आगरा: ताजनगरी आगरा के जगदीशपुरा थाना के मालखाना से 25 लाख रुपये की चोरी के आरोपी सफाई कर्मचारी अरुण की पुलिस हिरासत में मौत पर अब राजनीति थम नहीं रही है. सोमवार सुबह दस बजे के करीब भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के नेता राकेश टिकैत आगरा पहुंचे, जहां उन्होंने सबसे पहले आगरा के लोहामंडी स्थित मृतक अरुण के परिवार से मुलाकात की और उनको सांत्वना दी.
साथ ही परिवार की हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए, ताकि परिवार को न्याय मिले. वहीं, किसानों के धरने और केंद्र के अडिग रूख पर उन्होंने कहा कि किसान के लिए ये कानून काले हैं और देश के लिए ये सरकार काली है.
बता दें किए 16 अक्टूबर की रात को जगदीशपुरा थाना परिसर में पिछले दरवाजे और खिड़की को तोड़कर मालखाने में सेंध की घटना सामने आई थी. मालखाना से 25 लाख रुपये चोरी होने की बात कही गई थी. जिसकी जानकारी 17 अक्टूबर की सुबह हुई थी. इसके बाद पुलिस महकमा में हड़कंप मच गया था और पुलिस ने छानबीन की, जिसमें सफाई कर्मचारी अरुण की भूमिका सामने आई थी.
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वहीं, 19 अक्टूबर को पुलिस ने आरोपी सफाईकर्मी अरुण को दबोच लिया. उससे पूछताछ की. पुलिस ने अरुण की निशानदेही पर उसके घर से 15 लाख रुपये बरामद करने का दावा किया. लेकिन उसी रात पुलिस हिरासत में अरुण की मौत हो गई. उसके बाद इस घटना ने सियासी मोड़ लिया और तमाम राजनीतिक पार्टियां अब तक अरुण के परिवार से मिलकर न्याय की बात कहती नजर आईं.
इसी कड़ी में सोमवार किसान नेता भी अरुण के घर पहुंचे. आगरा में मीडिया से मुखातिब हुए भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने लखीमपुर खीरी की घटना बाद मुआवजे की कीमत निर्धारित कर दी है. मौत की कीमत 40-45 लाख रुपये हैं.
इसलिए सरकार को यही कीमत अरुण के परिवार को देनी चाहिए. क्योंकि जब वोट का अधिकार एक तो मुआवजे की राशि भी एक होनी चाहिए. साथ ही इस मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए, ताकि दोषियों को सजा मिल सके
संघर्ष से समाधान तक आंदोलन
टिकैत ने कहा कि दिल्ली में धरना स्थल पर ही इस बार किसान दीपावली मनाएंगे. क्योंकि सरकार हमारी मांग मान नहीं रही है. न ही कृषि कानून वापस नहीं ले रहे हैं. हमारा किसान आंदोलन संघर्ष से समाधान तक जारी रहेगा.
उन्होंने कहा कि किसानों से यही कहूंगा कि भाजपा सरकार को वोट नहीं दें. मगर जिस तरह से उन्होंने पंचायत चुनाव में धांधली की है, वैसे ही वे विधानसभा चुनाव में करके फिर सत्ता में आ सकते हैं.
भूख का व्यापार होगा
बाजार के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है. इससे किसान परेशान हैं. यहां तक कि उनकी सुनवाई भी नहीं हो रही है. खैर, किसानों के लिए ये कानून काले हैं तो वहीं, देश के लिए ये सरकार काली है. दिल्ली में सड़कों पर प्रदर्शन को लेकर राकेश टिकैत ने कहा कि किसान सरकार के रास्ते में नहीं आ रहे हैं. ये सरकार ही किसानों के रास्तों में आ रही है.