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आगरा में लंपी का कहरः 70 गांव में 195 गोवंश लंपी वायरल की चपेट में, छुट्टा गोवंशों से बढ़ रहीं मुश्किलें

आगरा में लंपी वायरस का कहर लगतार बढ़ता ही जा रहा है. अब तक 15 ब्लॉक में 70 गांव के 195 गोवंश लंपी की चपेट में आ चुके हैं. इससे निपटने में सबसे बढ़ी चुनौती छुट्टा गोवंश के लंपी संक्रमित होने से आ रही है.

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आगरा में लंपी वायरस
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Published : Sep 22, 2022, 12:04 PM IST

आगराः आगरा में लंपी वायरस तेजी से पांव पसार रहा है. जिले के 15 ब्लॉक में 70 गांव के 195 गोवंश लंपी की चपेट में आ चुके हैं. हालात बेकाबू होते देखकर प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है. प्रशासन की तरफ से कहा गया है कि लंपी संक्रमित गोवंश वाले क्षेत्र के 10 किमी के दायरे में सघन टीकाकरण कराए जाएं. इसके साथ ही इससे निपटने में सबसे बढ़ी चुनौती छुट्टा गोवंश के लंपी संक्रमित होने से आ रही है. इसलिए पशु पालन विभाग की ओर से कंट्रोल रूम बनाया गया है. जहां पर आठ-आठ घंटे के लिए कर्मचारियों की डयूटी लगाई गई है. जिले में अभी तक एक लाख से ज्यादा गोवंश का टीकाकरण किया जा चुका है. वहीं, ग्रामीण क्षेत्र के किसानों का कहना है कि लगातार शिकायत के बाद भी पशुपालन विभाग के चिकित्सक उनके गोवंश को देखने नहीं आ रहे हैं.

कैसे फैलता है लंपी वायरस

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी विजयवीर चंद्रयाल ने बताया कि लंपी पशुओं का त्वचा संबंधी रोग है. यह संक्रमित रोग है. इस वजह से ये तेजी से फैलता है. लंपी वायरस के वाहक मच्छर, मक्खी और जूं हैं. जब मच्छर, मक्खी या जूं किसी लंपी संक्रमित पशु से होकर स्वस्थ्य पशु पर बैठते हैं तो स्वस्थ्य पशु भी लंपी की चपेट में आ जाता है. इसके साथ ही संक्रमित पशु के दूषित भोजन के सेवन और पानी के पीने से भी स्वस्थ्य मवेशी लंपी के संक्रमण की चपेट में आते हैं.

जानकारी देते मुख्य पशु चिकित्साधिकारी विजयवीर चंद्रयाल

पशु बाड़े में नीम की पत्तियां जलाकर करें धुआं

प्रभारी मुख्य पशु चिकित्साधिकारी विजयवीर चद्रंयाल ने बताया कि लंपी के प्रकोप से बचने और मक्खी, मच्छर और अन्य कीट को दूर भगाने के लिए पशुबाडे़ या तबेले में नीम की पत्तियों का धुंआ करें. ऐसे ही जो गोवंश लंपी संक्रमित हो गए हैं. उनके बाडे़ में भी नीम की पत्तियों का धुआं करें. लंपी संक्रमित गोवंश को दिन में तीन बार फिटकरी के पानी से नहलाएं. फिटकरी के पानी का स्प्रे भी कर सकते हैं. कुछ दिनें तक यही रुटीन फॉलो करें. धीरे धीरे लंपी संक्रमित गोवंश की सेहत में सुधार होगा. आगरा के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी विजयवीर चंद्रयाल ने बताया कि नीम के पत्ते को पानी में उबालकर उसका अर्क बनाएं. उसमें कपूर और लौंग मिलाकर फिर इस लेप को गोवंशों की चमड़ी पर लगाएं. इससे उन्हें राहत मिलेगी. लंपी से बचाव के लिए पशुओं को गॉट पाक्स वैक्सीन लगवाने के निर्देश सरकार से मिले हैं.

उबाल कर पिएं दूध

वैसे तो लंपी संक्रमित गोवंश की दूध देने की क्षमता कम हो जाती है. मगर, लंपी संक्रमित गोवंश का दूध पिया जा सकता है. इसको लेकर घबराएं नहीं. लंपी संक्रमित गोवंश का दूध उबाल कर पिएं, जिससे सभी खतरनाक वायरस और बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं. वैसे भी हमारे यहां पर उबाल कर ही लोग दूध पीते हैं. इसलिए लोगों में लंपी होने का खतरा नहीं है.

लंपी बीमारी के लक्षण

  • गोवंश के पैरों में सूजन आना.
  • गोवंश को तेज बुखार आना.
  • पशु की गर्दन या शरीर पर गांठें निकलना.
  • पशु का चारा खाना छोड़ देना.
  • दूध उत्पादन की क्षमता कम होना.
  • आंख और नाक से पानी आना.

यह करें उपाय

  • नीम के पत्ता डालकर पानी उबालें और फिर उसी पानी से पशु को नहीं लाएं.
  • पशुपालक पहले अपने स्वस्थ पशुओं को चारा दें और पानी पिलाएं.
  • लंपी से संक्रमित पशु को चारा और दवा देने के बाद हाथ जरूर सैनिटाइज करें.
  • मच्छर और मक्खी के चलते पशु बाड़े में मच्छरदानी का उपयोग करें.
  • लंपी से संक्रमित पशु को स्वास्थ्य पशुओं से अलग रखने की व्यवस्था करें.

