आगरा: जिले में आज से एक साल पहले गांव-गांव बिक रही सस्ती मौत यानी कि जहरीली शराब ने खूब कहर ढाया था. इससे जिले के छह से अधिक गांव में एक के बाद एक 18 लोगों की मौत हुई थी. इसकी वजह से आगरा से लखनऊ तक हड़कंप मच गया था. जहरीली शराब के सेवन से जहां कई महिलाओं की मांग सूनी हो गई तो वहीं कई मासूम अनाथ हो गए थे. जब जहरीली शराब कांड से हाहाकार मचा तो अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने गांव गांव जाकर पीड़ित परिवारों के आंसू पोंछें. परिवारों से तमाम वायदे किए गए लेकिन, एक साल बाद जब ईटीवी भारत की टीम रक्षाबंधन पर गांव कौलारा कलां में जहरीली शराब के सेवन से जान गंवाने वाले अनिल, रामवीर और राधेश्याम की विधवाओं से मिली तो उनकी आंख भर आई. तीनों ही परिवार आर्थिक तंगी की वजह से भुखमरी की कगार पर हैं. पीड़ित परिवारों का आरोप है कि सरकार ने तब जो वायदे किए गए थे. वह एक साल बाद भी अधूरे हैं. देखिये यह रिपोर्ट
टीनशेड में चार बच्चों संग रहने को मजबूर रूपवती
गांव कोलारा कलां के अनिल की मौत जहरीली शराब के सेवन से हुई थी. इसके बाद उसकी पत्नी रूपवती के कंधों पर तीन बेटे और एक बेटी की परिवरिश आ गई थी. रूपवती का कहना है कि, सबसे बड़ी समस्या बच्चों के पेट पालने की है. भीख मांगकर बच्चों को पाल रही हूं. पति की मौत के बाद कोटेदार ने पति और बच्चों के नाम राशन कार्ड से नाम काट दिए. लगातार चक्कर लगा रही हूं. लेकिन, अभी तक बच्चों के नाम राशन कार्ड में नहीं जुडे़ हैं. पांच किलो अनाज मिलता है. हालात ऐसे हैं कि, कई बार खुद और बच्चें भूखे पेट रहते हैं. बीते तीन माह से राशन भी नहीं मिला है. बच्चे छोटे हैं. कुछ काम नहीं कर सकते हैं. ऐसे में मैं स्वंय सहायता समूह बनाने का काम अब करने लगी हूं.
रूपवती का कहना है कि, सरकार से मुझे 60 गज जमीन और 30 हजार रुपए मिले हैं. एक जनप्रतिनिधि ने 20 हजार रुपए और दिए थे. कहा था कि, बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी उठाएंगे. लेकिन, अब कोई पूछने भी नहीं आता है. टीनशेड में गुजर बसर कर रही हूं. अधिकारियों ने आवास और पेंशन का वायदा किया था मगर, वो भी नहीं मिला है. मेरी, सरकार से यही मांग है कि,बच्चों के सर पर छत हो जाए. बच्चों की पढ़ाई ठीक हो और राशन की व्यवस्था हो जाए.
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न पेंशन मिली और न आवास
सुनीता ने बताया कि, पति राधेश्याम की मौत के बाद उस पर पहाड टूटा है. जैसे तैसे बडे़ बेटे की शादी की थी कि, बहू आएगी तो सहारा मिलेगा. मगर, बहू आते ही बेटा भी बदल गया और आगरा छोड़कर नौकरी करने चला गया है. वह कुछ देता नहीं है. एक बेटा और है. मेहनत मजदूरी करके परिवार को पाल रही हूं. न पेंशन मिल रही है और न ही आवास मिला है. बेटी की शादी होनी बाकी है. उसकी भी चिंता सता रही है. सरकार से मांग है कि बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था करे. आवास मिले और पेंशन भी दिलाए.
नाबालिग बेटे की मजदूरी से गुजर बसर
दीपा ने बताया कि पति रामवीर की मौत के बाद परिवार भुखमरी के कगार पर है. एक नाबालिग बेटा है. वह मजदूरी करता है. जब उसे काम मिल जाता है तो रोटी का जुगाड़ हो जाता है. भाई के मकान में रहती हूं. मेरे पास तो घर भी नहीं है. सरकार से 60 गज जमीन मिली है. एक बीघा जमीन, आवास का वायदा किया गया था मगर, कुछ नहीं मिला है. न ही मुझे पेंशन मिल रही है. सरकार से यही मांग है कि, आवास मिले और पेंशन भी मिले.
जहरीली शराब बेचने वाली जेल में
ग्रामीण हाकिम ने बताया कि, बीते साल हुई जहरीली शराब पीने के बाद हुई मौत से लोगों का शराब पीना कम हो गया है क्योंकि, पहले गांव में अवैध शराब बिकती थी जो अब बंद है. अवैध शराब बेचने वाले दंपती जेल में है. वह उधार भी शराब देता था. अब ठेका से नगद शराब मिलती है इसलिए भी पीने वाले कम हो गए हैं. ग्रामीण नवनीत शर्मा ने बताया कि बीते साल के जहरीली शराब कांड से गांव में शराब पीने वालों की संख्या कम हुई है. गांव में जहरीली शराब बिक नहीं रही है.
इन थानाक्षेत्रों में हुई थीं मौतें
आगरा जिले में रक्षाबंधन पर शराब पीने से डौकी थाना क्षेत्र के गांव कौलारा कलां में तीन, बरकुला में एक, ताजगंज के नगला देवरी में चार, शमसाबाद और इरादतनगर में 10 की मौत हुई थी. नौ मुकदमे दर्ज किए गए थे. इनमें से सस्ती मौत बांटने वाले 12 से अधिक लोगों पर कार्रवाई की गई थी. इसमें देशी ठेका शराब संचालक, सैल्समेन, अन्य आरोपी अभी जेल गए. इसमें से कई अभी जेल में हैं. इसके साथ ही आबकारी विभाग ने कई निरीक्षक को निलंबित किया था. पुलिसकर्मियों में पर भी गाज गिरी थी.
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