आगरा: स्वच्छ व कम गहरे पानी की झील, खुला घास का मैदान, नहरों का बिछा जाल, आसपास कृषि भूमि और जंगल के बड़े-बड़े पेड़ों ने प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करना शुरू कर दिया है. दरअसल, आगरा-मथुरा बॉर्डर पर स्थित जोधपुर झाल इस बार समय से पहले फ्लेमिंगो के साथ-साथ साइबेरिया और अन्य देशों से नार्दन पिनटेल, काॅमन टील, टफ्टिड डक, ब्लूथ्रोट, ब्लैक विंग स्टिल्ट और अन्य पक्षियों से गुलजार है. यहां पर भारतीय क्रेन (सारस) और मोर भी दिख रहे हैं.
इस समय प्रवासी पक्षियों का संसार देखने के लिए पक्षी प्रेमी जोधपुर झाल पहुंच रहे हैं. सुबह सूरज की पहली किरण से देर शाम तक पक्षी प्रेमी यहां बर्ड वॉचिंग करते रहते हैं. हर दिन जोधपुर झाल पर भरतपुर, आगरा और मथुरा से पक्षी प्रेमी और पक्षी विशेषज्ञ पहुंच रहे हैं. यह स्थान आवासी पक्षियों के प्रजनन के लिए अनकूल है.
छोटे पक्षियों की लगभग 80 प्रजातियां
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष और पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह का कहना है कि जोधपुर झाल पर छोटे पक्षियों की लगभग 80 प्रजातियों की पहचान हो चुकी है. प्रवासी पक्षियों के साथ ही सभी प्रजातियों की संख्या 125 से अधिक है. अगर यहां का संरक्षण किया जाए तो यह संख्या 200 को पार कर सकती है, क्योंकि जोधपुर झाल के वैटलैन्ड, वाटर बाॅडी, ड्राई लैन्ड, ग्रास लैन्ड, प्लांट व हेवीटाट और बहते पानी के हेवीटाट होने के चलते विभिन्न प्रजातियों के पक्षी यहां मौजूद हैं.
वनस्पति विशेषज्ञ डॉ. पुष्पेंद्र विमल का कहना है कि जोधपुर झाल में घास व पेड़ पौधों की प्रजातियां हैं. इसमें एकरेन्थिस एस्पैरा, सिडा एकटा, लैंटाना कैमरा, सैकरम स्पॉनटेनम सैकरम मुंजा, रावोल्फिया सर्पिन्टाइना, लेमना, पोलिगोनम, अल्ट्रेन्थेरा ,एग्रेटम कॉन्जोइड्स, फोनिक्स सिल्वेस्ट्रिस, कैसिया बेंगालेंसिस, कैसिया ओटिडेंटलिस शामिल हैं. बता दें कि चारों तरफ बिछा नहरों का जाल, कम गहरे और साफ पानी की झील भी इस हेवीटाट को विशेषता प्रदान कर रही है. जोधपुर झाल के आसपास के खेत यहां के हेवीटाट का विस्तार करते हैं.
यहां दिख रहे फ्लेमिंगो और अन्य माइग्रेट पक्षी
बर्ड लवर शिवेंद्र सिंह का कहना है कि फ्लेमिंगो पक्षियों की प्रजाति अभी न तो कीठम झील में आई है और न ही भरतपुर के घना केवलादेव में आई, लेकिन जोधपुर झाल पर फ्लेमिंगो पक्षियों का समूह देखने को मिला है. साथ ही तमाम अन्य तरह के माइग्रेट पक्षी भी यहां पर मौजूद हैं.
वहीं बर्ड लवर आकृति ठाकुर का कहना है कि यहां पर बहुत तरह बहुत वैरायटी की बर्ड्स देखने को मिली हैं. इस तरह प्रकृति के साथ जुड़कर काफी अच्छा लग रहा है. उन्होंने कहा कि तरह-तरह के पक्षियों को देखने का एक अद्भुत नजारा है. यहां आकर तमाम माइग्रेटरी बर्ड्स और यहां पाई जाने वाली वनस्पतियों के बारे में जानकारी हुई है.
वहीं पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह का कहना है कि जोधपुर झाल पर सर्दी, गर्मी और मानसून के समय ही माइग्रेट पक्षी पहुंचते हैं. प्रवासी पक्षियों में बार हेडेड गूज, पेलिकन, फ्लेमिंगो, ब्लू थ्रोट, पाइड एवोसेट, नार्दन शोवलर, काम्ब डक, पिनटेल , लेशर विशलिंग डक, स्पाट विल्ड डक, स्पून विल्ड डक, ब्लैक विंग स्टिल्ट, रोजी स्टर्लिंग, ग्रेटर कोर्मोरेन्ट, वेगटेल, इंडियन डार्टर, पेन्टेड स्टार्क, ओपन बिल स्टार्क, बूली नेक्ड स्टार्क, ब्लैक नेक्ड स्टार्क आदि शामिल हैं.
छोटे पक्षियों का भी संसार
पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह के मुताबिक, जोधपुर झाल पर छोटे आकार के पक्षियों में ग्रीन बी ईटर, ब्लू टेल्ड बी ईटर, स्ट्रीक्ड वीबर, ग्रे फ्रेंकलिन, ब्लैक फ्रेंकलिन, साइबेरियन स्टोनचैट, ब्लैक ब्रस्टेड बीवर, बया बीबर, ब्लूथ्रोट, क्रिस्टिड लार्क, ऐशी क्राउन लार्क, स्पैरो लार्क, ग्रेटर पेन्टेड स्नाइप, पैडीफील्ड पिपिट, काॅमन स्टोनचैट, चैस्टनट शोल्डर पिट्रोनिया, रेड मुनिया, पाइड बुशचैट, ऐशी प्रीनिया, प्लेन प्रीनिया पर्पल हैरोन, ग्रे हैरोन, पोंड हैरोन, ब्लैक हेडेड आईबिश, व्हाइट ब्रेस्टेड वाटर हैन, काॅमन मूर हैन, रेड वेटल्ड लैपविंग, इन्टरमीडिएट इग्रीट, कैटल ईग्रिट, ग्रेटर ईग्रिट की संख्या भी बहुत है.
पक्षी विशेषज्ञों का दावा है कि झील का संरक्षण और यहां हेवीटाट को विकसित किया जाए, तब जाकर पक्षियों की संख्या में इजाफा देखने को मिलेगा. अभी तक यहां 140 के लगभग आवासीय और प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों की पहचान की जा चुकी है.