आगरा: जिले में लॉकडाउन के तीसरे चरण में बेरोजगारी के साथ गरीबी और भुखमरी की दिल दहला देने वाली तस्वीर सामने आई है, जहां एक मजदूर की बेटी ने भूख और इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया तो वहीं मजदूर की दूसरी बेटी जिंदगी और मौत से जंग लड़ रही है.
दरअसल, लॉकडाउन लगने के कारण बेरोजगार हुए मजदूर के पास कोई काम-धंधा नहीं बचा था. इसका नतीजा यह हुआ कि भूख से मजदूर की एक बेटी की मौत हो गई तो वहीं परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है.
मजदूर के घर की हालत खस्ता
किराए के कमरे में मजदूर का परिवार दयनीय अवस्था में है. मजदूर की दूसरी बेटी बिस्तर पर आधी बेहोशी की हालत में पड़ी है. मुंह पर मां के हाथ का बना पुराना कपड़ा कोरोना के दौर में मास्क का काम कर रहा है. मजदूर की परेशानियों को देखकर पड़ोसियों ने कुछ खाने-पानी की मदद की, लेकिन ये दाना कब तक मजदूर और उसके परिवार की भूख मिटाएगा.
लॉकडाउन की मार झेल रहा परिवार
मजदूर फिटर का काम करता था. लॉकडाउन लगने से काम धंधा-बंद हो गया और मजदूर के माथे पर बेरोजगारी का तमगा लग गया और परिवार की हालत दयनीय होती चली गई. घर चलाने के लिए पैसे चाहिए, लेकिन रोजगार बंद होने से पैसे आए भी तो कहां से. रसोई के बर्तन बेरोजगारी की निशानी बयां कर रहे थे तो घर में पड़ा खाली सिलेंडर लॉकडाउन के असर की दुहाई दे रहा था.
28 अप्रैल को मजूदर की बेटी ने तोड़ा दम
मजदूर राम सिंह की बेटी वैष्णवी ने 28 अप्रैल को भूख और इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया. घर की मजबूरी ऐसी थी कि बच्ची के अंतिम संस्कार के लिए मजूदर राम सिंह के पास पैसे नहीं थे तो लोगों की थोड़ी-थोड़ी मदद से बच्ची का दाह संस्कार हो पाया.
मामले को जिलाधिकारी ने लिया संज्ञान में
इस मामले पर जिलाधिकारी प्रभु नारायण ने ईटीवी भारत की खबर का संज्ञान लेते हुए सीडीओ और एसएन के सीनियर डॉक्टर वीरेंद्र भारती को मजदूर राम सिंह के पास भेजकर उनकी देखभाल करने के निर्देश दिए हैं.
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