आगरा: मुगल शहंशाह शाहजहां के 364वें उर्स के अंतिम दिन धूमधाम से 1,221 मीटर लंबी सतरंगी चादर उन्हें पेश की गई. अकीदतमंद ताजमहल के दक्षिण गेट से मुख्य मकबरे तक ढोल-नगाड़े बजाते हुए चादरपोशी करने पहुंचे. सतरंगी चादर को देखकर पर्यटक और जायरीन भी खुशी से झूम उठे.
ऐसा लग रहा था मानों ताजमहल ने सतरंगी चादर ओढ़ ली हो. लोग चादर के साथ सेल्फी और फोटो खिंचवाने को उमड़ पड़े. यह सतरंगी चादर खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी की ओर से पेश की गई. इसके साथ ही सुबह से लेकर देर शाम तक चादर पोशी का सिलसिला ताजमहल में जारी रहा.
दुनिया के सातवें अजूबे में शामिल ताजमहल में शाहजहां का उर्स मंगलवार को गुस्ल की रस्म के साथ शुरू हुआ. बुधवार को ताजमहल के मुख्य मकबरा के तहखाने में स्थित मुगल शहंशाह शाहजहां और उसकी बेगम मुमताज की कब्र पर संदल चढ़ाया गया. गुरुवार सुबह की शुरुआत शहंशाह की कब्र पर कुलशरीफ की रस्म से हुई. इस दौरान मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे और हाफिज ने कुरान के पारे पढ़े. कुरानख्वानी के बाद कलमा और उसके बाद फातिहा पढ़ा गया. गुलपोशी हुई. इसके बाद चादरपोशी और पंखे चढ़ाने का सिलसिला शुरू हुआ, जो देर शाम तक चलता रहा.
इमाम उमर अहमद इलियासी ने बताया कि ताजमहल पूरी दुनिया के लिए एक अमन का पैगाम है. हमेशा से ताजमहल दुनिया में मोहब्बत के नाम से जाना जाता है. आज अमन और प्रेम को फैलाने की जरूरत है. हम सबके धर्म भले ही अलग हो सकते हैं, हमारी जाति अलग हो सकती हैं, पंथ अलग हो सकते हैं, इबादत करने के तरीके अलग हो सकते हैं, लेकिन हम सब भारतीय हैं. हमें भारत को मजबूत करना है. यही पैगाम है. इसी से हमारा देश विश्व गुरु बना है.
खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी के अध्यक्ष ताहिरउद्दीन ताहिर ने बताया कि इस बार ताजमहल पर 1,221 मीटर की सतरंगी चादर पेश गई की गई है. इसे सभी मिलकर बनाते हैं. हिंदू-मुस्लिम ही नहीं, सिख और ईसाई भी चादर लेकर आते हैं. सभी चादरों को जोड़ते हैं. सतरंगी चादर से ताजमहल से दुनिया में एक अमन का पैगाम पहुंचाया जाता है. आज भारत और विश्व में अमन की मन्नत के साथ ही आतंकवादियों के खात्मे की भी दुआ की गई.