आगरा: जिला अस्पताल में पिछले एक हफ्ते से केला देवी नाम की महिला का इलाज चल रहा था. उनकी देखभाल में उनकी सात साल की बच्ची जुटी हुई थी. साथ ही अपने छोटे भाई का भी ध्यान रख रही थी. केला देवी को उनके पति ने छोड़ दिया था. यहीं नहीं उनकी बीमारी के चलते नाते-रिश्तेदार भी छोड़कर चले गए थे. केला देवी को अपने बच्चों की चिंता सता रही थी. वहीं, उनकी सात साल की बेटी का कहना है कि वह बड़ी होकर डॉक्टर बनेगी और अपनी मां का इलाज करेगी. इस खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से चलाया था.
ईटीवी भारत पर खबर चलने के बाद महिला आयोग की सदस्य निर्मला दीक्षित ने मामले को संज्ञान में लिया और अपनी पूरी टीम के साथ केला देवी और उनकी बच्ची से मुलाकात करने उनके घर पहुंचीं. जिला प्रोविजनल अधिकारी मनोज पुष्कर ने बच्ची से पूछा कि उसे क्या चाहिए तो बच्ची ने कहा कि पढ़ने के लिए स्कूल बैग चाहिए, जिससे मैं पढ़-लिख सकूं. इसके बाद तुरंत अधिकारियों ने फोन कर बच्ची के पढ़ने-लिखने के लिए कॉपी-किताब और स्कूल बैग मंगाया. इसके बाद महिला आयोग की सदस्य निर्मला दीक्षित ने उनकी सारी समस्याओं को सुना.
जिला प्रोविजनल अधिकारी मनोज पुष्कर ने केला देवी से उनकी समस्या पूछी तो उन्होंने कहा कि साहब रहने के लिए घर नहीं है. किराए के मकान में रहना पड़ता है. उन्होंने कहा कि मकान का हर महीने ढाई हजार रुपये किराया देना होता है. यदि सरकार की तरफ से एक घर मिल जाए तो किराया देने से मुक्ति मिल जाए. ऐसा हो जाए तो बहुत मेहरबानी होगी. केला देवी की व्यथा सुनकर महिला आयोग की सदस्य निर्मला दीक्षित ने अधिकारियों से बात कर जल्द से जल्द घर दिलवाने का आश्वासन दिया.
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केला देवी का इलाज आगरा के जिला अस्पताल में पिछले एक हफ्ते से चल रहा था. केला देवी की रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन होना है. खून की कमी के कारण उनकी तबीयत खराब थी. पैसे न होने की वजह से उन्होंने ऑपरेशन नहीं कराया. उनकी 7 साल की बेटी प्रीता और छोटा बेटा सत्यम है. केला देवी कई सालों से बीमार हैं इसलिए पति हरेंद्र और परिवार वालों ने साथ छोड़ दिया. पहले घरों में झाड़ू-पोछा करके बच्चों का पालन-पोषण कर लेती थीं. जब तबीयत ज्यादा खराब होने लगी तो गुटखे का ठेल लगाने लगी. इसके बाद ठेला लगाने का काम भी छूट गया.
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