आगरा: शहंशाह-ए-हिंदुस्तान मुगल बादशाह शाहजहां के 367वें उर्स पर आज हर साल की भांति हिन्दुस्तानी सतरंगी चादर चढ़ाई जाएगी, जो हिंदू-मुस्लिम एकता और सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल है. 40 साल पहले 100 मीटर की लंबाई से हनुमान मंदिर से शुरू की गई मन्नत और आस्था की हिन्दुस्तानी सतरंगी चादर अब 1381 मीटर लंबी हो गई है. आज हम बात करेंगे उस हिन्दुस्तानी सतरंगी चादर की खासियत और आस्था की, जो आज शांति की दूत है. वहीं हर साल की तरह इस बार भी चादरपोशी के साथ मोहब्बत की निशानी से दुनिया में अमन चैन की दुआ की जाएगी. बता दें कि मुगल शहंशाह शाहजहां का उर्स हर साल हिजरी कैलेंडर के रजब माह के 25, 26 और 27 तारीख को मनाया जाता है. इस साल 27 फरवरी से शहंशाह शाहजहां का 367वां उर्स शुरू हुआ था और उर्स के आखिरी दिन एक मार्च यानी आज कुल के छींटों के साथ कुरानख्वानी, फातिहा और चादरपोशी होगी. ये चादरपोशी शाम तक चलेगी.
40 साल पहले चढ़ाई गई थी 100 मीटर की चादर
खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी के प्रेसिडेंट हाजी ताहिरुद्दीन ताहिर बताते हैं कि आज से करीब 40 साल पहले जब मेरी उम्र करीब 22 साल रही होगी. तब शाहजहां के उर्स में यह चादरपोशी शुरू की थी. पहले मेरे परिवार के सदस्य ही चादरपोशी करते थे. खैर, मैंने इसका रूप बदल दिया है. आज से 25 साल पहले हम सब ने इसे हिन्दुस्तानी सतरंगी चादर नाम दिया था. आगे उन्होंने कहा कि यह चादर न मेरे खानदान की है, न आपके खानदान की. यह हिन्दुस्तान की चादर है. यह चादर हिन्दू-मुस्लिम, सिख और ईसाई की है. सभी इसे मिलकर बनाते हैं. सभी हर्षोल्लास के साथ उर्स मनाते हैं.
सब मिलकर बनाते हैं चादर
बिलाल खान का कहना है कि हिन्दुस्तानी सतरंगी चादर की साफ सफाई और बनाने का काम 20 दिन पहले शुरू हो जाता है. लोग जो कपड़ा देकर जाते हैं, उसे पहले धोते हैं और उस कपड़े को प्रैस करते हैं. इसके बाद सिलाई की जाती है और घोटा लगाया जाता है. खैर, इस काम को सब मिलकर करते हैं. वहीं, जॉनी मोडवानी का कहना है कि मैं कई साल पहले हिन्दुस्तानी सतरंगी चादर से जुड़ा था, तभी से चादरपोशी में शामिल होता आ रहा हूं. यह हिन्दू-मुस्लिम, सिख और ईसाई की भावनाओं की चादर है. सभी साथ मिलकर चादरपोशी करते हैं और फिर लंगर करते हैं.
पांच साल में 511 मीटर लंबी हुई सतरंगी चादर
खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी के प्रेसिडेंट हाजी ताहिरुद्दीन ताहिर कहते हैं कि धीरे-धीरे लोग इससे जुड़ते गए और हिन्दुस्तानी सतरंगी चादर की लंबाई भी बढ़ती गई. शाहजहां के 361वें उर्स में 870 मीटर लंबी हिन्दुस्तानी सतरंगी चादर चढ़ाई गई थी, जो बीते साल 12 मार्च, 2021 को शाहजहां के उर्स के अंतिम दिन 1331 मीटर लंबी हिन्दुस्तानी सतरंगी चादर चढ़ाई गई थी. जिसमें मुख्य अतिथि चीफ इमाम ऑफ इंडिया डॉ. इमाम उमेर अहमद इलियासी थे. इस सतरंगी चादर की चादरपोशी से जहां प्रेम और सद्भावना का संदेश दिया गया था. वहीं, दुनिया से कोरोना के खात्मा की दुआ भी की गई थी. इस बार खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी की ओर से उर्स के लिए 1381 मीटर लंबी हिन्दुस्तानी सतरंगी चादर तैयार हुई है. जब हिन्दुस्तानी सतरंगी चादर की लंबाई 2000 मीटर हो जाएगी तो इसमें लगा कपड़ा गरीब और जरूरतमंदों में बांट दिया जाएगा. फिर इसके बाद 100 मीटर से चादरपोशी शुरू किया जाएगा.
विश्व शांति की चादरपोशी कर मांगेंगे दुआ
खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी के प्रेसिडेंट हाजी ताहिरुद्दीन ताहिर का कहना है कि शाहजहां के उर्स में हिन्दुस्तानी सतरंगी चादरपोशी के बाद देश और दुनिया में अमन चैन की दुआ की जाती है. इस बार दुनिया में कोरोना का कहर है. इसके साथ ही रूस और यूक्रेन के युद्ध से विश्व युद्ध की आहट दिखाई दे रही है. इसलिए हम सब हिन्दुस्तानी सतरंगी चादर की चादरपोशी के साथ ही रूस और यूक्रेन में शांति के लिए दुआ मांगेंगे.
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