आगरा: गर्मी में मौसमी फल फालसे की अच्छी पैदावार होती है. लोग भी इसे खूब पसंद करते हैं, लेकिन लॉकडाउन और कोरोना के कहर से सब कुछ बंद हो चुका है. किसानों की फसलें भी खराब होने लगी हैं, जिससे किसान परेशान हैं. जिले में फालसे की भरपूर पैदावार होती है. यहां इटौरा, जारुआ, कटरा, कुकथला, मिलावटी और नागर जैसे तमाम गांवों में इसकी खेती होती है, लेकिन लॉकडाउन के कारण मंडी में 250 रुपये प्रति किलोग्राम बिकने वाला फालसा खेतों में ही खराब हो रहा है. हालात यह हैं कि किसानों को इसकी लागत मिलने के भी लाले हैं. इसको लेकर जब ईटीवी भारत ने किसानों से बात की तो उनका दर्द जुबां पर आ गया.
इटौरा के रहने वाले किसान जितेंद्र सिंह ने बताया कि उनकी जिले में करीब 600 बीघा जमीन है, जिस पर फालसे की खेती हो रही है. गांव इटौरा, जारुआ, कटरा, कुकथला, मिलावटी, नागर में किसान फालसे की खेती करते हैं. यहां का फालसा आगरा से दिल्ली मंडी तक में जाता है, लेकिन लॉकडाउन होने के कारण गाड़ी ही नहीं जा रही है, जिससे उनकी फसल बर्बाद हो गई. वहीं किसान अशोक ने बताया कि फालसे की पहली तुड़ाई होने पर दिल्ली मंडी में पांच किलो फालसा 1200 रुपये से 1400 तक का बिकता था. अब माल मंडी में नहीं जा रहा है और यहां पर जो लोग आ जाते हैं, वह 30 रुपये किलोग्राम ले जा रहे हैं. अगर 24 घंटे में फालसा नहीं बिका तो यह खराब हो जाता है.
लागत निकालना हुआ मुश्किल
किसान जितेंद्र ने बताया कि तमाम किसान पट्टे पर जमीन लेकर फालसे की खेती करते हैं. इस समय फालसे पक चुके हैं, लेकिन मंडी में नहीं जा पा रहे हैं. ऐसे में किसान अब मजदूरों से फालसे की तुड़ाई बटाई पर करवा रहे हैं, लेकिन कई जगह मजदूर बटाई पर तुड़ाई करने नहीं आ रहे हैं. अन्य किसान नाहर सिंह का कहना है कि पिछले साल फालसे की खेती में मजदूरी और अन्य खर्चा देकर प्रति बीघा 80 हजार से 90 हजार रुपये की आमदनी हुई थी, लेकिन इस बार लागत निकलना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि प्रति बीघे से 10 से 15 हजार रुपये तक की फसल नहीं बिक रही है.
जानें फालसा खाने के फायदे
फालसे में विटामिन ए, सी, अमीनो एसिड, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सोडियम, फास्फोरस, आयरन और कैल्शियम पाया जाता है. ये कई बीमारियों जैसे सुस्ती, कैंसर, बुखार, कब्ज, हीमोग्लोबिन, रक्तदोष, कोलेस्ट्रॉल, पाचन क्रिया, चिड़चिड़ापन, सांस से संबंधित रोग और खांसी आदि में फायदेमंद होता है.