आगराः पड़ोसी देश पाकिस्तान से आई टिड्डी दल का हमला (Pakistan Locust Attack) इस साल भी ताजनगरी पर हो सकता है. हवा का रूख बदलने से यह आफत राजस्थान की सीमा से देश में एंट्री ले सकती है. जो किसानों की खेतों की खड़ी फसल को चट कर लेगी. टिड्डी दल को लेकर संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन ने अलर्ट जारी किया है. जिसको लेकर आगरा का कृषि विभाग सतर्क हो गया है. जिले में टिड्डी दल (Locust Swarm) को लेकर अलर्ट जारी कर दिया है. जिले के किसानों को आगाह किया जा रहा है कि वे सतर्क हो जाएं. क्योंकि, बीते साल टिड्डी दलों ने आगरा में भारी नुकसान किया था.
बता दें कि, टिड्डी दल के यूपी में संभावित हमले को लेकर कृषि निदेशक डॉ. एपी श्रीवास्तव ने बीते दिनों अलर्ट जारी किया है. टिड्डी दल से बचाव के लिए समुचित तैयारी करने के लिए सभी जिलों के उप कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी को निर्देश दिए हैं. निर्देश में कहा गया है कि ग्राम प्रधान, लेखपाल, ग्राम विकास अधिकारी और अन्य कार्मिकों के माध्यम से किसानों को जागरूक करें. इसके साथ ही टिड्डी दल से निपटने के लिए जरूरी रसायनिक दवाएं खरीद लें.
ब्लॉक स्तरीय टीमें कर रही जागरूक
जिला कृषि अधिकारी डॉ. राम प्रवेश ने बताया कि टिड्डी दल को लेकर जिले में अलर्ट जारी कर दिया गया है. किसानों को टिड्डी दल से बचाव की जानकारी दी जा रही है. ब्लॉक स्तरीय टीम गांवों में जाकर किसानों से संपर्क कर रही है. आगरा की सीमा से सटे पड़ोसी राज्य के जिला भरतपुर और धौलपुर के कृषि अधिकारियों से भी समन्वय किया जा रहा है. जिससे राजस्थान से टिड्डी दल के एंट्री लेने की और लोकेशन का सही पता चल सके. हवा के साथ तीन से चार दिन में राजस्थान से आगरा में टिड्डी दल आ सकता है.
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इन कीटनाशक से मरेंगे टिड्डी
जिला कृषि अधिकारी डॉ. राम प्रवेश ने बताया कि टिड्डी दल से निपटने के लिए जरूरी कीटनाशक का पूरा इंतजाम है. किसानों के ट्रैक्टर से कीटनाशक का टिड्डी दलों पर स्प्रे किया जाएगा. जब रात में टिड्डी दल खेत या अन्य जगह प्रवास करते हैं. उस समय टिड्डी दल पर क्लोरोपाइरीफास 20 प्रतिशत ईसी या लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 5 प्रतिशत ईसी या मैलाथियान 50 प्रतिशत ईसी कीटनाशक में से किसी एक कीटनाशक का छिड़काव करते हैं. जिससे टिड्डियां का खात्मा हो जाता है.
इन फसल पर खतरा
हरी सब्जियां, मूंग, बाजरा और अन्य.
यह करें किसान
- धुआं करने से टिड्डी फसलों पर नहीं बैठता और आगे बढ़ जाता है, ऐसे में खेतों पर धुआं करें.
- तेज आवाज से टिड्डियां डरती हैं और भागती हैं. ऐसे में शोर मचाने, पटाखे फोडें, नगाड़े, ड्रम, टिन के डिब्बा, डीजे और थाली लेकर खेतों में बजाएं.
- टिड्डियां दिन में ही पौधों की पत्तियां खाती हैं. इसलिए किसान खेतों पर रखवाली करें.
- टिड्डियां शाम छह बजे के बाद जमीन, मकान या पेड़ों पर बैठती हैं. फिर सूरज निकलने पर उड़ती हैं. इसलिए देर रात में टिड्डी दलों पर कीटनाशक का छिड़काव कराना चाहिए.
- किसानों को चाहिए कि अपनी फसल में नीम के तेल को पानी में मिलाकर छिड़काव करें.