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दुष्कर्म करने वाले आरोपी पिता को आजीवन कारावास

यूपी के आगरा में शनिवार को कोर्ट ने दुष्कर्म के एक आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. दोषी शख्स ने अपनी 12 साल की बेटी के साथ दुष्कर्म किया था.

पांच साल पहले हुई थी वारदात.
पांच साल पहले हुई थी वारदात.
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Published : Feb 6, 2021, 9:36 PM IST

आगरा: ताजनगरी में बेटी के साथ दुष्कर्म करने वाले पिता को शनिवार को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई. न्यायाधीश ने अपने आदेश में लिखा कि 'अभियुक्त ने अमानवीय कार्य किया है. एक बेटी अपने पिता के पास सबसे ज्यादा सुरक्षित रहती है, लेकिन पिता ही भक्षक बन जाए तो बेटी कहीं सुरक्षित नहीं है'.

पांच साल पहले हुई थी वारदात.

12 साल की थी बेटी

मामला करीब पांच साल पुराना है. आगरा के जगदीशपुरा थाना क्षेत्र की रहने वाली एक महिला ने 10 जून 2015 को अपने पति के खिलाफ दुष्कर्म करने का मुकदमा दर्ज कराया था. आरोप था कि पति ने डरा-धमका कर 12 साल की बेटी के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंंजाम दिया. पुलिस ने आरोपी पिता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

बेटी को दी थी जान से मारने की धमकी

विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो) विमलेश आनंद ने बताया कि पीड़ित महिला 15 मार्च 2015 को अपनी बहन की तबीयत खराब होने पर उसके पास कालिंदी विहार गई थी. इसी बीच महिला अपनी बहन के घर 10 दिनों के लिए रुक गई. घर पर उसकी 12 वर्षीया बेटी और जूता कारीगर पति था. उसी दौरान आरोपी ने दस दिन तक बेटी को डरा-धमका कर दुष्कर्म किया. आरोपी पिता ने बेटी से कहा था कि यदि किसी से कुछ बताया तो उसे और उसकी मां को जान से मार देगा. बच्ची गुमसुम हो गई. कुछ दिनों बाद जब मां ने पूछा तो पिता की करतूत सामने आई.

विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो) विमलेश आनंद ने बताया कि अदालत पॉक्सो एक्ट के न्यायाधीश वीके जायसवाल ने बच्ची के पिता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने 1.80 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. ऐसे व्यक्ति को समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है.

मार्मिक कविता की लाइनें भी लिखा आदेश में

विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो) विमलेश आनंद ने बताया कि अदालत पॉक्सो एक्ट के न्यायाधीश वीके जायसवाल ने अपने आदेश में एक कविता की चंद लाइनें लिखी हैं. यह कविता बेटियों पर लिखी गई हैं, क्योंकि बेटियां फूल की तरह होती हैं. ये लाइनें इस तरह हैं-

जब-जब जन्म लेती है बेटी,
खुशियां साथ लाती है बेटी
ईश्वर की सौगात है बेटी,
सुबह की पहली किरण है बेटी
तारों की शीतल छाया है बेटी,
आंगन की चिड़िया है बेटी.

आगरा: ताजनगरी में बेटी के साथ दुष्कर्म करने वाले पिता को शनिवार को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई. न्यायाधीश ने अपने आदेश में लिखा कि 'अभियुक्त ने अमानवीय कार्य किया है. एक बेटी अपने पिता के पास सबसे ज्यादा सुरक्षित रहती है, लेकिन पिता ही भक्षक बन जाए तो बेटी कहीं सुरक्षित नहीं है'.

पांच साल पहले हुई थी वारदात.

12 साल की थी बेटी

मामला करीब पांच साल पुराना है. आगरा के जगदीशपुरा थाना क्षेत्र की रहने वाली एक महिला ने 10 जून 2015 को अपने पति के खिलाफ दुष्कर्म करने का मुकदमा दर्ज कराया था. आरोप था कि पति ने डरा-धमका कर 12 साल की बेटी के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंंजाम दिया. पुलिस ने आरोपी पिता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

बेटी को दी थी जान से मारने की धमकी

विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो) विमलेश आनंद ने बताया कि पीड़ित महिला 15 मार्च 2015 को अपनी बहन की तबीयत खराब होने पर उसके पास कालिंदी विहार गई थी. इसी बीच महिला अपनी बहन के घर 10 दिनों के लिए रुक गई. घर पर उसकी 12 वर्षीया बेटी और जूता कारीगर पति था. उसी दौरान आरोपी ने दस दिन तक बेटी को डरा-धमका कर दुष्कर्म किया. आरोपी पिता ने बेटी से कहा था कि यदि किसी से कुछ बताया तो उसे और उसकी मां को जान से मार देगा. बच्ची गुमसुम हो गई. कुछ दिनों बाद जब मां ने पूछा तो पिता की करतूत सामने आई.

विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो) विमलेश आनंद ने बताया कि अदालत पॉक्सो एक्ट के न्यायाधीश वीके जायसवाल ने बच्ची के पिता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने 1.80 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. ऐसे व्यक्ति को समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है.

मार्मिक कविता की लाइनें भी लिखा आदेश में

विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो) विमलेश आनंद ने बताया कि अदालत पॉक्सो एक्ट के न्यायाधीश वीके जायसवाल ने अपने आदेश में एक कविता की चंद लाइनें लिखी हैं. यह कविता बेटियों पर लिखी गई हैं, क्योंकि बेटियां फूल की तरह होती हैं. ये लाइनें इस तरह हैं-

जब-जब जन्म लेती है बेटी,
खुशियां साथ लाती है बेटी
ईश्वर की सौगात है बेटी,
सुबह की पहली किरण है बेटी
तारों की शीतल छाया है बेटी,
आंगन की चिड़िया है बेटी.

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