आगरा: एलोपैथी रेडीमेड दवा और होम्योपैथी टेलरमेड दवा है. यानी व्यक्ति की बीमारी मानसिक स्थिति सहित तमाम बारीकियां जानने के बाद होम्योपैथी की दवा दी जाती है. जिससे सभी बीमारियों के 80 फीसदी मरीजों को होम्योपैथी इलाज से ठीक किया जा सकता है. लेकिन, वर्तमान में दोनों साइंस को जोड़ने की आवश्यकता है. मरीजों के हित में जहां जिसका लाभ अधिक हो वही उपयोग में लाई जानी चाहिए. क्योंकि, आज इंटीग्रेटिड मेडिसिन का जमाना है. जिसे बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने आयुष (आयुर्वेद, योगा, यूनानी, सिद्धा, होम्योपैथी) मिनिस्ट्री का गठन किया है.
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ होम्योपैथी फिजीशियन्स (आईआईएचपी) की रविवार को एक दिवसीय कार्यशाला फतेहाबाद होटल में आयोजित हुई. इसमें लुधियाना के डॉ. मुक्तेन्दर ने कहा कि ऐलोपैथी में बीमारी को कंट्रोल किया जाता है. जबकि, होम्योपैथी में उसका जड़ से इलाज किया जाता है. इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है. जीवन भर इलाज से बेहतर है कि 3-4 वर्ष के इलाज से बीमारी को खत्म कर दिया जाए. उन्होंने कहा कि आज इंटीग्रेटिड मेडिसिन का जमाना है. जहां जो विज्ञान बेहतर परिमाम दे उसे अपनाया जाए. ऐलोपैथी में बीपी, थायरॉयड, शुगर जैसी बीमारियों का इलाज नहीं. जबकि, होम्योपैथी में उन्हें ठीक किया जा सकता है. होम्योपैथी से लिवर, किडनी ट्रांसप्लांट, कैंसर जैसे मरीजों को ठीक किया गया है.
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किडनी रिप्लेसमेंट की आवश्यकता ही नहीं पड़ी: आईआईएचपी के अध्यक्ष डॉ. तनवीर हुसैन ने व्याख्यान दिया कि किडनी फैलियोर के मरीज को होम्योपैथी दवा से ठीक किया है. उन्होंने बताया कि 10 माह के इलाज के बीद किडनी रिप्लेसमेंट की आवश्यकता ही नहीं पड़ी. न ही इलाज के दौरान कोई डायलिसिस की आवश्यकता पड़ी. महाराष्ट्र के जलगांव से आये डॉ. जसवन्त पाटिल ने हृदय और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों पर व्याख्यान दिया. कार्यशाला में आईआईएचपी के सेन्ड्रल बॉडी के सचिव डॉ. सुधांशु आर्य, कोषाध्यक्ष डॉ. महेश पगड़ाला (हैदराबाद), उपाध्यक्ष डॉ. गीता मोविया ने भी विभिन्न बीमारियों पर व्याख्यान दिया.
मानसिक परेशानी से जुड़ी है हर बीमारी: आईआईएचपी के अध्यक्ष डॉ. तनवीर हुसैन ने बताया कि मरीज की मनसिकता को समझना बहुत जरूरी है. होम्योपैथी का सही इलाज करने के लिए मानसिकता समझना बेहद जरूरी है. हर बीमारी के पीछे कोई न कोई मानसिक समस्या अवश्य होती है. मानसिक समस्या से नींद गायब होती है. जिससे व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला मेलाटोनिन होर्मोन का बनना कम हो जाता है. यानी तनाव और अनिद्रा की समस्या व्यक्ति की प्रतिरोधकता को कम कर देती है. जिसके कारण सबसे पहले व्यक्ति को आनुवांशिक बीमारियां पकड़ने लगती है. गुर्दे की समस्या का मुख्य कारण मन का डर, गुस्से को अन्दर ही अन्दर पीना, लिवर की समस्या और पित्ताशय की पथरी का कारण है. हृदय रोग के लिए चिंता और फेफड़ों की समस्या के लिए कोई सदमा जिम्मेदार है. होम्योपैथी दवाओं में व्यक्ति के तनाव को दूर कर उसकी प्रतिरोधकता बढ़ाने की क्षमता है.
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