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ताजनगरी के गांव में चल रही बॉक्सिंग की ट्रेनिंग, खेत में युवा दिखा रहे अपना दम

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Published : Jun 16, 2022, 1:24 PM IST

आगरा के गांव गुतिला में बॉक्सिंग नर्सरी में युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इस एकेडमी में युवा दूर-दूर से ट्रेनिंग लेने आते हैं. देश के लिए मेडल लाने कोच राहुल सिंह जादौन ऐसे किशोर-किशोरियों को तैयार कर रहे हैं. वहीं, समाज के लोगों को खेल के प्रति जागरुक किया जा रहा है.

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बॉक्सिंग की नर्सरी

आगरा: ताजनगरी के गांव गुतिला में बॉक्सिंग का जोश और जुनून देखने को मिल रहा है. इस गांव के खेत में बॉक्सिंग एकेडमी चलती है. इसमें करीब 35 से 45 किशोर, किशोरियां बेहतर भविष्य के दांव-पेच के साथ जीत का पंच लगाना सीख रहे हैं. इस नर्सरी में ट्रेनिंग लेने के लिए सभी युवा 25 से 30 किलोमीटर की दूरी से आते हैं. इससे पता चलता है कि युवा किस तरह से बॉक्सिंग को लेकर काफी उत्साहित है. ओलंपिक में खिलाड़ियों के पदक जीतने और सरकारी नौकरी में बॉक्सर्स को तवज्जों मिलने से आगरा के युवाओं क्रेज बढ़ा है. ईटीवी भारत की की टीम ने ऐसे युवाओं से खास बातचीत की है. उन्होंने बताया है कि किस तरह देश के लिए मेडल जीतने के चलते रिंग में पसीना बहा रहे हैं.

आगरा जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर शमशाबाद रोड स्थित गांव गुतिला है. जहां खेतों में कोच राहुल सिंह जादौन बॉक्सिंग एकेडमी चला रहे हैं. राहुल सिंह बॉक्सिंग के एनआईएस कोच हैं. इन्हें दो दशक से ज्यादा का अनुभव भी है. उनकी एकेडमी में बॉक्सिंग की एबीसीडी सीखकर बॉक्सर ताजनगरी, माता पिता और राहुल सिंह जादौन का नाम रोशन कर रहे हैं.

बॉक्सिंग की ट्रेनिंग ले रहे युवाओं से ईटीवी भारत की टीम ने की खास बातचीत

मेडल जीतने के लिए रिंग में बहा रहे पसीना: बॉक्सर योगेश लोधी ने बताया कि अभी वह यूथ नेशनल खेलने गए थे, वहां उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया था. लेकिन, एक प्वॉइंट की वजह से मेडल से चूक गए. इस बार वह सीनियर में मेडल के लिए मेहनत कर रहे हैं. वहीं, बॉक्सर यश तिवारी का कहना है कि, इस बार वह नेशनल में मेडल जीतकर आएंगे. उन्हें बॉक्सिंग का शौक बचपन में अपने दोस्तों को देखकर लगा था और दोस्तों के साथ खेलते-खेलते शौक एक लक्ष्य में बदल गया. बॉक्सर हरवीर धाकरे ने बताया कि उनका लक्ष्य एक अच्छा बॉक्सर बनना है. वह इंटरनेशनल बॉक्सर बनने के लिए रिंग में पसीना बहा रहे हैं. इससे ग्रामीणों को भी एक प्रेरणा मिलेगी कि खेल से भी नाम रोशन किया जा सकता है.

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बॉक्सिंग की ओर युवाओं का रूख

बॉक्सिंग से मिली पुलिस में नौकरी: पुलिस में नौकरी कर रही बॉक्सर प्रवीता सिंह ने बताया कि उन्होंने भी कोच राहुल सिंह जादौन से बॉक्सिंग की ट्रेनिंग ली थी. उसके बाद उन्होंने प्रदेश और नेशनल स्तर पर गोल्ड मेडल भी जीता. उसी के आधार पर उन्हें पुलिस में नौकरी मिल गई. इसके साथ ही उन्होंने इंडिया कैंप भी किया है और प्रवीता सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस की तरफ से मेडल भी जीत रहीं हैं. फिलहाल वह अब एनआईएस कोच बनने के लिए तैयारी में जुट गई हैं.

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प्रशिक्षण ले रहीं महिला बॉक्सर


देहात की लड़की बॉक्सर बन सकती है: शमशाबाद की ​सलोनी जादौन ने देश के लिए मेडल लाने का लक्ष्य रखा है. सलोनी का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में खेल को बढ़ावा नहीं दिया जाता है. इसलिए वह गांव के लोगों के लिए एक उदाहरण देना चाहती हैं, कि गांव देहात की भी लड़की बॉक्सर बन सकती है. महिला युवा बॉक्सर ने बताया कि वह इस एकेडमी से तीन साल से जुड़ी हैं. वह यहां से प्रदेश स्तरीय बॉक्सिंह चैंपियनशिप में शामिल हुईं थी और उन्होंने सिल्वर मेडल भी जीता था.

शामली: 300 साल पुरानी मस्जिद को बचाने के लिए आगे आए हिंदू, ऐतिहासिक गौरव गाथा समेटे इस मस्जिद में नहीं होती है नमाज


बॉक्सिंग नर्सरी से बने इंटरनेशनल बॉक्सर: रेलवे के बॉक्सर आशीष गौतम ने बताया कि इस एकेडमी में नेशनल और इंटरनेशनल बॉक्सर हैं, जो कि जूनियर-सीनियर मेडलिस्ट रहे हैं. साल 2015 से अब तक कई इंटरनेशनल बॉक्सर निकले हैं. आशीष गौतम ने आगे कहा कि वह काउंसलिंग के समय युवाओं से पूछते हैं कि वह फैशन के चलते बॉक्सिंग की रिंग में आए हैं. देश के लिए जो युवा मेडल जीतने की चाह रखते हैं उन्हीं का चयन किया जाता है. ऐसे कई महिला और पुरुष युवा बॉक्सर नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर मेडल जीते हैं और वह पुलिस, रेलवे सहित अन्य विभागों में नौकरी कर रहे हैं.

