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एक बार फिर टली जामा मस्जिद मामले की सुनवाई, जानिए क्या है विवाद और इतिहास

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Published : May 31, 2023, 3:31 PM IST

Updated : May 31, 2023, 4:17 PM IST

आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबी भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह और मूतियों के मामले में 31 मई को होने वाली सुनवाई टल गई है. मामले में चार में से दो ही पक्षकार को नोटिस तामील हुए हैं. अब मामले में अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी.

जामा मस्जिद
जामा मस्जिद

आगराः आगरा सिविल जज (प्रवर खंड) में आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबी भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह और मूतियों के विवाद में बुधवार को सुनवाई नहीं हुई. इस बारे में श्रीकृष्ण जन्मभूमि सुरक्षा सेवा ट्रस्ट ने याचिका दायर की थी, जिसमें चार में से दो ही पक्षकार को नोटिस तामील हुए हैं. अब इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 11 जुलाई है.

यह है ​विवाद
बता दें कि मथुरा कोर्ट में पहले से ही आगरा की जामा मस्जिद को लेकर विवाद चल रहा है, जिसकी सुनवाई चल रही है. इधर 11 मई को श्रीकृष्ण जन्मभूमि सुरक्षा सेवा ट्रस्ट ने न्यायालय सिविल जज (प्रवर खंड), आगरा में वाद संख्या 518 / 23 दायर किया था. जिसमें न्यायालय से जामा मस्जिद की सीढ़ियों में दबी भगवान केशवदेव के विग्रहों को वापस दिलवाने की प्रार्थना की गई है. इसकी पहली सुनवाई 31 मई को होनी थी.

इन्हें दिया गया था नोटिस
श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट की ओर से कोर्ट में दायर वाद को लेकर जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी, छोटी मस्जिद, दीवान-ए-खास, जहांआरा मस्जिद आगरा किला, यूपी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ और श्रीकृष्ण सेवा संस्थान को नोटिस भेजा था. इसके तहत चारों को अपना पक्ष 31 मई को कोर्ट में रखना था. श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता मनोज पांडेय ने बताया कि जज ने आज फिर दो पक्षकार को नोटिस इश्यू किए हैं. इसके साथ ही जज साहब ने अमीन सर्वे के लिए 11 जुलाई की तिथि दी है.

दुनिया की सबसे अमीर शहजादी जहांआरा ने बनवाई थी जामा मस्जिद
वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि मुगल शहंशाह शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा थी. जहांआरा उस समय दुनिया की सबसे अमीर शहजादी थी. उसे तब करीब 2 करोड रुपये का सालाना वजीफा (जेब खर्च) मिलता था. मुगल बादशाह शाहजहां की रजामंदी पर जहांआगरा ने अपने वजीफा (जेब खर्च) की पांच लाख रुपये से आगरा में जामा मस्जिद का निर्माण कराया था.

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शहजादी जहांआरा ने बनवाई थी जामा मस्जिद

सन् 1643 से 1648 के बीच लाल बलुआ पत्थर से जामा मस्जिद का निर्माण हुआ था. जामा मस्जिद में तीन गुंबद हैं. जामा मस्जिद 271 फुट लंबी और 270 फीट चौड़ी है. इसकी दीवार में ज्यामितीय आकृति की टाइल्स लगीहैं. जामा मस्जिद में एक साथ 10 हजार लोगों के नमाज पढ़ने की व्यवस्था है. हर साल 20वें रमजान को जहांआरा का उर्स जामा मस्जिद में मनाया जाता है. यह भारत पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की संरक्षित स्मारक में शामिल है.

पढ़ेंः क्यों चर्चा में है 375 साल पुरानी ये मस्जिद, जिसे शहजादी ने अपने जेबखर्च से बनवाया था

औरंगजेब ने मूर्तियां दबाईं थी
वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि 16वीं शताब्दी के सातवें दशक में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त कराया था. केशवदेव मंदिर की मूर्तियों के साथ ही तमाम पुरावशेष आगरा में लाए गए. इन सभी मूर्तियों और पुरावशेष को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया गया था. औरंगजेब ने यह इसलिए किया था कि, मस्जिद में आने वाले नमाजियों के पैरों के नीचे ये मूर्तियां और विग्रह रहें. औरंगजेब का यह बहुत ही निंदनीय कार्य था, लेकिन इन मूर्तियों को अब वहां से बाहर निकाला जाना चाहिए.

औरंगजेब के इस कृत्य का पुस्तकों में विस्तार से जिक्र
वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबी भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों के साथ अन्य विग्रहों के बारे में तमाम इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में लिखा है. सन् 1940 में एसआर शर्मा ने 'भारत में मुगल साम्राज्य' नाम से लिखी किताब में मूर्तियों को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के दबाए जाने का जिक्र है.

औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां ने अपनी पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगीरी' में इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक 'ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब' में, मेरी पुस्तक 'तवारीख़-ए-आगरा' में और मथुरा के महशहूर साहित्यकार प्रो. चिंतामणि शुक्ल की पुस्तक ' मथुरा जनपद का राजनीतिक इतिहास' में भी जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबाने का विस्तार से जिक्र किया है. इन मूर्तियों को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे से निकालने से यह पता चल जाएगा कि, मथुरा के केशवदेव मंदिर में भगवान श्री कृष्ण समेत अन्य तमाम देवी देवताओं की मूर्तियां और विग्रह किस तरह के थे.

