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इस तकनीक से बाढ़ और जलस्तर के पीक प्वॉइन्ट का पहले ही चल सकेगा पता

उत्तर प्रदेश के आगरा में केंद्रीय जल आयोग की टीम को एडीसीपी तकनीक से 48 घंटे पहले ही यमुना नदी में बाढ़ का पता चल जाएगा. इसके साथ ही यमुना में बढ़ने वाले जलस्तर का भी पता लगाया जा सकता है.

भागीरथी अग्रहरि
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Published : Aug 24, 2019, 10:02 AM IST

आगरा: यमुना नदी में बाढ़ के हालात को देखते हुए 1976 में केंद्रीय जल आयोग ने पोइया घाट पर अपना साइट कार्यालय शुरू किया था. इस साइट कार्यालय में कई अत्याधुनिक मशीनें मौजूद हैं.इन मशीनों से यमुना के तेज बहाव, यमुना में सिल्ट और पानी की गहराई समेत अन्य तमाम रीडिंग्स ली जाती है. इनमें से यूएस मेड एक मशीन है, जिसका नाम है एडीसीपी. इस मशीन की खासियत को जानने के लिए ईटीवी भारत ने केंद्रीय जल आयोग के जूनियर इंजीनियर भागीरथी से बातचीत की.

क्या है एडीसीपी
केंद्रीय जल आयोग के जूनियर इंजीनियर भागीरथी अग्रहरि ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि हम हर दिन यमुना के वाटर लेवल का मेजरमेंट करते हैं. इसकी कई तकनीके हैं. इनमें हमारे पास सबसे अत्याधुनिक तकनीक की यूस मेड एडीसीपी मशीन है. इससे हम आसानी से और बहुत ही एक्यूरेट पानी की वैलोसिटी, पानी की डेप्थ और अन्य तमाम जांचे करते हैं. इसे नाव के पीछे बांध दिया जाता है. इसके बाद से जीपीएस से लैपटॉप से कनेक्ट करके मेजरमेंट किया जाता है. इसके साथ ही सिल्ट और अन्य तमाम मेजरमेंट के लिए भी हमारे पास कई अत्याधुनिक इंस्ट्रूमेंट हैं.

एडीसीपी तकनीक के बारे में बात करते जूनियर इंजीनियर भागीरथी अग्रहरि.

क्या है सिल्ट सैंपलर
भागीरथी अग्रहरि ने बताया कि यमुना में कितनी सिल्ट है, इसकी भी जांच हम कर सकते हैं. इसके लिए हमारे पास सिल्ट सैंपलर समेत अन्य अत्याधुनिक उपकरण हैं, जिससे हम इस समय यमुना में पानी के साथ कितनी सिल्ट बह रही है इसका भी मेजरमेंट करते हैं.

48 घंटे पहले चल सकता है बाढ़ का पता
भागीरथी अग्रहरि ने बताया कि केंद्रीय जल आयोग की टीम के जरिए बाढ़ का पूर्वानुमान की भी व्यवस्था की गई है. इसमें जब बाढ़ का पूर्वानुमान करना होता है, तो हमें 24 से 48 घंटे पहले ही पता चल जाता है कि यमुना में कितना पानी बढ़ सकता है. इसके बाद इसकी जानकारी तत्काल जिला प्रशासन को देने की व्यवस्था की गई है.

जलस्तर की पीक प्वाइंट का चलेगा पता
भागीरथी अग्रहरि ने बताया कि इस तकनीक से किस समय पर यमुना नदी में जलस्तर का पीक प्वॉइन्ट होगा, इसका पता लगाया जा सकता है. इससे बाढ़ जैसी समस्याओं से निबटने में सहायता मिलेगी.

पोइया घाट कार्यालय की खासियत
केंद्रीय जल आयोग की साइट का कार्यालय साल 1976 में पोइया घाट पर खोला गया था. इसके लिए पहले गेज पोस्ट की जांच शुरू हुई. फिर सिल्ट और वाटर क्वालिटी की जांच शुरू की गई. इस साइट कार्यालय की वजह से ही पोइया घाट पर यमुना में मार्किंग के लिए पॉइंट भी बनाए गए हैं, जिससे वाटर लेवल का पता किया जा सकता है.

