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एसएनएमसी के 13 मरीजों में डेंगू का डी टू स्ट्रेन, बच्चों और बुजुर्गों के लिए घातक - आगरा में डेंगू का प्रकोप

फिरोजाबाद जिले में कहर बरपा रहे डेंगू के डी टू स्ट्रेन ने आगरा में दस्तक दे दी है. सरोजनी नायडू मेडिकल कालेज (एसएनएमसी) के 13 मरीजों में डेंगू के डी टू स्ट्रेन की पुष्टि हुई है. इनमें 6 से 45 साल के मरीज शामिल हैं. जिन मरीजों में डेंगू के डी टू स्ट्रेन का पता चला है, वे भी आगरा के हैं. तीन मरीजों का अभी एसएन में इलाज चल रहा है. यह स्ट्रेन बच्चों और बुजुर्गों के लिए घातक है.

डेंगू का डी टू स्ट्रेन
डेंगू का डी टू स्ट्रेन
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Published : Sep 27, 2021, 5:56 AM IST

आगरा : आगरा जिले में भी डेंगू तेजी से पैर पसारना शुरू कर दिया है. डेंगू के डी टू स्ट्रेन से संक्रमित होने पर अलग अलग लक्षण सामने आ रहे हैं. कुछ बच्चों को एक दिन ही बुखार आ रहा है, बुखार ठीक होने पर स्वजन इलाज नहीं करा रहे हैं. मगर, तीसरे दिन अचानक से तबीयत बिगड़ रही है. जब तक समझ आता है, तबतक मामला गंभीर हो जाता है. अस्‍पताल पहुंचने के बाद भी जान बचाना मुश्किल हो रहा है.

बता दें कि, एसएनएमसी के माइक्रोबायालाजी विभाग ने डेंगू के छह से 45 साल के 25 मरीजों के सैंपल सीरो टाइपिंग के लिए लखनऊ के केजीएमय भेजे गए. प्रभारी डेंगू जांच डॉ. विकास कुमार ने बताया कि, 13 मरीजों में डेंगू का डी टू स्ट्रेन मिला है. 10 मरीज ठीक होने पर डिस्चार्ज कर दिए गए, वहीं तीन मरीज भर्ती हैं. उन्होंने बताया कि डेंगू के चार स्ट्रेन होते हैं. डी वन, डी फोर की तुलना में डी टू और डी थ्री स्ट्रेन बेहद घातक हैं.

यह है डेंगू हैमरेजिक फीवर

एसएन मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग के डॉ. नीरज यादव ने बताया कि, डेंगू के डी टू स्ट्रेन से संक्रमित होने पर डेंगू हैमरेजिक फीवर के लक्षण के साथ मरीज भर्ती होता है. डी टू स्ट्रेन की वजह से तेज बुखार के साथ इंटरनल ब्लीडिंग (नाक, पेट, दिमाग, मसूड़े से रक्तस्राव) होती है. प्लेटलेट काउंट कम होती है. गुर्दा सहित शरीर के अन्य अंग प्रभावित होते हैं. इससे मरीज शाक बेहोशी में चला जाता है. ऐसे केस में मरीज की जान बचाना मुश्किल होता है.

इस स्टेन में 48 घंटे बेहद घातक

एसएनएमसी के डेंगू के नोडल अधिकारी डॉ. मृदुल चतुर्वेदी ने बताया कि, डी टू स्ट्रेन से संक्रमित होने पर तीन दिन बाद बुखार ठीक जाता है. इसके बाद के 48 घंटे ज्यादा खतरनाक होते हैं. प्लेटलेट काउंट (सामान्य स्तर 1.50 से 4 लाख) कम होने के साथ ही खून गाढ़ा होता है. इसलिए फ्लूइड अधिक देना पड़ता है. सात से 10 दिन में मरीज ठीक हो जाता है. डेंगू के लिए कोई एंटी वायरल नहीं है, मरीज के लक्षण को देखते हुए दवा दी जाती है.

इसे भी पढ़ें- नरेंद्र गिरि मौत मामला: मठ में 13 घंटे तक सीबीआई करती रही जांच, महंत का कमरा सील

डेंगू के स्ट्रेन

1- डी वन: तेज बुखार और प्लेटलेट काउंट कम होना.

2- डी टू और डी थ्री : डेंगू हैमरेजिक फीवर में रक्तस्राव और शॉक.

3- डी फोर: तेज बुखार और शरीर में दर्द.

आगरा : आगरा जिले में भी डेंगू तेजी से पैर पसारना शुरू कर दिया है. डेंगू के डी टू स्ट्रेन से संक्रमित होने पर अलग अलग लक्षण सामने आ रहे हैं. कुछ बच्चों को एक दिन ही बुखार आ रहा है, बुखार ठीक होने पर स्वजन इलाज नहीं करा रहे हैं. मगर, तीसरे दिन अचानक से तबीयत बिगड़ रही है. जब तक समझ आता है, तबतक मामला गंभीर हो जाता है. अस्‍पताल पहुंचने के बाद भी जान बचाना मुश्किल हो रहा है.

बता दें कि, एसएनएमसी के माइक्रोबायालाजी विभाग ने डेंगू के छह से 45 साल के 25 मरीजों के सैंपल सीरो टाइपिंग के लिए लखनऊ के केजीएमय भेजे गए. प्रभारी डेंगू जांच डॉ. विकास कुमार ने बताया कि, 13 मरीजों में डेंगू का डी टू स्ट्रेन मिला है. 10 मरीज ठीक होने पर डिस्चार्ज कर दिए गए, वहीं तीन मरीज भर्ती हैं. उन्होंने बताया कि डेंगू के चार स्ट्रेन होते हैं. डी वन, डी फोर की तुलना में डी टू और डी थ्री स्ट्रेन बेहद घातक हैं.

यह है डेंगू हैमरेजिक फीवर

एसएन मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग के डॉ. नीरज यादव ने बताया कि, डेंगू के डी टू स्ट्रेन से संक्रमित होने पर डेंगू हैमरेजिक फीवर के लक्षण के साथ मरीज भर्ती होता है. डी टू स्ट्रेन की वजह से तेज बुखार के साथ इंटरनल ब्लीडिंग (नाक, पेट, दिमाग, मसूड़े से रक्तस्राव) होती है. प्लेटलेट काउंट कम होती है. गुर्दा सहित शरीर के अन्य अंग प्रभावित होते हैं. इससे मरीज शाक बेहोशी में चला जाता है. ऐसे केस में मरीज की जान बचाना मुश्किल होता है.

इस स्टेन में 48 घंटे बेहद घातक

एसएनएमसी के डेंगू के नोडल अधिकारी डॉ. मृदुल चतुर्वेदी ने बताया कि, डी टू स्ट्रेन से संक्रमित होने पर तीन दिन बाद बुखार ठीक जाता है. इसके बाद के 48 घंटे ज्यादा खतरनाक होते हैं. प्लेटलेट काउंट (सामान्य स्तर 1.50 से 4 लाख) कम होने के साथ ही खून गाढ़ा होता है. इसलिए फ्लूइड अधिक देना पड़ता है. सात से 10 दिन में मरीज ठीक हो जाता है. डेंगू के लिए कोई एंटी वायरल नहीं है, मरीज के लक्षण को देखते हुए दवा दी जाती है.

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डेंगू के स्ट्रेन

1- डी वन: तेज बुखार और प्लेटलेट काउंट कम होना.

2- डी टू और डी थ्री : डेंगू हैमरेजिक फीवर में रक्तस्राव और शॉक.

3- डी फोर: तेज बुखार और शरीर में दर्द.

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