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कोविड बना रहा डायबिटीज का मरीज, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ - आगरा की खबर

देश में कोविड की वजह से लोग डायबिटिक हो रहे हैं, इसको लेकर अभी कोई रिसर्च नहीं है मगर, विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड मरीज और पोस्ट कोविड मरीजों में डायबिटीज खूब पकड़ में आ रही है. इसे लेकर विशेषज्ञ से बातचीत की गई.

आगराः
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Published : Jun 9, 2021, 9:25 AM IST

Updated : Jun 9, 2021, 11:47 AM IST

आगराः कोरोना महामारी का कहर पूरी दुनिया झेल रही है. कोरोना की दूसरी लहर बेहद खतरनाक साबित हुई है. इस लहर में देशभर के करोड़ों लोग संक्रमित हुए. लाखों लोग इस दुनिया से विदा भी हो गए. गंभीर संक्रमित भले ही अस्पतालों में इलाज के बाद ठीक होकर घर पहुंच गए मगर, पोस्ट कोविड में तमाम मरीजों में शुगर लेवल बढ़ने की शिकायत है. हर दिन एसएनएमसी (सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज), जिला अस्पताल, निजी अस्पताल और क्लीनिक पर ऐसे ही मरीज पहुंच रहे हैं, जो कोरोना को मात दे चुके हैं लेकिन, अब डायबिटिक हो गए हैं. ईटीवी भारत की एसएनएमसी के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आशीष गौतम से बातचीत पर स्पेशल रिपोर्ट...




सवालः पोस्ट कोविड कॉम्पलीकेटिड में कितने प्रतिशत डायबिटिक मिले ?


जवाबः कोविड रिकवरी के बाद हमारे पास पोस्ट कोविड कॉम्पलीकेटिड के ऐसे मरीज हैं, जिनके फेफड़े ज्यादा खराब हो गए हैं. उन्हें अभी भी ऑक्सीजन पर रखा जा रहा है. इनमें 15% ऐसे मरीज हैं, जो डायबिटिक हैं. यह बहुत बड़ा नंबर है.

विशेषज्ञ की राय



सवालः कोविड में कितनी कैटेगिरी में डायबिटिक मरीज मिले ?


जवाबः पोस्ट कोविड में जो डायबिटीज पकड़ में आ रही है, इसमें तीन कैटेगिरी के मरीज हैं. जो, हमारी अब तक की ऑब्जरवेशन है, इनमें पहली कैटेगरी के वह मरीज हैं, जो डायबिटिक थे मगर उनमें ज्यादा डायबिटीज के लक्षण नहीं थे. कोविड-19 के चलते ऐसे लोग अस्पताल में भर्ती हुए. यहां उनके रूटीन टेस्ट हुए. इसमें ऐसे डायबिटिक मरीज पकड़ में आए. ऐसे मरीज के डायबिटिक होने का कंफर्म पता लगाने के लिए हम एचबीए-1 सी का टेस्ट करा रहे हैं. इसमें उनके शुगर लेवल का पता चल जाता है. इससे पता चल रहा है कि ये मरीज पहले से ही डायबिटिक थे मगर, अब रुटीन चेकअप में पकड़ में आए हैं.



सवालः प्री-डायबिटिक कौन हैं ?


जवाबः पोस्ट कोविड में दूसरी कैटेगरी में ऐसे मरीज पकड़ में आए हैं, जो प्री-डायबिटिक थे. इसमें शुगर लेवल नॉर्मल से थोड़ी बढ़ी होती है लेकिन, वे डायबिटीज की कैटेगरी में नहीं आते हैं. इन्हें प्री-डायबिटिक मरीज कहते हैं. जैसे खाली पेट की शुगर 100 से 126 के बीच में है. ये प्री-डायबिटिक मरीज हैं. ऐसे मरीजों में किसी भी मानसिक तनाव और किसी बीमारी की वजह से थोड़े समय के लिए शुगर बढ़ जाती है क्योंकि, कोविड होने से ऐसे मरीजों का तनाव बढ़ा. इससे ऐसे मरीजों की डायबिटीज हाई हो गई. वे उस समय डायबिटिक मरीजों की तरह पिक किए गए मगर, ऐसे मरीज फिर से अपनी लाइफ स्टाइल में बदलाव करते हैं तो फिर से प्री-डायबिटिक से नॉर्मल हो जाते हैं.



