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आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में 18 साल से हो रहा भ्रष्टाचार, दांव पर लगी विवि की साख - प्रो विनय कुमार पाठक

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय (Dr. Bhimrao Ambedkar University) आगरा में साल 2004 से लगातार कुलपतियों की वजह से लगातार हर कुलपति पर घोटाले, फर्जीवाडे़ और भ्रष्टाचार के आरोप लगे है. जिसकी जांच हुई और उन पर मुकदमे भी दर्ज हुए.

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डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय
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Published : Nov 12, 2022, 4:39 PM IST

आगरा: देश में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय (Dr. Bhimrao Ambedkar University) एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है. जिसका विस्तार आगरा से लेकर कोलकाता तक था. डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का गौरवशाली इतिहास के पन्नों में दर्ज है. विवि (तब आगरा विश्वविद्यालय) के पूर्व छात्र मोती लाल नेहरू, ह्दयनाथ कुंजरू, शंकरदयाल शर्मा, गुलजारी लाल नंदा, चौधरी चरण सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी, मुलायम सिंह यादव, अजीत डोभाल जैसी अन्य हस्तियां रही हैं. जिन्होंने विवि के गौरवशाली इतिहास में चार चांद लगाए. मगर, आज विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास पर घोटाले, फर्जीवाडा और भ्रष्टाचार के ऐसे काले धब्बे लग गए हैं. जो विवि की छवि धूमिल कर रहे हैं.

जानकारी देते इतिहासकार राजकिशोर 'राजे'

साल 2004 से लगातार कुलपतियों की वजह से इस गौरवशाली विवि की किरकिरी हो रही है. बीते 18 साल में हर कुलपति पर घोटाले, फर्जीवाडे़ और भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. जिसकी जांच हुई और उन पर मुकदमे दर्ज हुए. इस बार भी विवि के पूर्व कुलपति प्रो. विनय पाठक पर एसटीएफ (STF) ने शिकंजा कसा है. एसटीएफ की जांच में हर दिन नए खुलासा हो रहा है भ्रष्टाचार का नई परत सामने आ रही है. इसी के चलते आज इस विश्वविद्यालय की साख पर सवाल उठ रहे हैं.

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय
प्रो. विनय कुमार पाठक

सबसे चर्चित रहा फर्जी बीएड डिग्री मामलाः डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का 2005 बीएड डिग्री मामला काफी चर्चा में रहा. तब फर्जी डिग्री के आधार पर हजारों लोगों ने सरकारी नौकरी प्राप्त कर ली. इस मामले में एसआईटी जांच भी हुई. कई कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमे भी हुए. इनमें कई शिक्षकों की नौकरी भी गई. हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद विश्वविद्यालय की जांच समिति ने माना कि 1021 मार्कशीट में छेड़छाड़ मिली थी. सिर्फ 3 मामले सही मिले. इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2823 शिक्षकों को नौकरी से हटाने के भी आदेश दिए थे.

भ्रष्टाचार और घोटालों के दलदल में विश्वविद्यालयः इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' ने बताया कि, डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय सन 1927 से संचालित हो रहा है. पहले इसका नाम आगरा विवि का था. जिसका विस्तार कोलकाता तक था. आगरा विवि का गौरवशाली इतिहास रहा है. विश्वविद्यालय से ही गोरखपुर, बरेली, झांसी, मेरठ और कानपुर का विश्वविद्यालय बना है. आगरा विश्व विद्यालय की कई महान विभूतियां छात्र रही हैं. इनमें मोती लाल नेहरू, पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति गोपाल स्वरूप पाठक, ह्दयनाथ कुंजरू, गुलजारी लाल नंदा, पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह, भारत रत्न पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव, देश के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल समेत के नाम शामिल हैं. लेकिन अब विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार और घोटालों के दलदल में फंस चुका है.

