आगरा: 'मौत वाली माॅक ड्रिल' से सुर्खियों में आए पारस हाॅस्पिटल की जांच करने वाली 4 सदस्यीय डेथ ऑडिट कमेटी ने शुक्रवार को अपनी जांच रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी. जिसमें पारस हाॅस्पिटल संचालक को क्लीनचिट दी गई है. जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि, पारस हाॅस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी नहीं थी. कई तीमारदार भी खुद ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर आए थे. डेथ ऑडिट कमेटी ने जांच रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया है कि, वीडियो एक बनाया गया था. जिसे टुकडों में वायरल किया गया था. इसके पीछे की मंशा क्या थी ? यह वीडियो किसने बनाया था ? इसकी जांच पुलिस से कराने की सिफारिश की गई है. जांच कमेटी ने 26 अप्रैल से 27 अप्रैल को 16 मरीजों की बात स्वीकारी है, मगर, मरीजों की मौत की गंभीर बीमारियां बताईं हैं.
डीएम प्रभु नारायण सिंह ने पारस हाॅस्पिटल के मामले में 4 सदस्यीय डेथ ऑडिट कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी में एसएन मेडिकल काॅलेज के एनास्थेसिया विभाग के एचओडी डाॅ. त्रिलोक चंद पीपल, एसएनएमसी के मेडिसन विभाग के एचओडी प्रो. डाॅ. बलवीर सिंह, एसएनएमसी के फाॅरेंसिक विभाग की सह आचार्य डाॅ. रिचा गुप्ता और उप मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ. पीके शर्मा शामिल थे. कमेटी ने पारस हाॅस्पिटल का निरीक्षण करके तमाम जानकारी जुटाने के साथ ही रिकाॅर्ड से अपनी रिपोर्ट तैयार की है. डेथ ऑडिट कमेटी की ओर से सात बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट की आख्या दी है.
तीमारदार खुद लेकर आए ऑक्सीजन सिलेंडर
डेथ ऑडिट कमेटी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक 25-26 अप्रैल की रात्रि करीब 2 बजे पारस हाॅस्पिटल प्रशासन की ओर से मै.संभव ट्रेडिंग कंपनी के वेंडर को ऑक्सीजन गैस की असामन्य आपूर्ति के बारे में बात की थी. क्योंकि, हाॅस्पिटल प्रबंधन समय से ऑक्सीजन की व्यवस्था करना चाहता था. जांच अधिकारी ने पाया कि पारस हाॅस्पिटल में 25 अप्रैल को 149 सिलेंडर और रिजर्व में 20 सिलेंडर के साथ ही 26 अप्रैल को 121 सिलेंडर और 15 सिलेंडर रिजर्व की आपूर्ति की गई थी. हाॅस्पिटल में भर्ती मरीजों के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन उपलब्ध थी. इसके साथ ही तीमारदार भी ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर हाॅस्पिटल आए थे.
22 मरीजों की मौत की बात गलत
जांच कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, पारस हाॅस्पिटल के संचालक डाॅ. अरिंजय जैन वायरल वीडियो में पांच मिनट की मौत वाली माॅक ड्रिल में 22 मरीज छंटने की बात कह रहे हैं. इसका यह अर्थ निकाला गया कि, माॅक ड्रिल में ये मरीज मर गए. जो असत्य है. ऑक्सीजन बंद करके कोई माॅक ड्रिल नहीं की गई थी. न ही किसी की ऑक्सीजन बंद की गई. न ही ऐसा कोई प्रमाण है. यह प्रचार भ्रामक है. क्योंकि, 26 अप्रैल प्रातः 7 बजे 22 मत्यु होनी चाहिए थीं, जोकि नही हुई. हाॅस्पिटल में ऑक्सीजन उपलब्ध थी. परन्तु भविष्य में आपूर्ति का संकट था. ऑक्सीजन का असिस्मेंट करना ही माॅक ड्रिल है. इसमें हाईपोक्सिया के लक्षण (डिसनिया, साइनोसिस) और ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल को माॅनिटर किया गया था. जिससे मरीजों की ऑक्सीजन आपूर्ति में विनिंग प्रोसेस का पालन किया. जिसमें सीमित आपूर्ति में भी कार्य किया जा सके. हर मरीज का व्यक्तिगत बेड साइड अनालिसिस किया गया, जिससे यह प्रतीत हुआ कि भर्ती गंभीर मरीजों में से 22 मरीज अति गंभीर हैं.
डेथ ऑडिट में माना 16 मरीजों की हुई मौत
जिला प्रशासन की ओर से 26 अप्रैल 2021 की सुबह 7 बजे और आसपास में वास्तव में कितने मरीज की मौत हुई. मरीजों की मौत का कारण क्या था. इसके लिए ही डेथ ऑडिट कमेटी बनाई गई थी. कमेटी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, हाॅस्पिटल में आगरा के अलावा अन्य जनपदों के मरीज भी इलाज कराने आते हैं. इस मामले में 10 शिकायती प्रार्थना पत्र और 3 सामाजिक संगठन की ओर से ज्ञापन मिले. शिकायतों में 16 मरीज शामिल हैं. इसमें 5 मरीज दूसरे जिलों के हैं. डेथ ऑडिट की गई है.
