आगरा : देश में मुख (ओरल) कैंसर के जितने भी मरीज हैं. उनमें 95 प्रतिशत का कारण तंबाकू का सेवन है. यदि आंकड़ों की बात करें तो सिगरेट से ज्यादा कैंसर की वजह पान मसाले, गुटखा हैं. हर प्रदेश में अब मुंह के कैंसर का यही ट्रेंड है. आगे आने वाले दिनों में मुंह के कैंसर का प्रतिशत और तेजी से बढ़ेगा. फतेहाबाद स्थित होटल मुगल शेरेटन में इंडियन एसोसिएशन ऑफ सर्जिकल आंकोलाजी की मिडकान-23 कांफ्रेंस में देशभर से कैंसर रोग विशेषज्ञ और सर्जन का यही कहना है. मिडकाॅन-2023 में देशभर के 150 से ज्यादा कैंसर रोग विशेषज्ञ और सर्जन आए हैं. जो कैंसर रोग की रोकथाम और नए इलाज पर मंथन कर रहे हैं.
इंडियन एसोसिएशन ऑफ सर्जिकल आंकोलाजी के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. राजेंद्र टोपरानी का कहना है कि आज पुरुषों में ओरल कैंसर सबसे ज्यादा है. आंकड़ों में देखें तो यह 20 से 25 प्रतिशत है. जबकि महिलाओं में 20 प्रतिशत ब्रेस्ट और 20 प्रतिशत ही सर्वाइकल कैंसर हैं. कैंसर के कुल मामलों में फेफड़ों और आंतों का कैंसर 5.5 प्रतिशत है. यदि हम महिलाओं की बात करें तो महिलाओं में 50 प्रतिशत गाल ब्लैडर, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर है. वरिष्ठ कैंसर विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र देव का कहना है कि यदि कैंसर पहली स्टेज और दूसरी स्टेज में पकड़ में आ जाए तो कीमोथेरेपी या रेडियो थेरेपी की जरूरत नहीं पड़ती है. सिर्फ सर्जरी से काम चल जाता है. ऐसे कैंसर रोगियों को दवाओं से रोगी ठीक किया जा सकता है. नई तकनीक की मदद से अब टारगेटेड कीमो और इम्युनोथेरेपी भी की जा रही है. कैंसर वंशानुगत भी हो सकता है. इसके लिए अब ब्रांका 1 और ब्रांका 2 जांच भी होती है.
चैन्नई के कैंसर सर्जन प्रो. अरविंद कृष्णमूर्ति ने बताया कि आज महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर बेहद आम हो गया है. इसकी सबसे बड़ी वजह देर से शादी करना भी है. क्योंकि प्रकृति ने स्तनपान के लिए महिलाओं की खास उम्र नियत की है. ऐसा न होने पर भविष्य में ब्रेस्ट कैंसर जैसी स्थिति पैदा हो जाती है. इसके साथ ही तमाम ऐसी भी महिलाएं हैं. जो बच्चों को स्तनपान ही नहीं कराती हैं. जिससे भी कैंसर हो रहा है.
इंडियन एसोसिएशन ऑफ सर्जिकल आंकोलाजी के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. राजेंद्र टोपरानी का कहना है कि मुंह, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर शुरुआती स्टेज में पकड़ में आ सकते हैं. यदि किसी के मुंह में अगर तीन हफ्तों से अधिक छाला रहे. यदि महिला के छाती में गांठ महसूस हो. इसके साथ ही यदि महिलाओं के मूत्र में दुर्गंध, मूत्र मार्ग में दर्द या सूजन है. मूत्र मार्ग से खून आ रहा है तो ऐसे लक्षण देखकर कैंसर बनने से पहले पकड़ा जा सकता है. डाॅ. संदीप अग्रवाल ने बताया कि मिडकाॅन 2023 कांफ्रेंस में देशभर के 150 कैंसर विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं. जिसमें विशेषज्ञ यहां पर एमएस, एमसीएच के अलावा पोस्ट ग्रेजुएट विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. जिससे वे इन्हें जानें और सीखें. मिडकान-2023 में कई तरह के कैंसर और उनके इलाज की नई तकनीकियों पर आज मंथन किया जाएगा.