पढ़ेंः मुगलिया सल्तनत की इस अमीर शहजादी ने बनवाई थी आगरा की जामा मस्जिद, खर्च और खासियत जानकर हो जाएंगे हैरान

आगराः आगरा सिविल जज (प्रवर खंड) में आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबी भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह और मूतियों के विवाद में बुधवार को सुनवाई नहीं हुई. इस बारे में श्रीकृष्ण जन्मभूमि सुरक्षा सेवा ट्रस्ट ने याचिका दायर की थी, जिसमें चार में से दो ही पक्षकार को नोटिस तामील हुए हैं. अब इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 11 जुलाई है.

यह है ​विवाद
बता दें कि मथुरा कोर्ट में पहले से ही आगरा की जामा मस्जिद को लेकर विवाद चल रहा है, जिसकी सुनवाई चल रही है. इधर 11 मई को श्रीकृष्ण जन्मभूमि सुरक्षा सेवा ट्रस्ट ने न्यायालय सिविल जज (प्रवर खंड), आगरा में वाद संख्या 518 / 23 दायर किया था. जिसमें न्यायालय से जामा मस्जिद की सीढ़ियों में दबी भगवान केशवदेव के विग्रहों को वापस दिलवाने की प्रार्थना की गई है. इसकी पहली सुनवाई 31 मई को होनी थी.

इन्हें दिया गया था नोटिस
श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट की ओर से कोर्ट में दायर वाद को लेकर जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी, छोटी मस्जिद, दीवान-ए-खास, जहांआरा मस्जिद आगरा किला, यूपी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ और श्रीकृष्ण सेवा संस्थान को नोटिस भेजा था. इसके तहत चारों को अपना पक्ष 31 मई को कोर्ट में रखना था. श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता मनोज पांडेय ने बताया कि जज ने आज फिर दो पक्षकार को नोटिस इश्यू किए हैं. इसके साथ ही जज साहब ने अमीन सर्वे के लिए 11 जुलाई की तिथि दी है.

दुनिया की सबसे अमीर शहजादी जहांआरा ने बनवाई थी जामा मस्जिद
वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि मुगल शहंशाह शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा थी. जहांआरा उस समय दुनिया की सबसे अमीर शहजादी थी. उसे तब करीब 2 करोड रुपये का सालाना वजीफा (जेब खर्च) मिलता था. मुगल बादशाह शाहजहां की रजामंदी पर जहांआगरा ने अपने वजीफा (जेब खर्च) की पांच लाख रुपये से आगरा में जामा मस्जिद का निर्माण कराया था.

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शहजादी जहांआरा ने बनवाई थी जामा मस्जिद

सन् 1643 से 1648 के बीच लाल बलुआ पत्थर से जामा मस्जिद का निर्माण हुआ था. जामा मस्जिद में तीन गुंबद हैं. जामा मस्जिद 271 फुट लंबी और 270 फीट चौड़ी है. इसकी दीवार में ज्यामितीय आकृति की टाइल्स लगीहैं. जामा मस्जिद में एक साथ 10 हजार लोगों के नमाज पढ़ने की व्यवस्था है. हर साल 20वें रमजान को जहांआरा का उर्स जामा मस्जिद में मनाया जाता है. यह भारत पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की संरक्षित स्मारक में शामिल है.

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औरंगजेब ने मूर्तियां दबाईं थी
वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि 16वीं शताब्दी के सातवें दशक में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त कराया था. केशवदेव मंदिर की मूर्तियों के साथ ही तमाम पुरावशेष आगरा में लाए गए. इन सभी मूर्तियों और पुरावशेष को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया गया था. औरंगजेब ने यह इसलिए किया था कि, मस्जिद में आने वाले नमाजियों के पैरों के नीचे ये मूर्तियां और विग्रह रहें. औरंगजेब का यह बहुत ही निंदनीय कार्य था, लेकिन इन मूर्तियों को अब वहां से बाहर निकाला जाना चाहिए.

औरंगजेब के इस कृत्य का पुस्तकों में विस्तार से जिक्र
वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबी भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों के साथ अन्य विग्रहों के बारे में तमाम इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में लिखा है. सन् 1940 में एसआर शर्मा ने 'भारत में मुगल साम्राज्य' नाम से लिखी किताब में मूर्तियों को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के दबाए जाने का जिक्र है.

औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां ने अपनी पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगीरी' में इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक 'ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब' में, मेरी पुस्तक 'तवारीख़-ए-आगरा' में और मथुरा के महशहूर साहित्यकार प्रो. चिंतामणि शुक्ल की पुस्तक ' मथुरा जनपद का राजनीतिक इतिहास' में भी जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबाने का विस्तार से जिक्र किया है. इन मूर्तियों को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे से निकालने से यह पता चल जाएगा कि, मथुरा के केशवदेव मंदिर में भगवान श्री कृष्ण समेत अन्य तमाम देवी देवताओं की मूर्तियां और विग्रह किस तरह के थे.

पढ़ेंः मुगलिया सल्तनत की इस अमीर शहजादी ने बनवाई थी आगरा की जामा मस्जिद, खर्च और खासियत जानकर हो जाएंगे हैरान

Last Updated : May 31, 2023, 4:17 PM IST
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