आगराः राम नगरी अयोध्या और बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी के बाद अब देश में आगरा की जामा मस्जिद और श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा की चर्चा हो रही है. पहले ही मथुरा जिला अदालत के मामले इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर हो गए हैं. जहां केस की सुनवाई हो रही है. इधर, आगरा की लघु वाद अदालत में भी मामला चल रहा है. मगर, इलाहाबाद हाईकोर्ट के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में प्रतिवादी पक्ष सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं. जहां आगे की सुनवाई हो रही है. ईटीवी भारत ने बहुचर्चित मामले में वादी पक्ष श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह से बातचीत की है.
जामा मस्जिद की सीढ़ियों का एएसआई से सर्वे कराने की मांग
बता दें कि, श्रीकृष्ण जन्मस्थान से शाही मस्जिद ईदगाह हटाने की मांग के मामले की अब इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास की ओर से मथुरा के सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दाखिल किया था जो अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहुंच गया है. इसके साथ ही आगरा की अदालत में जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह निकालने का मामला चल रहा है जिसमें वादी श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट ने जिला जज की अदालत में दायर वाद करके जामा मस्जिद का एएसआई तकनीकी विशेषज्ञों की टीम से सर्वे कराने की मांग कर रहा है.
अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि, प्रतिवादी पक्ष सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि, मामले की सुनवाई मथुरा में हो. जबकि, वह मथुरा के साथ ही आगरा के सभी मामलों की सुनवाई के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में कराने की मांग कर रहे हैं.
अयोध्या की तरह एक बेंच बनाकर प्रतिदिन हो सुनवाई
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट से एक आदेश पारित किया गया है. न्यायधीश अरविंद मिश्रा की पीठ ने आदेश जारी किया था कि ये बड़ा मामला है. राष्ट्रीय महत्व का मुददा है. करोडों हिंदुओं की आस्था से जुड़ा हुआ मामला है. इसलिए, इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में होनी चाहिए. इसके लिए हम तैयार हैं.
अयोध्या की तरह एक बेंच में हो सुनवाई
अधिवक्ता ने बताया कि लेकिन शाही ईदगाह पक्ष के पास कोई दस्तावेज नहीं हैं. वे चाहते हैं कि इन मामले को लिंगर ऑन किया जाए. इसकी सुनवाई ना हो. इसको लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी भी दाखिल की है. जिसमें वह बार-बार यही कहते हैं कि, इस केस की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट की जगह मथुरा के कोर्ट में होनी चाहिए. जबकि उनकी मांग है कि इसकी सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में होनी चाहिए. इसकी सुनवाई के लिए भी अयोध्या की तरह एक बेंच बनाई जाए. इसकी प्रतिदिन सुनवाई हो. सच सबके सामने आना चाहिए. कब तक हिंदू अपने आराध्य के लिए इंतजार करेगा.
अधिवक्ता को मिल चुकी है जान से मारने की धमकी
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह को लेकर उन्होंने एक केस मथुरा जिला अदालत में दाखिल किया था. इसको लेकर उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी. उस धमकी का उन्होंने मुकदमा भी दर्ज कराया गया था. अधिवक्ता ने कहा कि सभी केस की सुनवाई एक साथ हो. आगरा की जामा मस्जिद की सुनवाई भी हाई कोर्ट में हो. उन्हें पुरा विश्वास है कि, एक ना एक दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट आगरा की फाइलों को भी तलब करेगा.
हिंदुओं के धार्मिक स्थल किए गए थे ध्वस्त
अधिवक्ता ने बताया कि केस वहां पर भी चला जाएगा. जिससे इसकी सुनवाई भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में होगी. हाईकोर्ट में 'दूध का दूध' और 'पानी का पानी' जनता के सामने आ जाएगा. मुगलकाल में किस तरह से हिंदुओं पर अत्याचार किए गए. किस तरह से धार्मिक स्थलों को ध्वस्त किया गया. ये जनता के सामने आ जाएगा. ये न्यायालय की प्रक्रिया के तहत इसका पटाक्षेप हो.
किताबों में लिखा है अत्याचार
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मथुरा के केशवदेव मंदिर को तोड़ा गया. वहां से विग्रह आगरा लाया गया. इन विग्रह को जामा मस्जिद की सीढियों के नीचे दबाने का काम मुगल शासक औरंगजेब ने किया. इस बारे में इतिहास की किताबों में भी लिखा है. तमाम दस्तावेज भी उन्होंने कोर्ट में पेश किए हैं जिससे पूरा मामला साफ हो रहा है.
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