आगरा: यमुना नदी में बाढ़ के हालात को देखते हुए 1976 में केंद्रीय जल आयोग ने पोइया घाट पर अपना साइट कार्यालय शुरू किया था. इस साइट कार्यालय में कई अत्याधुनिक मशीनें मौजूद हैं.इन मशीनों से यमुना के तेज बहाव, यमुना में सिल्ट और पानी की गहराई समेत अन्य तमाम रीडिंग्स ली जाती है. इनमें से यूएस मेड एक मशीन है, जिसका नाम है एडीसीपी. इस मशीन की खासियत को जानने के लिए ईटीवी भारत ने केंद्रीय जल आयोग के जूनियर इंजीनियर भागीरथी से बातचीत की.

क्या है एडीसीपी
केंद्रीय जल आयोग के जूनियर इंजीनियर भागीरथी अग्रहरि ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि हम हर दिन यमुना के वाटर लेवल का मेजरमेंट करते हैं. इसकी कई तकनीके हैं. इनमें हमारे पास सबसे अत्याधुनिक तकनीक की यूस मेड एडीसीपी मशीन है. इससे हम आसानी से और बहुत ही एक्यूरेट पानी की वैलोसिटी, पानी की डेप्थ और अन्य तमाम जांचे करते हैं. इसे नाव के पीछे बांध दिया जाता है. इसके बाद से जीपीएस से लैपटॉप से कनेक्ट करके मेजरमेंट किया जाता है. इसके साथ ही सिल्ट और अन्य तमाम मेजरमेंट के लिए भी हमारे पास कई अत्याधुनिक इंस्ट्रूमेंट हैं.

एडीसीपी तकनीक के बारे में बात करते जूनियर इंजीनियर भागीरथी अग्रहरि.

क्या है सिल्ट सैंपलर
भागीरथी अग्रहरि ने बताया कि यमुना में कितनी सिल्ट है, इसकी भी जांच हम कर सकते हैं. इसके लिए हमारे पास सिल्ट सैंपलर समेत अन्य अत्याधुनिक उपकरण हैं, जिससे हम इस समय यमुना में पानी के साथ कितनी सिल्ट बह रही है इसका भी मेजरमेंट करते हैं.

48 घंटे पहले चल सकता है बाढ़ का पता
भागीरथी अग्रहरि ने बताया कि केंद्रीय जल आयोग की टीम के जरिए बाढ़ का पूर्वानुमान की भी व्यवस्था की गई है. इसमें जब बाढ़ का पूर्वानुमान करना होता है, तो हमें 24 से 48 घंटे पहले ही पता चल जाता है कि यमुना में कितना पानी बढ़ सकता है. इसके बाद इसकी जानकारी तत्काल जिला प्रशासन को देने की व्यवस्था की गई है.

जलस्तर की पीक प्वाइंट का चलेगा पता
भागीरथी अग्रहरि ने बताया कि इस तकनीक से किस समय पर यमुना नदी में जलस्तर का पीक प्वॉइन्ट होगा, इसका पता लगाया जा सकता है. इससे बाढ़ जैसी समस्याओं से निबटने में सहायता मिलेगी.

पोइया घाट कार्यालय की खासियत
केंद्रीय जल आयोग की साइट का कार्यालय साल 1976 में पोइया घाट पर खोला गया था. इसके लिए पहले गेज पोस्ट की जांच शुरू हुई. फिर सिल्ट और वाटर क्वालिटी की जांच शुरू की गई. इस साइट कार्यालय की वजह से ही पोइया घाट पर यमुना में मार्किंग के लिए पॉइंट भी बनाए गए हैं, जिससे वाटर लेवल का पता किया जा सकता है.

Intro:एक्सक्लुसिव ....का लोगो लगा लें.
सिर्फ मैंने ही अत्याधुनिक मशीन पर खबर की है. किसी को इस मशीन की जानकारी भी नहीं है...
आगरा.
आगरा में सन् 1978 में बाढ़ आई थी. यमुना में बाढ़ के हालात को देखते हुए सन् 1976 में केंद्रीय जल आयोग ने पोइया घाट पर अपना साइट कार्यालय शुरू किया था. इस साइट कार्यालय में कई अत्याधुनिक मशीनें मौजूद हैं. जिनसे यमुना के तेज बहाव, यमुना में सिल्ट और पानी की गहराई समेत अन्य तमाम की रीडिंग ली जाती है. इनमें से यूएस मेड एक मशीन है,एडीसीपी है. इस मशीन की खासियत, यमुना के बढ़ते जलस्तर और बाढ़ के हालात को लेकर ईटीवी भारत ने केंद्रीय जल आयोग के जूनियर इंजीनियर भागीरथी से विशेष बातचीत की. उन्होंने कहा कि अभी आगरा में बाढ़ का खतरा नहीं है. यदि बाढ़ के हालात बनेंगे तो हम 48 घंटे पहले पूर्वानुमान जिला प्रशासन को दे सकते हैं.



