आगरा: ताजनगरी के बहुचर्चित पनवारी कांड में गुरुवार को फैसला आ गया है. कोर्ट ने भाजपा विधायक चौधरी बाबूलाल समेत आठ आरोपियों को दोषमुक्त किया है. इस मामले में दो आरोपियों की पहले ही मौत हो चुकी है. 32 साल बाद फैसला आने से भाजपाईयों में खुशी की लहर है. विधायक चौधरी बाबूलाल ने कहा कि सत्य की जीत हुई है. हमें न्यायालय पर पूरा विश्वास था.
सिकंदरा क्षेत्र के गांव पनवारी में 22 जून 1990 को अनुसूचित जाति के चोखेलाल की बेटी की शादी थी. दूल्हा की बरात चढ़ रही थी, जिसका जाट समाज के लोगों ने विरोध किया था. इतना ही नहीं पथराव और फायरिंग के साथ ही दलितों के घरों में आगजनी हुई थी. इसके बाद जिले में जातीय संघर्ष के चलते कर्फ्यू लगाया था. इस कांड में भाजपा विधायक चौधरी बाबूलाल समेत अन्य आरोपी बनाए गए थे. वर्तमान में यह केस विशेष न्यायाधीश एमपी -एमएलए कोर्ट में चल रहा था, जिसकी सुनवाई न्यायधीश नीरज गौतम कर रहे थे. गुरुवार को सुनवाई के बाद न्यायधीश ने साक्ष्य के अभाव में सभी आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया.
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इन धाराओं में किया गया था मुकदमा
मामले में तत्कालीन एसओ सिकंदरा रमनपाल सिंह की ओर से लोक व्यवस्था भंग करने, बलवा, जानलेवा हमले, सरकारी कार्य में बाधा, आगजनी और एससी-एसटी एक्ट समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था. पुलिस ने मामले में तत्कालीन जिलाधिकारी और एसएसपी समेत 42 गवाहों के बयान दर्ज करके न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर किया.
2006 में तय हुए थे आरोप
वहीं, 12 अप्रैल 2006 में तत्कालीन स्पेशल जज जनार्दन गोयल ने मुख्य अभियुक्त में चौधरी बाबूलाल, बच्चू सिंह, रामवीर, बहादुर सिंह, रूप सिंह, देवी सिंह, बाबू सिंह, विक्रम सिंह, रघुनाथ सिंह, रामऔतार, शिवराम, भरत सिंह, श्यामवीर और सत्यवीर के खिलाफ आरोप तय किए थे. इनमें से दो अभियुक्तों की मौत हो गई.
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