आगराः शहर के राजनगर नई आबादी बस्ती लोहामंडी के 70 गरीब परिवारों के आशियानों पर काले बादल मंडरा रहे हैं. इनके सामने बेघर होने का संकट खड़ा हो गया है. रेलवे ने रेल पटरी के किनारे बसी बस्ती की जमीन को अपना बताकर इन्हें नोटिस थमा दिया है. नोटिस में 15 दिनों के अंदर अतिक्रमण हटाने की बात कही गई है.
इस जमीन पर रहने वाले लोगों का कहना है की साल 2009 में राज्य सरकार ने 'सर्वजन हिताय गरीब आवास (स्लम) हक योजना के अंतर्गत इनको 90 साल के पट्टे पर जमीनें दी गई थीं. इसके बाद उन्होंने अपने खून-पसीने की कमाई से कच्चे घरों को पक्का करवाया. उनके बच्चे पास के सरकारी विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने लगे. लेकिन, 3 अप्रैल को रेलवे के अधिकारियों ने 70 घरों को अतिक्रमण बताकर नोटिस चस्पा कर दिया. सभी को 15 दिनों में घर खाली करने का आदेश जारी कर दिया. इन लोगों ने कहा, 'अगर हमारे घरों पर रेलवे ने अगर बुलडोजर चलाया, तो हम अपनी जान दे देंगे.'
समाजसेवी नरेश पारस ने बताया कि बस्ती में वाल्मीकि और जाटव समाज के गरीब लोग रहते हैं. कोई रिक्शा चलाता हैं, तो कोई मजदूरी और सफाई करके अपना जीवनयापन कर रहा है. सरकार ने इनकी स्थिति और दशा देखकर 90 साल के लिए नजूल की भूमि पट्टे पर दी थी. लेकिन 14 साल बाद पट्टा रेलवे ने उक्त भूमि पर अपना अधिकार बता दिया. लोग विभागों की लापरवाही के शिकार हो गए. एडीएम सिटी, एडीए सचिव और जनप्रतिनिधियों से मुलाकात कर अपनी पीड़ा बतायी. लेकिन, किसी ने इनकी मदद नहीं की.
18 अप्रैल को नोटिस हो जाएगा पूराः बीते 3 अप्रैल को सभी को नोटिस दे दिए गए थे. आज 14 अप्रैल हैं. संविधान पुरोधा बाबा भीमराव आंबेडकर जी की जयंती हैं. जाटव और वाल्मीकि समाज बाबा भीमराव आंबेडकर की जयंती मना रहा है. लेकिन राजनगर बस्ती के लोग मायूस हैं. उन्हें 18 अप्रैल को पूर्ण होने वाले 15 दिन की चिंता सता रही हैं. लोगों की आंखों में आंसू हैं, जिन्हें पोछने वाला कोई नहीं हैं.
अनशन पर बैठे लोगः राजनगर नई आबादी बस्ती में कई लोगों को नगरीय विकास विभाग की ओर से प्रधानमंत्री आवासीय योजना का लाभ भी मिला हैं. योजना का लाभ मिलने से पूर्व जिला नगरीय अभिकरण (डूडा) विभाग की ओर से पट्टे के महत्वपूर्ण दस्तावेजों के सत्यापन के बाद लोगों को प्रधानमंत्री आवासीय योजना का लाभ दिया गया. योजना का लाभ पाने वाले घरों पर प्रधानमंत्री आवासीय योजना की जानकारी और लाभार्थी के नाम वाली शिलालेख भी लगी है. लेकिन इसके बाबजूद 14 साल बाद रेलवे ने इस भूमि पर अपना स्वामित्व जता दिया है. इसकी वजह से लोगों को घर उजड़ने का डर सता रहा है. इसके चलते ये लोग अपना रोजगार छोड़कर अनशन पर बैठे हुए हैं.
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