आगरा: ताजमहल की पश्चिमी दीवार से सटे बाग खान-ए-आलम से आगे बसई घाट पर की पक्की सीढ़ियों का घाट था. इस राज से पर्दा हाल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की ओर से बाग के भूमिगत नाले की सफाई और खुदाई से उठा है. खुदाई में बसई घाट की पक्की दो सीढ़ियां निकलीं हैं. इसको लेकर एक बार फिर ताजमहल चर्चाओं में हैं.
क्या है पूरा मामला
- ताजमहल परिसर के पानी निकासी के लिए पश्चिमी दीवार से सटा एक भूमिगत नाला है.
- यह नाला बाग खान-ए-आलम से निकलता है.
- एएसआई की ओर से नाले की खुदाई की गई तो यमुना किनारे बसई घाट पर सीढ़ियों की आकृतियां निकलीं.
- बसई घाट स्थित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर के बाबा वेद प्रकाश ने बताया कि यहां पर पक्का घाट था. इसके फोटोग्राफ हमारे पास हैं.
- सन 1978 में जो बाढ़ आई थी, उस समय यमुना ताजमहल से सटकर बहती थी.
- ताजमहल की पश्चिमी दीवार को कोई नुकसान न पहुंचे इसलिए बसई घाट में मिट्टी और पत्थर के बड़े-बड़े टुकड़ों को डाला गया था और इसी वजह से बसई घाट दब गया.
दोनों घाट ताजमहल से पहले के है
- ताजगंज के स्थानीय निवासी निरंजन सिंह राठौर ने बताया कि ताजमहल के दोनों ओर बसई घाट और दशहरा घाट प्राचीन घाट हैं.
- उन्होंने कहा कि यह दोनों घाट ताजमहल से पहले के हैं. इनका अपना इतिहास है. लेकिन एएसआई इस ओर ध्यान नहीं दे रहा था.
- उन्होंने कहा कि अगर इन घाटों को अच्छी तरह से जीर्णोद्धार करके सौंदर्यीकरण किया जाएगा, तो यहां पर टूरिस्ट आएंगे और उन्हें बहुत अच्छा लगेगा.
ताजमहल की पश्चिमी दीवार से सटे बाग खान-ए-आलम के पास के भूमिगत नाले की सफाई और खुदाई के दौरान यमुना किनारे दो पक्की सीढ़ी नुमा आकृति मिली हैं. अभी खुदाई की जा रही है. हम उस समय के फोटोग्राफ्स और अन्य दस्तावेजों को भी तलाश रहे हैं.
वसंत कुमार स्वर्णकार, एएसआई अधीक्षण पुरातत्वविद