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आगरा: ताजनगरी के गांव गुतिला में बॉक्सिंग का जोश और जुनून देखने को मिल रहा है. इस गांव के खेत में बॉक्सिंग एकेडमी चलती है. इसमें करीब 35 से 45 किशोर, किशोरियां बेहतर भविष्य के दांव-पेच के साथ जीत का पंच लगाना सीख रहे हैं. इस नर्सरी में ट्रेनिंग लेने के लिए सभी युवा 25 से 30 किलोमीटर की दूरी से आते हैं. इससे पता चलता है कि युवा किस तरह से बॉक्सिंग को लेकर काफी उत्साहित है. ओलंपिक में खिलाड़ियों के पदक जीतने और सरकारी नौकरी में बॉक्सर्स को तवज्जों मिलने से आगरा के युवाओं क्रेज बढ़ा है. ईटीवी भारत की की टीम ने ऐसे युवाओं से खास बातचीत की है. उन्होंने बताया है कि किस तरह देश के लिए मेडल जीतने के चलते रिंग में पसीना बहा रहे हैं.

आगरा जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर शमशाबाद रोड स्थित गांव गुतिला है. जहां खेतों में कोच राहुल सिंह जादौन बॉक्सिंग एकेडमी चला रहे हैं. राहुल सिंह बॉक्सिंग के एनआईएस कोच हैं. इन्हें दो दशक से ज्यादा का अनुभव भी है. उनकी एकेडमी में बॉक्सिंग की एबीसीडी सीखकर बॉक्सर ताजनगरी, माता पिता और राहुल सिंह जादौन का नाम रोशन कर रहे हैं.

बॉक्सिंग की ट्रेनिंग ले रहे युवाओं से ईटीवी भारत की टीम ने की खास बातचीत

मेडल जीतने के लिए रिंग में बहा रहे पसीना: बॉक्सर योगेश लोधी ने बताया कि अभी वह यूथ नेशनल खेलने गए थे, वहां उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया था. लेकिन, एक प्वॉइंट की वजह से मेडल से चूक गए. इस बार वह सीनियर में मेडल के लिए मेहनत कर रहे हैं. वहीं, बॉक्सर यश तिवारी का कहना है कि, इस बार वह नेशनल में मेडल जीतकर आएंगे. उन्हें बॉक्सिंग का शौक बचपन में अपने दोस्तों को देखकर लगा था और दोस्तों के साथ खेलते-खेलते शौक एक लक्ष्य में बदल गया. बॉक्सर हरवीर धाकरे ने बताया कि उनका लक्ष्य एक अच्छा बॉक्सर बनना है. वह इंटरनेशनल बॉक्सर बनने के लिए रिंग में पसीना बहा रहे हैं. इससे ग्रामीणों को भी एक प्रेरणा मिलेगी कि खेल से भी नाम रोशन किया जा सकता है.

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बॉक्सिंग की ओर युवाओं का रूख

बॉक्सिंग से मिली पुलिस में नौकरी: पुलिस में नौकरी कर रही बॉक्सर प्रवीता सिंह ने बताया कि उन्होंने भी कोच राहुल सिंह जादौन से बॉक्सिंग की ट्रेनिंग ली थी. उसके बाद उन्होंने प्रदेश और नेशनल स्तर पर गोल्ड मेडल भी जीता. उसी के आधार पर उन्हें पुलिस में नौकरी मिल गई. इसके साथ ही उन्होंने इंडिया कैंप भी किया है और प्रवीता सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस की तरफ से मेडल भी जीत रहीं हैं. फिलहाल वह अब एनआईएस कोच बनने के लिए तैयारी में जुट गई हैं.

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प्रशिक्षण ले रहीं महिला बॉक्सर


देहात की लड़की बॉक्सर बन सकती है: शमशाबाद की ​सलोनी जादौन ने देश के लिए मेडल लाने का लक्ष्य रखा है. सलोनी का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में खेल को बढ़ावा नहीं दिया जाता है. इसलिए वह गांव के लोगों के लिए एक उदाहरण देना चाहती हैं, कि गांव देहात की भी लड़की बॉक्सर बन सकती है. महिला युवा बॉक्सर ने बताया कि वह इस एकेडमी से तीन साल से जुड़ी हैं. वह यहां से प्रदेश स्तरीय बॉक्सिंह चैंपियनशिप में शामिल हुईं थी और उन्होंने सिल्वर मेडल भी जीता था.

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बॉक्सिंग नर्सरी से बने इंटरनेशनल बॉक्सर: रेलवे के बॉक्सर आशीष गौतम ने बताया कि इस एकेडमी में नेशनल और इंटरनेशनल बॉक्सर हैं, जो कि जूनियर-सीनियर मेडलिस्ट रहे हैं. साल 2015 से अब तक कई इंटरनेशनल बॉक्सर निकले हैं. आशीष गौतम ने आगे कहा कि वह काउंसलिंग के समय युवाओं से पूछते हैं कि वह फैशन के चलते बॉक्सिंग की रिंग में आए हैं. देश के लिए जो युवा मेडल जीतने की चाह रखते हैं उन्हीं का चयन किया जाता है. ऐसे कई महिला और पुरुष युवा बॉक्सर नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर मेडल जीते हैं और वह पुलिस, रेलवे सहित अन्य विभागों में नौकरी कर रहे हैं.

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