आगरा: अपने बच्चों को कौन माता-पिता शहर के बड़े स्कूल में नहीं पढ़ना चाहता. लेकिन स्कूल की महंगी फीस अभिभावकों का होंसला तोड़ देती हैं. गरीब छात्रों और समाज मे वंचित वर्ग के बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम (2009) के तहत निजी विद्यालयों में 25 प्रतिशत आरक्षण तय किया था. लेकिन इसके बाद भी आगरा के 12 से अधिक बड़े स्कूलों ने बच्चों को अपने यहां दाखिला देने से इनकार कर दिया.
बच्चों को कॉलेज में दाखिला न मिलने से परेशान अभिवावकों और टीम 'पापा संस्था' ने गुरुवार को जिला मुख्यालय के गेट पर धरना दिया. पापा संस्था के अध्यक्ष दीपक सरीन ने बताया कि कॉलेज प्रशासन बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है. शहर के 15 बड़े स्कूल अपने रशूख के कारण सरकार के नियम-कानूनों की भी धज्जियां उड़ा रहे हैं. दीपक ने कहा कि हमारी संस्था बीते 6 महीनों से 60 बच्चों को सरकारी नियमानुसार स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए डीएम से लेकर उच्च अधिकारियों के दरवाजे खटखटा चुकी है. लेकिन बच्चों के एडमिशन सिर्फ अधिकारियों के आदेश पत्र तक सीमित रह गए हैं.
अभिवावकों और टीम 'पापा संस्था' के लोगों ने बताया कि बेसिक शिक्षा अधिकारी से लेकर डीएम तक के आदेश स्कूल प्रबंधन को दिखाए. इसके बाबजूद उन्होंने अपने स्कूल में गरीब बच्चों को एडमिशन देने से साफ मना कर दिया. अब मजबूरन हमें जिला मुख्यालय के गेट पर धरने पर बैठना पड़ा हैं.
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वहीं, अभिभावक बेबी का कहना है कि उनके बच्चे का आरक्षण सूची में नाम है. इसके बाबजूद उनके बच्चे को स्कूल ने दाखिला नहीं दिया गया. उल्टा उन्हें ही अपशब्द बोलकर गेट के बाहर कर दिया गया. ऐसे ही नीतू बघेल भी अपने बच्चें के एडमिशन के लिए अधिकारियों के दफ्तरों की धूल फांक रही हैं. लेकिन नतीजा जस का तस हैं. उन्होंने कहा कि हम छोटा-मोटा काम करके घर चलाते हैं. बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं. सरकार ने हमारे बच्चों की पढ़ाई को लेकर अच्छी व्यवस्था भी की हैं. लेकिन अधिकारियों की शिथिलता के कारण स्कूल दबंगई पर उतर आए हैं.
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