आगरा: बुधवार देर शाम 'नर्मदा बचाओ' आंदोलन की अध्यक्ष मेधा पाटकर के काफिले को आगरा के सैया बॉर्डर पर रोक लिया गया. मेधा पाटेकर का काफिला दिल्ली में दो दिवसीय किसान आंदोलन में भाग लेने के लिए दिल्ली जा रहा था. जानकारी के अनुसार, दिल्ली में 26 व 27 नवंबर को नए कृषि कानून के विरोध में तमाम किसान संगठनों ने जाने के लिए एलान किया था. इसी को लेकर 'नर्मदा बचाओ' आंदोलन की अध्यक्षा मेधा पाटकर 150 किसानों के काफिले के साथ बुधवार को ग्वालियर से रवाना हुई थीं.
किसानों में आक्रोश
बताया जा रहा है कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के मध्य प्रदेश की सचिव जसविंदर सिंह ने काफिले को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था. काफिले को शाम 5:30 बजे रोहता नहर पर पहुंचना था, लेकिन किसी कारण से काफिले को देर हो गई. देर शाम करीब 8:00 बजे उनके काफिले को सैया पुलिस ने बॉर्डर पर ही रोक लिया. उनके काफिले के साथ राहुल राज, प्रतिभा शिंदे, आराधना भार्गव, प्रहलाद बैरागी आदि तमाम किसान नेता भी हैं. किसान दिल्ली जाने के लिए अड़े हैं, लेकिन पुलिस किसी भी तरह से उन्हें समझाने का प्रयास कर रही है. रोहता नहर पर मेधा पाटकर के काफिले की अगवानी में लगे किसान नेताओं को जब इसकी जानकारी मिली तो उनका आक्रोश व्याप्त हो गया.
'किस धारा में हमें रोका गया'
समाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने पूछा कि उन्हें किस धारा में रोका गया, यह तो प्रशासन बताए. मेधा पाटकर ने कहा कि उनका आंदोलन तो दिल्ली में होना है, वह तो उत्तर प्रदेश से निकलकर दिल्ली के लिए जा रही हैं तो उन्हें आखिर क्यों रोका गया है. उन्होंने कहा कि हजारों लाखों की संख्या में किसान पंजाब, महाराष्ट्र आदि अन्य प्रांतों से आंदोलन में भाग लेने के लिए जा चुके हैं. उन्हें नहीं रोका गया है तो फिर हमें क्यों रोका जा रहा है.
'सरकार ने खेती को दुकान समझ लिया है'
मेधा पाटकर ने कहा कि 3 दिसंबर को केंद्र सरकार पंजाब के किसानों के साथ बैठक करेगी, लेकिन किसी तरह की बैठक में सरकार अखिल भारतीय किसान संघ समिति को क्यों नहीं बुलाती. सरकार स्वयं उलझन में है. उन्होंने कहा कि सरकार ने तो खेती को भी दुकान समझ लिया है. देश की 70 से 80 फीसद आय कृषि पर ही आधारित है. मेधा पाटकर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ गुजरात और कर्नाटक के किसानों का नेतृत्व कर रही हैं.