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ताजमहल के पास नाले की खुदाई में निकला पक्की सीढ़ियों का घाट, 1978 की बाढ़ में गया था डूब - ताजमहल के पास खुदाई में मिली सीढ़ियां

ताजमहल परिसर में एएसआई की ओर से यमुना किनारे नाले की खुदाई की गई तो बसई घाट पर सीढ़ियां मिली. सीढ़ियों के मिलने से एक बार फिर ताजमहल चर्चा में है. हालांकि खुदाई अभी जारी है और एएसआई अधीक्षण पुरातत्वविद जांच में जुटे हैं.

जानकारी देते स्थानीय लोग.
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Published : Jun 18, 2019, 1:38 PM IST

Updated : Jun 20, 2019, 2:15 PM IST

आगरा: ताजमहल की पश्चिमी दीवार से सटे बाग खान-ए-आलम से आगे बसई घाट पर की पक्की सीढ़ियों का घाट था. इस राज से पर्दा हाल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की ओर से बाग के भूमिगत नाले की सफाई और खुदाई से उठा है. खुदाई में बसई घाट की पक्की दो सीढ़ियां निकलीं हैं. इसको लेकर एक बार फिर ताजमहल चर्चाओं में हैं.

जानकारी देते स्थानीय लोग.

क्या है पूरा मामला

  • ताजमहल परिसर के पानी निकासी के लिए पश्चिमी दीवार से सटा एक भूमिगत नाला है.
  • यह नाला बाग खान-ए-आलम से निकलता है.
  • एएसआई की ओर से नाले की खुदाई की गई तो यमुना किनारे बसई घाट पर सीढ़ियों की आकृतियां निकलीं.
  • बसई घाट स्थित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर के बाबा वेद प्रकाश ने बताया कि यहां पर पक्का घाट था. इसके फोटोग्राफ हमारे पास हैं.
  • सन 1978 में जो बाढ़ आई थी, उस समय यमुना ताजमहल से सटकर बहती थी.
  • ताजमहल की पश्चिमी दीवार को कोई नुकसान न पहुंचे इसलिए बसई घाट में मिट्टी और पत्थर के बड़े-बड़े टुकड़ों को डाला गया था और इसी वजह से बसई घाट दब गया.

दोनों घाट ताजमहल से पहले के है

  • ताजगंज के स्थानीय निवासी निरंजन सिंह राठौर ने बताया कि ताजमहल के दोनों ओर बसई घाट और दशहरा घाट प्राचीन घाट हैं.
  • उन्होंने कहा कि यह दोनों घाट ताजमहल से पहले के हैं. इनका अपना इतिहास है. लेकिन एएसआई इस ओर ध्यान नहीं दे रहा था.
  • उन्होंने कहा कि अगर इन घाटों को अच्छी तरह से जीर्णोद्धार करके सौंदर्यीकरण किया जाएगा, तो यहां पर टूरिस्ट आएंगे और उन्हें बहुत अच्छा लगेगा.

ताजमहल की पश्चिमी दीवार से सटे बाग खान-ए-आलम के पास के भूमिगत नाले की सफाई और खुदाई के दौरान यमुना किनारे दो पक्की सीढ़ी नुमा आकृति मिली हैं. अभी खुदाई की जा रही है. हम उस समय के फोटोग्राफ्स और अन्य दस्तावेजों को भी तलाश रहे हैं.
वसंत कुमार स्वर्णकार, एएसआई अधीक्षण पुरातत्वविद

आगरा: ताजमहल की पश्चिमी दीवार से सटे बाग खान-ए-आलम से आगे बसई घाट पर की पक्की सीढ़ियों का घाट था. इस राज से पर्दा हाल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की ओर से बाग के भूमिगत नाले की सफाई और खुदाई से उठा है. खुदाई में बसई घाट की पक्की दो सीढ़ियां निकलीं हैं. इसको लेकर एक बार फिर ताजमहल चर्चाओं में हैं.

जानकारी देते स्थानीय लोग.

क्या है पूरा मामला

  • ताजमहल परिसर के पानी निकासी के लिए पश्चिमी दीवार से सटा एक भूमिगत नाला है.
  • यह नाला बाग खान-ए-आलम से निकलता है.
  • एएसआई की ओर से नाले की खुदाई की गई तो यमुना किनारे बसई घाट पर सीढ़ियों की आकृतियां निकलीं.
  • बसई घाट स्थित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर के बाबा वेद प्रकाश ने बताया कि यहां पर पक्का घाट था. इसके फोटोग्राफ हमारे पास हैं.
  • सन 1978 में जो बाढ़ आई थी, उस समय यमुना ताजमहल से सटकर बहती थी.
  • ताजमहल की पश्चिमी दीवार को कोई नुकसान न पहुंचे इसलिए बसई घाट में मिट्टी और पत्थर के बड़े-बड़े टुकड़ों को डाला गया था और इसी वजह से बसई घाट दब गया.

दोनों घाट ताजमहल से पहले के है

  • ताजगंज के स्थानीय निवासी निरंजन सिंह राठौर ने बताया कि ताजमहल के दोनों ओर बसई घाट और दशहरा घाट प्राचीन घाट हैं.
  • उन्होंने कहा कि यह दोनों घाट ताजमहल से पहले के हैं. इनका अपना इतिहास है. लेकिन एएसआई इस ओर ध्यान नहीं दे रहा था.
  • उन्होंने कहा कि अगर इन घाटों को अच्छी तरह से जीर्णोद्धार करके सौंदर्यीकरण किया जाएगा, तो यहां पर टूरिस्ट आएंगे और उन्हें बहुत अच्छा लगेगा.

