आगराः ताजनगरी की जामा मस्जिद में स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण को लेकर पैदा हुआ विवाद तूल पकड़ लिया है. इस विवाद में अब हिंदुवादी संगठन भी उतर आए हैं. हिंदूवादी संगठनों ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट और मंटोला थाना पर शहर मुफ्ती के खिलाफ प्रदर्शन किया और नारेबाजी की. हिंदूवादी संगठनों ने पुलिस से सख्त कार्रवाई की मांग की. मामले में मंटोला थाना में शहर मुफ्ती के खिलाफ तहरीर भी दी है. वहीं, एसएसपी मुनिराज जी ने एलआईयू से जांच कराने के बाद कार्रवाई की बात कही है. इसके साथ ही इस्लामियां लोकल एजेंसी के अध्यक्ष असलम कुरैशी ने शहर मुफ्ती को पद से हटा दिया है.
बता दें कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शाही जामा मस्जिद में स्थित मदरसा में उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी और इस्लामिया लोकल एजेंसी के अध्यक्ष असलम कुरैशी ने बच्चों के साथ ध्वजारोहण किया था. यहां पर ध्वजारोहण के साथ राष्ट्रगान भी गाया गया. शहर के कुछ लोगों को यह रास नहीं आया. इस मामले में शहर मुफ्ती मजीदुल कुददूस खुबैब रूमी ने एक ऑडियो जारी करके अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी थी. इसे गुनाह हराम का काम और गुनाह-ए-कबीरा बताया था. इसके बाद से ही मामला गरमाया हुआ है.
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राष्ट्रीय हिंदू परिषद (भारत) के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोविंद पाराशर का कहना है कि शहर मुफ्ती के खिलाफ यदि 24 घंटे में पुलिस प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की तो संगठन के लोग जामा मस्जिद पर जा करके फिर तिरंगा फहराएंगे. राष्ट्रगान गाएंगे. इसकी जिम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की होगी. अगर जामा मस्जिद पर भारत का तिरंगा नहीं फहराया जा सकता है तो फिर किस देश का तिरंगा फहराया जाएगा. मुफ्ती देश विरोधी हैं, इनके खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई होनी चाहिए.
चेयरमैन ने हठधर्मी की, मेरी बात का निकाला गलत अर्थ
शहर मुफ्ती मजीदुल कुददूस खुबैब रूमी ने मंगलवार शाम जामा मस्जिद मुद्दे को लेकर एक ऑडियो जारी करके बयान दिया है. जिसमें उन्होंने कहा कि मेरी बात को दूसरा रूप दिया जा रहा है. इस्लामिया लोकल एजेंसी के चेयरमैन असलम क़ुरैशी की कोई ताकत नहीं है, मुझे हटाने की. मस्जिद के अंदर इस तरह के कार्य करना गलत है. असलम क़ुरैशी ने अपने को बचाने के लिए मेरी बात का गलत मतलब निकाला है. मैंने जियानक दारी इंतजाम का तकादा किया है. मैंने चेयरमैन असलम क़ुरैशी को 15 अगस्त से एक दिन पहले बता दिया था कि, मस्जिद के अंदर कोई 15 अगस्त के कार्यक्रम नहीं हो सकता है. असलम क़ुरैशी को बताने के बाद भी उन्होंने हठधर्मी की. जो जहालत, हिमाकत, नालायकी का उदहारण दिया है. असलम क़ुरैशी को मुझे मुफ़्ती पद पर न रखने का हक़ है और न हटाने का हक है. उन्हें अपने पद का अधिकार ही पता नहीं हैं.