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Agra News : मुख कैंसर के 95 प्रतिशत मरीज तंबाकू के कारण, 90 प्रतिशत हो सकते हैं ठीक - मिडकाॅन 2023 आगरा
मुंह के कैंसर में होंठ, जीभ, गाल, मुंह के छाले, कठोर और नरम तालु, साइनस और ग्रसनी (गले) प्रभावित होती है. यदि शीघ्र उपचार नहीं किया गया तो यह खतरनाक साबित हो सकता है. मुंह के कैंसर का इलाज बहुत आसान होता है.
आगरा : देश में मुख (ओरल) कैंसर के जितने भी मरीज हैं. उनमें 95 प्रतिशत का कारण तंबाकू का सेवन है. यदि आंकड़ों की बात करें तो सिगरेट से ज्यादा कैंसर की वजह पान मसाले, गुटखा हैं. हर प्रदेश में अब मुंह के कैंसर का यही ट्रेंड है. आगे आने वाले दिनों में मुंह के कैंसर का प्रतिशत और तेजी से बढ़ेगा. फतेहाबाद स्थित होटल मुगल शेरेटन में इंडियन एसोसिएशन ऑफ सर्जिकल आंकोलाजी की मिडकान-23 कांफ्रेंस में देशभर से कैंसर रोग विशेषज्ञ और सर्जन का यही कहना है. मिडकाॅन-2023 में देशभर के 150 से ज्यादा कैंसर रोग विशेषज्ञ और सर्जन आए हैं. जो कैंसर रोग की रोकथाम और नए इलाज पर मंथन कर रहे हैं.
इंडियन एसोसिएशन ऑफ सर्जिकल आंकोलाजी के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. राजेंद्र टोपरानी का कहना है कि आज पुरुषों में ओरल कैंसर सबसे ज्यादा है. आंकड़ों में देखें तो यह 20 से 25 प्रतिशत है. जबकि महिलाओं में 20 प्रतिशत ब्रेस्ट और 20 प्रतिशत ही सर्वाइकल कैंसर हैं. कैंसर के कुल मामलों में फेफड़ों और आंतों का कैंसर 5.5 प्रतिशत है. यदि हम महिलाओं की बात करें तो महिलाओं में 50 प्रतिशत गाल ब्लैडर, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर है. वरिष्ठ कैंसर विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र देव का कहना है कि यदि कैंसर पहली स्टेज और दूसरी स्टेज में पकड़ में आ जाए तो कीमोथेरेपी या रेडियो थेरेपी की जरूरत नहीं पड़ती है. सिर्फ सर्जरी से काम चल जाता है. ऐसे कैंसर रोगियों को दवाओं से रोगी ठीक किया जा सकता है. नई तकनीक की मदद से अब टारगेटेड कीमो और इम्युनोथेरेपी भी की जा रही है. कैंसर वंशानुगत भी हो सकता है. इसके लिए अब ब्रांका 1 और ब्रांका 2 जांच भी होती है.
चैन्नई के कैंसर सर्जन प्रो. अरविंद कृष्णमूर्ति ने बताया कि आज महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर बेहद आम हो गया है. इसकी सबसे बड़ी वजह देर से शादी करना भी है. क्योंकि प्रकृति ने स्तनपान के लिए महिलाओं की खास उम्र नियत की है. ऐसा न होने पर भविष्य में ब्रेस्ट कैंसर जैसी स्थिति पैदा हो जाती है. इसके साथ ही तमाम ऐसी भी महिलाएं हैं. जो बच्चों को स्तनपान ही नहीं कराती हैं. जिससे भी कैंसर हो रहा है.
इंडियन एसोसिएशन ऑफ सर्जिकल आंकोलाजी के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. राजेंद्र टोपरानी का कहना है कि मुंह, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर शुरुआती स्टेज में पकड़ में आ सकते हैं. यदि किसी के मुंह में अगर तीन हफ्तों से अधिक छाला रहे. यदि महिला के छाती में गांठ महसूस हो. इसके साथ ही यदि महिलाओं के मूत्र में दुर्गंध, मूत्र मार्ग में दर्द या सूजन है. मूत्र मार्ग से खून आ रहा है तो ऐसे लक्षण देखकर कैंसर बनने से पहले पकड़ा जा सकता है. डाॅ. संदीप अग्रवाल ने बताया कि मिडकाॅन 2023 कांफ्रेंस में देशभर के 150 कैंसर विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं. जिसमें विशेषज्ञ यहां पर एमएस, एमसीएच के अलावा पोस्ट ग्रेजुएट विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. जिससे वे इन्हें जानें और सीखें. मिडकान-2023 में कई तरह के कैंसर और उनके इलाज की नई तकनीकियों पर आज मंथन किया जाएगा.
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