गंभीर था हाॅस्पिटल प्रशासन
वायरल वीडियो में पारस हाॅस्पिटल संचालक की ओर से यह भी कहा गया है कि, पैसे ले लो, गाड़ी लेलो, भोपाल-वोपाल जहां से मिले ले लो, कितने पैसे चाहिए, कैसे बचें 96 जिन्दगी. कैरियर बचे, सोने का भाव लगा लो, टैंकर उठाओ ऑक्सीजन का, कैसे भी मिलता है. इस वीडियो का अवलोकन किया गया तो यह बात सामने आई कि, पारस हाॅस्पिटल में भर्ती मरीजों की जिन्दगी के प्रति हाॅस्पिटल प्रबन्धन बहुत संवेदनशील था. जो हर सम्भव प्रयास करने की मंशा स्पष्ट कर रहा है.
28 अप्रैल की शाम में बना वीडियो
जांच कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, वायरल वीडियो की रिकाॅर्डिंग कई बार सुनी गई. इसे कई बार देखा भी गया. छानबीन में हाॅस्पिटल के संचालक ने जानकारी दी कि, यह वीडियो काफी पुराना है. यह वीडियो सम्भवतः 28 अप्रैल की शाम करीब 5 से 6 बजे का है. इसमें कुछ शब्द मेरे नहीं हैं. यह वीडियो एक आपराधिक षड़यन्त्र और सनसनी पैदा करने के उद्देश्य से बनाया गया था. इतना ही नहीं इसे देर से प्रसारित किया गया. क्योंकि इतने समय के पश्चात सीसीटीवी की रिकोर्डिंग स्वतः नष्ट हो जाती है. हाॅस्पिटल संचालक डाॅ. अरिंजय जैन यह भी जांच कमेटी को बताया कि, मुझे इस बीच तरह तरह के संदेश भिजवाकर ब्लकैमेल किया गया. लेकिन, मैं अपने पिता की मत्यु के बाद उनके कार्यक्रम में व्यस्त था.
पुलिस करें वायरल वीडियो की जांच
जांच कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, मौत वाली माॅक ड्रिल वाले पारस हाॅस्पिटल के वायरल वीडियो की जांच पुलिस को करनी चाहिए. पुलिस की जांच में यह बिंदु शामिल किए जाएं. यह वीडियो कब की है? पूरे वीडियो में क्या कहा गया है ? कितने लोगों ने इस वीडियो को अग्रसारित किया ? अनावश्यक अपने पास किसने वीडियो इतने दिनों तक रखा ? पूरी वीडियो को एक साथ क्यों नहीं सार्वजनिक किया गया ? एक स्थानीय मीडिया कर्मी की भूमिका की विस्तत जाॅच भी आवश्यक है. इसकी जांच पुलिस अलग से करके नियमानुसार कार्रवाई करे.
16 में से 14 मरीज कोमाॅर्बिड थे
डेथ ऑडिट कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन 16 मरीजों की शिकायत मिली हैं. इसमें से 14 मरीज किसी न किसी कोमोर्बिड बीमारी से ग्रसित थे. दो मरीज कोमाॅर्बिड नहीं थे. सभी मरीजों का इलाज कोविड-19 प्रोटोकाॅल के साथ-साथ उनकी अन्य बीमारियों के अनुरूप किया जा रहा था. सभी मरीजों की ऑक्सीजन लगाने की प्रविष्टियां केसशीट में है. डेथ ऑडिट टीम ने समस्त साक्ष्यों के आधार अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि किसी भी मरीज की ऑक्सीजन बंद नहीं की गई थी. हाॅस्पिटल में पर्याप्त ऑक्सीजन गैस की आपूर्ति की गई थी. मरीजों की मौत बीमारी की गंभीर अवस्था एवं अन्य कोमाॅर्बिड बीमारियों की वजह से हुई थी.
हाॅस्पिटल संचालक ने फैलाया भ्रम
जांच कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, पारस हाॅस्पिटल के संचालक डाॅ. अरिंजय जैन ने मरीजों को ऑक्सीजन की कमी का हवाला देकर डिस्चार्ज किए जाने की बात भी सामने आई है. जब महामारी अपने चरम स्तर पर थी. हाॅस्पिटल प्रबंधन पर इस प्रकार की बातें भम्र पैदा करने का आरोप सिद्ध करती हैं. इसलिए हाॅस्पिटल संचालक के खिलाफ महामारी अधिनियम की गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई है.
जिला प्रशासन की ओर से सीएमओ की ओर से पारस हॉस्पिटल प्रबंधन को नोटिस दिया गया है. उसका जवाब अभी नहीं मिला है. इस बारे में अलग कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही वीडियो बनाने वाले और उसे वायरल करने वाले की जांच भी पुलिस कर रही है.
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