एक नजर आंकड़ों पर

  • 06 तहसील हैं जिले में.
  • 15 ब्लॉक हैं जिले में.
  • 32 पशु अस्पताल हैं जिले में.
  • 38 पशु सेवा केंद्र हैं जिले में.

ये भी पढ़ेंः जानी दुश्मन बना सांप...युवक को बना रहा लगातार निशाना, 15 दिनों में काटा 8 बार

आगराः आगरा में लंपी वायरस तेजी से पांव पसार रहा है. जिले के 15 ब्लॉक में 70 गांव के 195 गोवंश लंपी की चपेट में आ चुके हैं. हालात बेकाबू होते देखकर प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है. प्रशासन की तरफ से कहा गया है कि लंपी संक्रमित गोवंश वाले क्षेत्र के 10 किमी के दायरे में सघन टीकाकरण कराए जाएं. इसके साथ ही इससे निपटने में सबसे बढ़ी चुनौती छुट्टा गोवंश के लंपी संक्रमित होने से आ रही है. इसलिए पशु पालन विभाग की ओर से कंट्रोल रूम बनाया गया है. जहां पर आठ-आठ घंटे के लिए कर्मचारियों की डयूटी लगाई गई है. जिले में अभी तक एक लाख से ज्यादा गोवंश का टीकाकरण किया जा चुका है. वहीं, ग्रामीण क्षेत्र के किसानों का कहना है कि लगातार शिकायत के बाद भी पशुपालन विभाग के चिकित्सक उनके गोवंश को देखने नहीं आ रहे हैं.

कैसे फैलता है लंपी वायरस

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी विजयवीर चंद्रयाल ने बताया कि लंपी पशुओं का त्वचा संबंधी रोग है. यह संक्रमित रोग है. इस वजह से ये तेजी से फैलता है. लंपी वायरस के वाहक मच्छर, मक्खी और जूं हैं. जब मच्छर, मक्खी या जूं किसी लंपी संक्रमित पशु से होकर स्वस्थ्य पशु पर बैठते हैं तो स्वस्थ्य पशु भी लंपी की चपेट में आ जाता है. इसके साथ ही संक्रमित पशु के दूषित भोजन के सेवन और पानी के पीने से भी स्वस्थ्य मवेशी लंपी के संक्रमण की चपेट में आते हैं.

जानकारी देते मुख्य पशु चिकित्साधिकारी विजयवीर चंद्रयाल

पशु बाड़े में नीम की पत्तियां जलाकर करें धुआं

प्रभारी मुख्य पशु चिकित्साधिकारी विजयवीर चद्रंयाल ने बताया कि लंपी के प्रकोप से बचने और मक्खी, मच्छर और अन्य कीट को दूर भगाने के लिए पशुबाडे़ या तबेले में नीम की पत्तियों का धुंआ करें. ऐसे ही जो गोवंश लंपी संक्रमित हो गए हैं. उनके बाडे़ में भी नीम की पत्तियों का धुआं करें. लंपी संक्रमित गोवंश को दिन में तीन बार फिटकरी के पानी से नहलाएं. फिटकरी के पानी का स्प्रे भी कर सकते हैं. कुछ दिनें तक यही रुटीन फॉलो करें. धीरे धीरे लंपी संक्रमित गोवंश की सेहत में सुधार होगा. आगरा के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी विजयवीर चंद्रयाल ने बताया कि नीम के पत्ते को पानी में उबालकर उसका अर्क बनाएं. उसमें कपूर और लौंग मिलाकर फिर इस लेप को गोवंशों की चमड़ी पर लगाएं. इससे उन्हें राहत मिलेगी. लंपी से बचाव के लिए पशुओं को गॉट पाक्स वैक्सीन लगवाने के निर्देश सरकार से मिले हैं.

उबाल कर पिएं दूध

वैसे तो लंपी संक्रमित गोवंश की दूध देने की क्षमता कम हो जाती है. मगर, लंपी संक्रमित गोवंश का दूध पिया जा सकता है. इसको लेकर घबराएं नहीं. लंपी संक्रमित गोवंश का दूध उबाल कर पिएं, जिससे सभी खतरनाक वायरस और बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं. वैसे भी हमारे यहां पर उबाल कर ही लोग दूध पीते हैं. इसलिए लोगों में लंपी होने का खतरा नहीं है.

लंपी बीमारी के लक्षण

  • गोवंश के पैरों में सूजन आना.
  • गोवंश को तेज बुखार आना.
  • पशु की गर्दन या शरीर पर गांठें निकलना.
  • पशु का चारा खाना छोड़ देना.
  • दूध उत्पादन की क्षमता कम होना.
  • आंख और नाक से पानी आना.

यह करें उपाय

  • नीम के पत्ता डालकर पानी उबालें और फिर उसी पानी से पशु को नहीं लाएं.
  • पशुपालक पहले अपने स्वस्थ पशुओं को चारा दें और पानी पिलाएं.
  • लंपी से संक्रमित पशु को चारा और दवा देने के बाद हाथ जरूर सैनिटाइज करें.
  • मच्छर और मक्खी के चलते पशु बाड़े में मच्छरदानी का उपयोग करें.
  • लंपी से संक्रमित पशु को स्वास्थ्य पशुओं से अलग रखने की व्यवस्था करें.

एक नजर आंकड़ों पर

  • 06 तहसील हैं जिले में.
  • 15 ब्लॉक हैं जिले में.
  • 32 पशु अस्पताल हैं जिले में.
  • 38 पशु सेवा केंद्र हैं जिले में.

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