इन कुलपति पर लगे आरोप

  • प्रो. एएस कुकला: डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि के कुलपति का चार्ज साल 2004 में प्रो. एएस कुकला ने संभाला. वो 3 साल तक विवि के कुलपति रहे. भ्रष्टाचार का आरोप लगने पर उन्हें निलंबित किया गया. जांच हुई. जिसमें उन्हें क्लीनचिट मिलने पर बहाल किया गया. इसके बाद फिर भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप में इन्हें निलंबित किया गया.
  • प्रो. भूमित्र देव: प्रो. एएस कुकला को 2 बार निलंबित किया गया तो कार्यवाहक कुलपति प्रो. भूमित्र देव को बनाया गया. प्रो. एएस कुकला के बाद उन्हें स्थाई कुलपति भी बनाया गया. उन पर भी अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप लगे. जिसकी जांच अभी तक चल रही है.
  • प्रो. केएन त्रिपाठी: प्रो. भूमित्र देव के बाद प्रो. केएन त्रिपाठी डॉ. भीमराव आंबडेकर विवि के कुलपति बने. अपने कार्यकाल में उन पर वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप लगे. इसके बाद एसआईटी की जांच हुई थी. रिटायर्ड होने के बाद भी उनसे पूछताछ हुई थी.
  • प्रो. डीएन जौहर: पंजाब यूनिवर्सिटी लॉ डिपार्टमेंट के चेयरमैन रहे प्रो. डीएन जौहर को 7 जनवरी 2011 में डॉ. भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी का कुलपति बनाया गया था. अपने कार्यकाल में प्रो. डीएन जौहर भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे. जिसकी जांच हुई और हरिपर्वत थाना में मुकदमा लिखा गया.
  • प्रो. मोहम्मद मुज्जमिल : प्रो. मोहम्मद मुज्जमिल को डॉ. भीमराव आंबडेकर विवि का कुलपति 20 मई 2013 को बनाया गया था. ये भी अपने कार्यकाल में भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे. जिनकी जांच हुई और इसके साथ ही विवि के 19 अधिकारी, कर्मचारी और शिक्षकों के खिलाफ हरिपर्वत थाना में एफआईआर (FIR) लिखी गई थी.
  • डॉ. अरविंद दीक्षित : कानपुर के वीएसएसडी कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अरविंद दीक्षित को दिसंबर 2016 में डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि का कुलपति बनाया गया. उनके खिलाफ विजीलेंस की जांच चल रही है. आरोप है कि, उन्होंने अपने कार्यकाल में कमीशन के चक्कर में विवि के परिसरों में अनावश्यक निर्माण कराए. इसके साथ ही विवि नियुक्तियों में भी खेल किया.
  • प्रो. अशोक मित्तल: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र विभाग के शिक्षक प्रो. अशोक मित्तल को फरवरी 2020 में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया था. इसके बाद 5 जुलाई 2021 को उन पर भ्रष्टाचार और अनियमिताओं के आरोप लगे तो राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के निर्देशों पर उन्हें कार्य हटा दिया गया. अभी उनके खिलाफ जांच चल रही है. इसके बाद डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में पहले प्रो. आलोक राय और फिर प्रो. विनय पाठक कार्यवाहक कुलपति बने.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेन ने प्रो. अशोक मित्तल को हटाने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय को डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का प्रभार दिया. प्रो. आलोक कुमार राय ने जनवरी 2022 तक अपने कार्यकाल में कोई नीतिगत फैसला नहीं लिया. इसके बाद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक को प्रभार दिया गया. प्रो. विनय पाठक ने भी भ्रष्टाचार किए. जिसकी हर दिन एक नई फाइल सामने आ रही है.

ये भी पढ़ेंः रामपुर में चुनावी चौपाल, जानें उपचुनाव में दलित समाज किसके साथ

आगरा: देश में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय (Dr. Bhimrao Ambedkar University) एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है. जिसका विस्तार आगरा से लेकर कोलकाता तक था. डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का गौरवशाली इतिहास के पन्नों में दर्ज है. विवि (तब आगरा विश्वविद्यालय) के पूर्व छात्र मोती लाल नेहरू, ह्दयनाथ कुंजरू, शंकरदयाल शर्मा, गुलजारी लाल नंदा, चौधरी चरण सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी, मुलायम सिंह यादव, अजीत डोभाल जैसी अन्य हस्तियां रही हैं. जिन्होंने विवि के गौरवशाली इतिहास में चार चांद लगाए. मगर, आज विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास पर घोटाले, फर्जीवाडा और भ्रष्टाचार के ऐसे काले धब्बे लग गए हैं. जो विवि की छवि धूमिल कर रहे हैं.

जानकारी देते इतिहासकार राजकिशोर 'राजे'

साल 2004 से लगातार कुलपतियों की वजह से इस गौरवशाली विवि की किरकिरी हो रही है. बीते 18 साल में हर कुलपति पर घोटाले, फर्जीवाडे़ और भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. जिसकी जांच हुई और उन पर मुकदमे दर्ज हुए. इस बार भी विवि के पूर्व कुलपति प्रो. विनय पाठक पर एसटीएफ (STF) ने शिकंजा कसा है. एसटीएफ की जांच में हर दिन नए खुलासा हो रहा है भ्रष्टाचार का नई परत सामने आ रही है. इसी के चलते आज इस विश्वविद्यालय की साख पर सवाल उठ रहे हैं.

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय
प्रो. विनय कुमार पाठक

सबसे चर्चित रहा फर्जी बीएड डिग्री मामलाः डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का 2005 बीएड डिग्री मामला काफी चर्चा में रहा. तब फर्जी डिग्री के आधार पर हजारों लोगों ने सरकारी नौकरी प्राप्त कर ली. इस मामले में एसआईटी जांच भी हुई. कई कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमे भी हुए. इनमें कई शिक्षकों की नौकरी भी गई. हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद विश्वविद्यालय की जांच समिति ने माना कि 1021 मार्कशीट में छेड़छाड़ मिली थी. सिर्फ 3 मामले सही मिले. इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2823 शिक्षकों को नौकरी से हटाने के भी आदेश दिए थे.