सवालः स्टेरॉयड इंड्यूज डायबिटीज क्या है ?


जवाबः पोस्ट कोविड में तीसरी कैटेगरी के ऐसे मरीज पकड़ में आए. जो कभी डायबिटिक नहीं थे. कभी भी किसी रिपोर्ट में उनके डायबिटिक होने की पुष्टि नहीं हुई थी. कोविड के उपचार के दौरान लगाए गए स्टेरॉयड की वजह से उनका थोड़े समय के लिए शुगर लेवल बढ़ गया. जैसे ही वे कोविड से रिकवर होते हैं, उन्हें स्टेरॉयड देना बंद कर दिया जाता है. इसके कुछ दिन या कुछ हफ्तों बाद बिना किसी मेडिसिन के उनका शुगर नॉर्मल आ जाती है.

इसे भी पढ़ेंः कानपुर सड़क हादसे में 17 की मौत, मोदी शाह ने जताया दुख



सवालः डायबिटिक कोविड मरीज के उपचार में क्या मुश्किलें आती हैं ?


जवाबः डायबिटीज अपने आप में बहुत ही कॉम्प्लिकेटिड प्रॉब्लम है जब किसी का शुगर लेवल बढ़ जाता है तो अमूमन ऐसे मरीज में सेकेंडरी इंफेक्शन होने का रिस्क बहुत ज्यादा हो जाता है. कोविड होने पर ऐसे मरीजों के कोविड का उपचार शुरू हुआ मगर, शुगर हाई होने की वजह से ऐसे मरीजों के यूरिन में इंफेक्शन हो जाता है. फेफड़ों में बैक्टीरियल इंफेक्शन, टीबी सहित अन्य इंफेक्शन के पनपने के चांस बहुत ज्यादा हो जाते हैं. शुगर हाई होने की वजह से मरीज के अंदर डिहाइड्रेशन होता है. उसका पानी निचुड़ जाता है. मरीज के इलेक्ट्रोलाइल असंतुलित हो जाते हैं. इसमें सोडियम और पोटेशियम के स्तर में घटतौल होती है. इसके साथ ही कभी कभी 'डायबिटिक कीटो एसिडोसिस' कंडीशन में मरीज के शरीर में कीटोन नाम का सब्सटेंस पनपता है. जिसकी वजह से कभी-कभी मरीज कोमा में भी चला जाता है.

आगराः कोरोना महामारी का कहर पूरी दुनिया झेल रही है. कोरोना की दूसरी लहर बेहद खतरनाक साबित हुई है. इस लहर में देशभर के करोड़ों लोग संक्रमित हुए. लाखों लोग इस दुनिया से विदा भी हो गए. गंभीर संक्रमित भले ही अस्पतालों में इलाज के बाद ठीक होकर घर पहुंच गए मगर, पोस्ट कोविड में तमाम मरीजों में शुगर लेवल बढ़ने की शिकायत है. हर दिन एसएनएमसी (सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज), जिला अस्पताल, निजी अस्पताल और क्लीनिक पर ऐसे ही मरीज पहुंच रहे हैं, जो कोरोना को मात दे चुके हैं लेकिन, अब डायबिटिक हो गए हैं. ईटीवी भारत की एसएनएमसी के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आशीष गौतम से बातचीत पर स्पेशल रिपोर्ट...




सवालः पोस्ट कोविड कॉम्पलीकेटिड में कितने प्रतिशत डायबिटिक मिले ?


जवाबः कोविड रिकवरी के बाद हमारे पास पोस्ट कोविड कॉम्पलीकेटिड के ऐसे मरीज हैं, जिनके फेफड़े ज्यादा खराब हो गए हैं. उन्हें अभी भी ऑक्सीजन पर रखा जा रहा है. इनमें 15% ऐसे मरीज हैं, जो डायबिटिक हैं. यह बहुत बड़ा नंबर है.

विशेषज्ञ की राय



सवालः कोविड में कितनी कैटेगिरी में डायबिटिक मरीज मिले ?


