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ज्ञानवापी परिसर प्रकरण पर बोले कैबिनेट मंत्री, कहा, वास्तविकता आए सबके सामने

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में परिसर के सर्वे वाली याचिका पर कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुना दिया है. हिंदू पक्ष ने पूरे मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वे की मांग करते हुए याचिका लगाई थी.

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Published : Jul 22, 2023, 10:04 AM IST

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आगरा : वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने का फैसला सुनाया है. जिसमें एएसआई को ज्ञानवापी के सील वजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर का सर्वे करना है. इसको लेकर योगी सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने प्रतिक्रिया दी है. उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने इस फैसले का स्वागत किया है. यह फैसला अभिनंदन के योग्य है. उन्होंने कहा कि, एएसआई के सर्वे से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. जो वास्तविकता है. वो जनता और विश्व के सामने आनी चाहिए.


बता दें कि, वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने राखी सिंह बनाम व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य के मुकदमे में शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया है. जिसमें एएसआई से ज्ञानवापी परिसर के सर्वे कराने का आदेश दिया है. जिसमें एएसआई को सील वजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर का सर्वे करना है. अदालत ने 11 बिंदु पर आधारित आदेश एएसआई के निदेशक को दिया है. इन्हीं बिंदुओं के आधार पर एएसआई को सर्वे कर चार अगस्त तक अदालत को रिपोर्ट देनी है. अब इस प्रकरण में सुनवाई की अगली तिथि चार अगस्त है.


योगी सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने शनिवार सुबह ज्ञानवापी प्रकरण के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि, 'वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश का दिया गया फैसला स्वागत योग्य है. यह अभिनंदन योग्य है. उन्होंने कहा कि, न्यायालय के फैसले से अब एएसआई ज्ञानवापी परिसर की रडार जांच करेगी तो रडार जांच से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. जो वास्तविक तथ्य हैं वो सामने आएंगे. जो वास्तविक तथ्य जांच में सामने आएं. उनका सभी पक्षों का आदर करना चाहिए. क्योंकि, जो असलियत जनता और विश्व के सामने आती है तो उसके अनुसार आगे कार्रवाई भी की जानी चाहिए.'


वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने अपने आदेश में साफ कहा कि, 'एएसआई ज्ञानवानी परिसर की आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर विस्तृत वैज्ञानिक जांच करे. एएसआई के निदेशक यह सुनिश्चित करेंगे कि, विवादित भूमि पर खड़ी मौजूदा संरचना को कोई नुकसान न हो और वह जस की तस बरकरार रहे.'

यह भी पढ़ें : Watch: बीजेपी विधायक के बेटे ने की दंबगई, रेलवे गैटमैन को बुरी तरह पीटा

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आगरा : वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने का फैसला सुनाया है. जिसमें एएसआई को ज्ञानवापी के सील वजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर का सर्वे करना है. इसको लेकर योगी सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने प्रतिक्रिया दी है. उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने इस फैसले का स्वागत किया है. यह फैसला अभिनंदन के योग्य है. उन्होंने कहा कि, एएसआई के सर्वे से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. जो वास्तविकता है. वो जनता और विश्व के सामने आनी चाहिए.


बता दें कि, वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने राखी सिंह बनाम व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य के मुकदमे में शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया है. जिसमें एएसआई से ज्ञानवापी परिसर के सर्वे कराने का आदेश दिया है. जिसमें एएसआई को सील वजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर का सर्वे करना है. अदालत ने 11 बिंदु पर आधारित आदेश एएसआई के निदेशक को दिया है. इन्हीं बिंदुओं के आधार पर एएसआई को सर्वे कर चार अगस्त तक अदालत को रिपोर्ट देनी है. अब इस प्रकरण में सुनवाई की अगली तिथि चार अगस्त है.


योगी सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने शनिवार सुबह ज्ञानवापी प्रकरण के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि, 'वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश का दिया गया फैसला स्वागत योग्य है. यह अभिनंदन योग्य है. उन्होंने कहा कि, न्यायालय के फैसले से अब एएसआई ज्ञानवापी परिसर की रडार जांच करेगी तो रडार जांच से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. जो वास्तविक तथ्य हैं वो सामने आएंगे. जो वास्तविक तथ्य जांच में सामने आएं. उनका सभी पक्षों का आदर करना चाहिए. क्योंकि, जो असलियत जनता और विश्व के सामने आती है तो उसके अनुसार आगे कार्रवाई भी की जानी चाहिए.'


वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने अपने आदेश में साफ कहा कि, 'एएसआई ज्ञानवानी परिसर की आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर विस्तृत वैज्ञानिक जांच करे. एएसआई के निदेशक यह सुनिश्चित करेंगे कि, विवादित भूमि पर खड़ी मौजूदा संरचना को कोई नुकसान न हो और वह जस की तस बरकरार रहे.'

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