भ्रष्टाचार और घोटालों के दलदल में विश्वविद्यालयः इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' ने बताया कि, डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय सन 1927 से संचालित हो रहा है. पहले इसका नाम आगरा विवि का था. जिसका विस्तार कोलकाता तक था. आगरा विवि का गौरवशाली इतिहास रहा है. विश्वविद्यालय से ही गोरखपुर, बरेली, झांसी, मेरठ और कानपुर का विश्वविद्यालय बना है. आगरा विश्व विद्यालय की कई महान विभूतियां छात्र रही हैं. इनमें मोती लाल नेहरू, पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति गोपाल स्वरूप पाठक, ह्दयनाथ कुंजरू, गुलजारी लाल नंदा, पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह, भारत रत्न पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव, देश के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल समेत के नाम शामिल हैं. लेकिन अब विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार और घोटालों के दलदल में फंस चुका है.

इन कुलपति पर लगे आरोप

  • प्रो. एएस कुकला: डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि के कुलपति का चार्ज साल 2004 में प्रो. एएस कुकला ने संभाला. वो 3 साल तक विवि के कुलपति रहे. भ्रष्टाचार का आरोप लगने पर उन्हें निलंबित किया गया. जांच हुई. जिसमें उन्हें क्लीनचिट मिलने पर बहाल किया गया. इसके बाद फिर भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप में इन्हें निलंबित किया गया.
  • प्रो. भूमित्र देव: प्रो. एएस कुकला को 2 बार निलंबित किया गया तो कार्यवाहक कुलपति प्रो. भूमित्र देव को बनाया गया. प्रो. एएस कुकला के बाद उन्हें स्थाई कुलपति भी बनाया गया. उन पर भी अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप लगे. जिसकी जांच अभी तक चल रही है.
  • प्रो. केएन त्रिपाठी: प्रो. भूमित्र देव के बाद प्रो. केएन त्रिपाठी डॉ. भीमराव आंबडेकर विवि के कुलपति बने. अपने कार्यकाल में उन पर वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप लगे. इसके बाद एसआईटी की जांच हुई थी. रिटायर्ड होने के बाद भी उनसे पूछताछ हुई थी.
  • प्रो. डीएन जौहर: पंजाब यूनिवर्सिटी लॉ डिपार्टमेंट के चेयरमैन रहे प्रो. डीएन जौहर को 7 जनवरी 2011 में डॉ. भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी का कुलपति बनाया गया था. अपने कार्यकाल में प्रो. डीएन जौहर भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे. जिसकी जांच हुई और हरिपर्वत थाना में मुकदमा लिखा गया.
  • प्रो. मोहम्मद मुज्जमिल : प्रो. मोहम्मद मुज्जमिल को डॉ. भीमराव आंबडेकर विवि का कुलपति 20 मई 2013 को बनाया गया था. ये भी अपने कार्यकाल में भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे. जिनकी जांच हुई और इसके साथ ही विवि के 19 अधिकारी, कर्मचारी और शिक्षकों के खिलाफ हरिपर्वत थाना में एफआईआर (FIR) लिखी गई थी.
  • डॉ. अरविंद दीक्षित : कानपुर के वीएसएसडी कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अरविंद दीक्षित को दिसंबर 2016 में डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि का कुलपति बनाया गया. उनके खिलाफ विजीलेंस की जांच चल रही है. आरोप है कि, उन्होंने अपने कार्यकाल में कमीशन के चक्कर में विवि के परिसरों में अनावश्यक निर्माण कराए. इसके साथ ही विवि नियुक्तियों में भी खेल किया.
  • प्रो. अशोक मित्तल: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र विभाग के शिक्षक प्रो. अशोक मित्तल को फरवरी 2020 में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया था. इसके बाद 5 जुलाई 2021 को उन पर भ्रष्टाचार और अनियमिताओं के आरोप लगे तो राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के निर्देशों पर उन्हें कार्य हटा दिया गया. अभी उनके खिलाफ जांच चल रही है. इसके बाद डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में पहले प्रो. आलोक राय और फिर प्रो. विनय पाठक कार्यवाहक कुलपति बने.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेन ने प्रो. अशोक मित्तल को हटाने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय को डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का प्रभार दिया. प्रो. आलोक कुमार राय ने जनवरी 2022 तक अपने कार्यकाल में कोई नीतिगत फैसला नहीं लिया. इसके बाद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक को प्रभार दिया गया. प्रो. विनय पाठक ने भी भ्रष्टाचार किए. जिसकी हर दिन एक नई फाइल सामने आ रही है.

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