जवाबः पोस्ट कोविड में जो डायबिटीज पकड़ में आ रही है, इसमें तीन कैटेगिरी के मरीज हैं. जो, हमारी अब तक की ऑब्जरवेशन है, इनमें पहली कैटेगरी के वह मरीज हैं, जो डायबिटिक थे मगर उनमें ज्यादा डायबिटीज के लक्षण नहीं थे. कोविड-19 के चलते ऐसे लोग अस्पताल में भर्ती हुए. यहां उनके रूटीन टेस्ट हुए. इसमें ऐसे डायबिटिक मरीज पकड़ में आए. ऐसे मरीज के डायबिटिक होने का कंफर्म पता लगाने के लिए हम एचबीए-1 सी का टेस्ट करा रहे हैं. इसमें उनके शुगर लेवल का पता चल जाता है. इससे पता चल रहा है कि ये मरीज पहले से ही डायबिटिक थे मगर, अब रुटीन चेकअप में पकड़ में आए हैं.



सवालः प्री-डायबिटिक कौन हैं ?


जवाबः पोस्ट कोविड में दूसरी कैटेगरी में ऐसे मरीज पकड़ में आए हैं, जो प्री-डायबिटिक थे. इसमें शुगर लेवल नॉर्मल से थोड़ी बढ़ी होती है लेकिन, वे डायबिटीज की कैटेगरी में नहीं आते हैं. इन्हें प्री-डायबिटिक मरीज कहते हैं. जैसे खाली पेट की शुगर 100 से 126 के बीच में है. ये प्री-डायबिटिक मरीज हैं. ऐसे मरीजों में किसी भी मानसिक तनाव और किसी बीमारी की वजह से थोड़े समय के लिए शुगर बढ़ जाती है क्योंकि, कोविड होने से ऐसे मरीजों का तनाव बढ़ा. इससे ऐसे मरीजों की डायबिटीज हाई हो गई. वे उस समय डायबिटिक मरीजों की तरह पिक किए गए मगर, ऐसे मरीज फिर से अपनी लाइफ स्टाइल में बदलाव करते हैं तो फिर से प्री-डायबिटिक से नॉर्मल हो जाते हैं.



सवालः स्टेरॉयड इंड्यूज डायबिटीज क्या है ?


जवाबः पोस्ट कोविड में तीसरी कैटेगरी के ऐसे मरीज पकड़ में आए. जो कभी डायबिटिक नहीं थे. कभी भी किसी रिपोर्ट में उनके डायबिटिक होने की पुष्टि नहीं हुई थी. कोविड के उपचार के दौरान लगाए गए स्टेरॉयड की वजह से उनका थोड़े समय के लिए शुगर लेवल बढ़ गया. जैसे ही वे कोविड से रिकवर होते हैं, उन्हें स्टेरॉयड देना बंद कर दिया जाता है. इसके कुछ दिन या कुछ हफ्तों बाद बिना किसी मेडिसिन के उनका शुगर नॉर्मल आ जाती है.

इसे भी पढ़ेंः कानपुर सड़क हादसे में 17 की मौत, मोदी शाह ने जताया दुख



सवालः डायबिटिक कोविड मरीज के उपचार में क्या मुश्किलें आती हैं ?


जवाबः डायबिटीज अपने आप में बहुत ही कॉम्प्लिकेटिड प्रॉब्लम है जब किसी का शुगर लेवल बढ़ जाता है तो अमूमन ऐसे मरीज में सेकेंडरी इंफेक्शन होने का रिस्क बहुत ज्यादा हो जाता है. कोविड होने पर ऐसे मरीजों के कोविड का उपचार शुरू हुआ मगर, शुगर हाई होने की वजह से ऐसे मरीजों के यूरिन में इंफेक्शन हो जाता है. फेफड़ों में बैक्टीरियल इंफेक्शन, टीबी सहित अन्य इंफेक्शन के पनपने के चांस बहुत ज्यादा हो जाते हैं. शुगर हाई होने की वजह से मरीज के अंदर डिहाइड्रेशन होता है. उसका पानी निचुड़ जाता है. मरीज के इलेक्ट्रोलाइल असंतुलित हो जाते हैं. इसमें सोडियम और पोटेशियम के स्तर में घटतौल होती है. इसके साथ ही कभी कभी 'डायबिटिक कीटो एसिडोसिस' कंडीशन में मरीज के शरीर में कीटोन नाम का सब्सटेंस पनपता है. जिसकी वजह से कभी-कभी मरीज कोमा में भी चला जाता है.

Last Updated : Jun 9, 2021, 11:47 AM IST
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