Body:क्या खासियत है एडीसीपी की?
केंद्रीय जल आयोग के जूनियर इंजीनियर भागीरथी अग्रहरि का कहना है कि, हम हर दिन यमुना के 4 वाटर लेवल का मेजरमेंट करते हैं. इसकी कई तकनीक हैं. इनमें हमारे पास सबसे अत्याधुनिक तकनीक की यूस मेड एडीसीपी मशीन है. इससे हम आसानी से और बहुत ही एक्यूरेट पानी की वैलोसिटी, पानी की डेप्थ और अन्य तमाम जांचे करते हैं. इसे नाव के पीछे बांध दिया जाता है. इसके बाद से जीपीएस से लैपटॉप से कनेक्ट करके मीजरमेंट किया जाता है. इसके साथ ही शील्ट और अन्य तमाम मीजरमेंट के लिए भी हमारे पास कई अत्याधुनिक स्ट्रूमेंट हैं.

सिल्ट सैंपलर क्या है
केंद्रीय जल आयोग के जूनियर इंजीनियर भागीरथी अग्रहरि का कहना है कि, यमुना में कितनी सिल्ट है, इसकी भी जांच हम करते हैं. इसके लिए हमारे पास सिल्ट सैंपलर समेत अन्य अत्याधुनिक उपकरण हैं. जिससे हम इस समय यमुना में पानी के साथ कितनी सिल्ट बह रही है. इसका भी मीजरमेंट करते हैं. इस समय यदि बात की जाए तो 24 घंटे में करीब 80-90 हजार टन सिल्ट यमुना में पानी के साथ बह रही है.

48 घंटे पहले बाढ़ का पता चल जाएगा
केंद्रीय जल आयोग के जूनियर इंजीनियर भागीरथी अग्रहरि का कहना है कि, केंद्रीय जल आयोग की टीम के जरिए बाढ़ पुरवा नाम की भी व्यवस्था है यह में जब बाढ़ का पूर्वानुमान करना होता है तो हमें 24 से 48 घंटे पहले ही पता चल जाता है कि यमुना में कितना पानी बढ़ सकता है. इसकी जानकारी तत्काल जिला प्रशासन को देने की व्यवस्था है.

सुबह रहेगा यमुना में जलस्तर की पीक प्वाइंट
केंद्रीय जल आयोग के जूनियर इंजीनियर भागीरथी अग्रहरि का कहना है कि, आगरा में यमुना के जलस्तर का पीक प्वाइंट शनिवार अल सुबह रहेगा. क्योंकि अभी हम बात करें मथुरा की तो दोपहर 3 बजे मथुरा में यमुना के जलस्तर काफी था. और यहां पर शनिवार अलसुबह तक यमुना के जलस्तर पीक पॉइंट रहेगा और उसके बाद जलस्तर 15 से 16 सेंटीमीटर तक बढ़ेगा फिर जलस्तर गिरता चला जाएगा.

डेंजर लेवल से नीचे रहेगी यमुना
केंद्रीय जल आयोग के जूनियर इंजीनियर भागीरथी अग्रहरि का कहना है कि, यमुना के जलस्तर को देखकर अभी तो यही पूर्वानुमान है कि यमुना आगरा में डेंजर लेवल को क्रॉस नहीं कहेगी. यमुना डेंजर लेवल के नीचे ही रहेगी.

यह खासियत है पोइया घाट कार्यालय की
केंद्रीय जल आयोग का साइट कार्यालय सन् 1976 में पोइया घाट पर खोला गया था. पहले गेज पोस्ट की जांच शुरू हुई. 30 फिर सिल्ट और वाटर क्वालिटी की जांच शुरू की गई. इस साइट कार्यालय की वजह से ही पोइया घाट पर यमुना में मार्किंग के लिए पॉइंट भी बनाए गए हैं. जिससे वाटर लेवल का पता किया जा सकता है.







Conclusion: केंद्रीय जल आयोग की टीम को 48 घंटे पहले ही पता चल जाएगा कि आगरा में बाढ़ आएगी या नहीं. इसके साथ ही यमुना में कितना जल स्तर आगामी दिनों में बढ़ेगा. इसको लेकर भी केंद्रीय जल आयोग के पास सटीक पूर्वानुमान है. आयोग का यह भी पूर्वानुमान है कि, आगरा में यमुना का जलस्तर डेंजर लेवल को क्रॉस नहीं करेगा.
...।।।।.।
केंद्रीय जल आयोग के जूनियर इंजीनियर भागीरथी अग्रहरि का वन टू वन ।

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श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357

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