आगराः धौलपुर के बीहड़ से आगरा पुलिस और एसटीएफ द्वारा 30 घंटे बाद मुक्त कराए गए अगवा वरिष्ठ चिकित्सक उमाकांत गुप्ता की आपबीती रूह कंपाने वाली है. बदमाशों के चंगुल में रहे डॉ. उमाकांत गुप्ता ने गुरुवार को अपनी 30 घंटे की आपबीती सुनाई. डॉ. उमाकांत ने बताया कि वह दिल के मरीज हैं, इसलिए एक या दो दिन और बदमाशों के चंगुल में रहता तो मर जाता. उन्होंने कहा कि मैंने बदमाशों को बीमारी के बारे में बताया था, तो उन्होंने कहा कि 5 करोड़ दिलवा दो, तभी जाने देंगे.
डॉ. उमाकांत गुप्ता ने बताया कि जून में मथुरा से पथरी का एक मरीज आया था, जिसकी सर्जरी बेटे ने की थी. मरीज के साथ एक युवती आई थी, जिसने उसे भाई बताया था. युवती ने अपना नाम अंजलि मीणा बताया था. इसके बाद अंजली ने मुझसे नौकरी लगवाने की कही. कहा कि वह विधवा है. दोनों की बीते 15 दिन से मोबाइल पर बात हो रही थी. इसी दौरान अंजलि ने उसे बताया कि वह आगरा सहेली के पास आ गई है और यहीं रहेगी. डॉ. उमाकांत गुप्ता ने बताया कि मंगलवार शाम अंजलि ने कॉल करके भगवान टाकीज चौराहा पर मिलने बुलाया था. यहां अंजलि उसके कार में बैठ गई. फिर उसने कहा कि, आप खतरे में हैं. इसलिए चलते रहो. फिर रोहता की ओर ले गए. जहां बाइक सवार बदमाशों ने कार रुकवाई. एक बदमाश ने कार की स्टेरिंग कब्जे में ले ली. बदमाशों ने पीटा और पीछे की सीट पर डाल लिया और आंख पर पट्टी बांध दी.
पहले 7 किलोमीटर पैदल चलाया, फिर खादर में रखा
डॉ. उमाकांत गुप्ता ने बताया कि रास्ते में बदमाशों ने उसे कार से उतार लिया. फिर बाइक पर बैठा कर बदमाश मुझे बीहड़ में ले गए. यहां बाइक से उतार दिया और करीब किलोमीटर से ज्यादा पैदल चलाया. रात को बीहड़ में एक समाधि के पास रखा. जहां उसे खाना दिया. एक बदमाश बात-बात पर उनके साथ मारपीट करता था. दिन में बदमाशों ने मुझे चंबल की खादर में रखा, जहां बहुत गर्मी थी. डॉ. उमाकांत गुप्ता का कहना है कि, मैं हृदय रोगी हूं. मेरे पास दवाएं नहीं थी. गर्मी से तबियत भी बिगड़ रही थी. एक बदमाश मारपीट भी कर रहा था. तब मैंने बदमाशों से कहा कि, मेरे साथ मारपीट मत कीजिए. गर्मी और दवाएं नहीं होने से मुझे लग रहा था कि एक या दो दिन में बदमाशों के चंगुल से नहीं छूटा तो मर जाऊंगा.
पुलिस को समझा बदमाश
डॉ. उमाकांत गुप्ता ने बताया कि पहले तो बदमाश लगातार रुपये की बात कर रहे थे. लेकिन अचानक भी बुधवार से बदमाश कहने लगे कि बिना रुपये ही लिए उसे छोड़ रहे हैं. क्योंकि यदि तबीयत बिगड़ने से मेरी मौत हो गई तो अपहरण के साथ हत्या का मुकदमा भी दर्ज होगी, जिसमें सजा हो जाती है. इसके बाद लगातार बदमाशों की संख्या कम होती चली गई. बुधवार रात 10 बजे मेरा अपहरण करने वाले बदमाश चले गए. एक बदमाश मेरी निगरानी कर रहा था. वह फोन पर मुझे किसी दूसरे गैंग को सुपुर्द करने की बात कर रहा था. इसके बाद वह बदमाश भी थोड़ी देर बाद वहां से चला गया. डॉक्टर उमाकांत गुप्ता ने बताया कि इसके कुछ देर बाद करीब देर रात 2 बजे मेरे पास पुलिस पहुंची. मैं घबराया हुआ था. एक बार को मैंने पुलिस को बदमाशों का दूसरा गैंग समझा. लेकिन तभी पुलिस टीम ने मुझे अपने कब्जे में लिया. इसके बाद कमांडो ने पोजीशन ले ली. पुलिस अधिकारी से बातचीत हुई, तब मेरी जान में जान आई.
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बता दें कि आगरा- फिरोजाबाद हाईवे पर ट्रांस यमुना कालोनी फेस द्वितीय निवासी वरिष्ठ सर्जन डॉ. उमाकांत गुप्ता का विद्या नर्सिंग होम हैं. मंगलवार रात करीब आठ बजे डॉ. उमाकांत गुप्ता घर से कार लेकर निकले थे लेकिन रात 11 बजे तक घर नहीं लौटे. इस पर परिजन घबरा गए और एत्मादउद्दौला थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी. छानबीन में डॉ. उमाकांत गुप्ता के मोबाइल की अंतिम लोकेशन सैंया से 7 किलोमीटर आगे राजस्थान की सीमा में मिली. वहीं, चिकित्सक की कार धौलपुर में मिली. इस पर आगरा पुलिस ने धौलपुर पुलिस से संपर्क किया. पुलिस एक्शन मोड में आ गई. आगरा पुलिस, एसटीएफ और राजस्थान की धौलपुर पुलिस ने बीहड़ में कांबिंग शुरू की, इससे बदमाश घबरा गए और गुरुवार तड़के बदमाशों ने चिकित्सक डॉ. उमाकांत गुप्ता को छोड़कर भाग गए.