ताजमहल की पश्चिमी दीवार से सटे बाग खान-ए-आलम के पास के भूमिगत नाले की सफाई और खुदाई के दौरान यमुना किनारे दो पक्की सीढ़ी नुमा आकृति मिली हैं. अभी खुदाई की जा रही है. हम उस समय के फोटोग्राफ्स और अन्य दस्तावेजों को भी तलाश रहे हैं.
वसंत कुमार स्वर्णकार, एएसआई अधीक्षण पुरातत्वविद

Intro:आगरा.
ताजमहल की पश्चिमी दीवार से सटे बाग खान-ए- आलम से आगे बसई घाट पर की पक्की सीढ़ियों का घाट था. इस राज से पर्दा हाल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की ओर से बाग खान-ए- आलम के भूमिगत नाले की सफाई और खुदाई से उठा है. खुदाई में बसई घाट की पक्की दो सीढ़ियां निकलीं हैं. इसको लेकर एक बार फिर ताजमहल चर्चाओं में हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि, ताजमहल से प्राचीन बसई घाट पर स्थित सिद्धेश्वर महादेव जी का मंदिर है. सन् 1978 में आई बाढ़ को देखकर ताजमहल की पश्चिमी दीवार को नुकसान न पहुंचे. इसलिए यहां पर मिट्टी और पत्थर के टुकड़ों डाले गए. जिसके नीचे बसई घाट की पक्की सीढ़ियां दब गईं. अब जब एएसआई ने भूमिगत नाले की सफाई के लिए खुदाई की तो बसई घाट की सीढ़ियां निकल रही हैं.



Body:एएसआई की खुदाई के बाद यह साफ हो गया कि ताजमहल के दोनों ओर यमुना किनारे पक्के घाट थे. जिनमें पर पूर्वी दीवार के पास दशहरा घाट तो पश्चिमी दीवार से सटा बसई घाट था. दोनों घाट की सीढ़ियां भी पक्की थी. ताजमहल परिसर के पानी की निकासी के लिए पश्चिमी दीवार से सटा एक भूमिगत नाला है. यह नाला बाग खान-ए-आलम से निकलता है. एएसआई की ओर से नाले की खुदाई की गई तो यमुना किनारे बसई घाट पर मजदूरों को सीढ़ियों की आकृतियां निकलीं. अभी खुदाई का काम चल रहा है.
बसई घाट घाट स्थित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर के बाबा वेद प्रकाश ने बताया कि यहां पर पक्का घाट था इसके फोटोग्राफी हमारे पास हैं. सन् 1978 में जो बाढ़ आई थी. उस समय यमुना ताजमहल से सटकर बहती थी. पानी का बहाव बहुत तेज था. इसे देखते हुए ताजमहल की पश्चिमी दीवार को कोई नुकसान न पहुंचे. इसलिए बसई घाट में मिट्टी और पत्थर के बड़े बड़े टुकड़ों को डाला गया था. और इसी मिट्टी और पत्थर के टुकड़ों में बसई घाट दब गया.
ताजगंज के स्थानीय निवासी निरंजन सिंह राठौर ने बताया कि ताजमहल के दोनों ओर बसई घाट और दशहरा घाट प्राचीन घाट हैं. यह दोनों घाट ताजमहल से पहले के हैं. इनका अपना इतिहास है. लेकिन एएसआई इस ओर ध्यान नहीं दे रहा था. इस वजह से बसई घाट अभी भी भूमिगत था. अगर इन घाटों को अच्छी तरह से जीर्णोद्धार करके सौंदर्यीकरण किया जाएगा. तो यहां पर टूरिस्ट आएंगे और उन्हें बहुत अच्छा लगेगा.
श्रद्धालु सुरेश चंद्र ने बताया कि मैं जब 10 से 12 साल का था, तभी से बसई घाट आ रहा हूं. अब इतना याद नहीं है कि यहां उस समय तक की सीढ़ियां थी. लेकिन हमारे पूर्वज बताते हैं, कि यहां पर पक्की सीढ़ियां थी. तब मैं हाथी घाट से नाव में बैठकर बसई घाट पर आते थे. और यहां भगवान शिव की पूजा अर्चना करके फिर पैदल ही निकल जाते थे.
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि ताजमहल की पश्चिमी दीवार से सटे बाग खान-ए-आलम के पास के भूमिगत नाले की सफाई और खुदाई के दौरान यमुना किनारे दो पक्की सीढ़ी नुमा आकृति मिली हैं. अभी खुदाई की जा रही है. हम उस समय के फोटोग्राफ्स और अन्य दस्तावेजों को भी तलाश रहे हैं. क्या उस समय यहां पर पक्का घाट था. इसके बाद ही आगे कुछ कहा जा सकता है.


Conclusion:यमुना किनारे ताजमहल के दोनों ओर पक्के घाट थे. जिनमें पूर्वी दीवार से सटा दशहरा घाट और पश्चिमी दीवार से सटा बसई घाट था. मगर बसई घाट कई दशक से मिट्टी में दबा हुआ है. और अब जब एएसआई की ओर से भूमिगत नाले की खुदाई की गई तो उसमें बसई घाट की पक्की सीढ़ियां निकलीं. एएसआई इस बारे में अपनी छानबीन कर रहा है, जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि यह घाट ताजमहल से पहले का है.

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पहली बाइट बसई घाट के सिद्धेश्वर महादेव मंदिर के बाबा वेद प्रकाश की, दूसरी बाइट ताजगंज निवासी निरंजन सिंह राठौर की, तीसरी बाइट श्रद्धालु सुरेश चंद्र की और चौथी बाइट एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार की है.

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बसई घाट की फोटोज बाय एफटीपी
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श्यामवीर सिंह
ईटीवी भारत, आगरा
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Last Updated : Jun 20, 2019, 2:15 PM IST
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