान राम और सीता की छवि थी. राम टका मुगलिया सल्तनत की भगवान राम की छवि अंकित वाली अकेली मुद्रा है. अकबर ने ये सिक्के सोने और चांदी में ढलवाए थे. इन सिक्कों पर एक ओर राम सिया तो दूसरी ओर मुद्रा की ढलाई का काल लिखा है. जिसका जिक्र परमेश्वरी लाल गुप्ता ने अपनी पुस्तक 'कॉइन्स' में किया है. दुनिया में ऐसे तीन ही सिक्के बचे हैं. जिनमें से दो सोने के हैं और एक चांदी का. इंग्लैंड के क्लासिकल न्यूमिसमेटिक ग्रुप में चांदी वाला सिक्का 1 लाख 40 हजार डॉलर में बिका था.



सुना है राम टका, पर भारत में यह नहीं : वरिष्ठ इतिहासकार राज किशोर 'राजे' बताते हैं कि मैंने राम टका के बारे में सुना है. अकबर ने अपने शासन के अंतिम काल में राम टका चलाया था. जिसके बारे में मुझे कहीं पर कोई प्रमाणिक जानकारी नहीं मिली है. न ही मैंने कभी सिक्का देखा है. इतना ही नहीं, भारत में राम टका की कोई उपलब्धता नहीं है.

अंगेजों ने चलाया था आधा आना : वरिष्ठ इतिहासकार राज किशोर 'राजे' बताते हैं कि, जब अंग्रेज भारत में व्यापार करने आए तो कुछ ही दिनों में समझ गए कि, भारत में हिंदुत्व का बहुत प्रभाव है. इसलिए, उन्होंने राम नाम का सहारा लिया. इसलिए, व्यापार के लिए अंग्रेजों ने भगवान राम और सीता की छवि का बंगाल में सन 1717 में सिक्का चलाया. जो आधे आना का था. इसी सिक्का से ही अंग्रेजों ने शुरुआत में व्यापार किया. अंग्रेजों ने औरंगजेब की मौत के 13 साल बाद ऐसा किया था. क्योंकि, औरंगजेब की मौत तीन मार्च 1707 में हुई थी. इसके बाद मुगलिया सल्तनत का बादशाह औरंगजेब का बेटा बहादुर शाह बना. पांच साल बहादुर शाह ने शासन किया. इसके बहादुर शाह का बेटा जहांदार शाह गद्दी पर बैठा. मगर, फर्रुखसियर ने जहांदार शाह को हराकर मार दिया. मुगलिया सल्तनत का बादशाह फर्रुखसियर बन गया. फर्रुखसियर लापरवाह बादशाह था. इसके समय पर ही बंगाल में अंग्रेजों का प्रभाव बढ़ा था. उन्होंने राम और सीता की छवि वाले सिक्का को चलाया था.

दीन-ए-इलाही में शामिल थे सभी धर्मों के मूल तत्व : मुगल काल में आगरा टकसाल और फतेहपुर सीकरी की टकसाल ही सबसे बड़ी थीं. जहां सोने और चांदी के सिक्के ढलते थे. अकबर ने हिंदुस्तान में सभी धर्मों के मूल तत्व शामिल करके दीन-ए-इलाही धर्म चलाया था.

यह भी पढ़ें : राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा; अनुष्ठान का आज दूसरा दिन, भ्रमण के बाद आज परिसर में प्रवेश करेंगे रामलला

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