आगरा: एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने सोमवार को ओपीडी प्रभारी और सभी विभागाध्यक्ष के साथ बैठक की. इसमें कोरोना संक्रमण के चलते सोशल डिस्टेंस और सैनिटाइजेशन पर चर्चा हुई. बैठक में तय किया गया कि ओपीडी में आने वाले मानसिक रोगी, श्वांस और टीबी रोगियों को अब एक बार में 15 दिन की दवा दी जाएगी. कैंसर के मरीजों को पहले की तरह ही 1 माह की दवा दी जाएगी. अन्य विभागों में मरीजों को 7 दिन की दवा दी जाएगी. एसएन मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने यह फैसला ओपीडी में मरीजों की भीड़ कम करने को लेकर लिए हैं.
प्रवेश और निकासी अलग-अलग
ओपीडी में मरीजों और तीमारदारों को सोशल डिस्टेंस का पालन कराने के लिए एसएन मेडिकल कॉलेज में प्रवेश और निकासी अलग-अलग करने का फैसला लिया गया है. अब फव्वारा रोड से ओपीडी के लिए मरीज और तीमारदारों को प्रवेश मिलेगा. वहीं नेत्र रोग विभाग की ओर से ओपीडी में आए मरीज बाहर निकलेंगे.
3 घंटे की रहेगी ओपीडी
बैठक में यह तय हुआ कि मरीज ने जिस बीमारी के लिए पंजीकरण कराया है, उस पंजीकरण पर उसी विभाग में उसे देखा जाएगा. दूसरे विभाग के लिए दोबारा पंजीकरण कराना पड़ेगा. ओपीडी का समय तीन घंटे ही रहेगा. ओपीडी में सुबह 9 बजे से 12 बजे तक मरीज देखे जाएंगे. इसके साथ ही ओपीडी में शीशे का चैंबर और बेरिकेडिंग की व्यवस्था होगी. ओपीडी में आने वाले हर मरीज की एंट्री गेट पर स्क्रीनिंग की जाएगी. पंजीकरण और टेलिमेडिसिन पर कोडवर्ड से मरीजों को एंट्री मिलेगी. हर मरीज का कोडवर्ड एंट्री गेट पर मौजूद रहेगा. जिसे देखकर ही मरीज को एंट्री मिलेगी और उसकी स्क्रीनिंग की जाएगी.
चिकित्सक और स्टाफ का ड्यूटी चार्ट बनेगा
एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि कोरोना संक्रमण की वजह से ओपीडी में भीड़ कम करने के लिए ओपीडी के सभी चिकित्सक और स्टाफ की ड्यूटी चार्ट बनाया जाएगा. बता दें कि एसएन मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में पहले मानसिक रोगियों को एक बार में 7 दिन की दवा दी जाती थी. इसके अलावा बाल रोग, स्त्री रोग, सर्जरी, हड्डी रोग, दंत रोग, नेत्र रोग के मरीजों को तीन-तीन दिन की ही दवा दी जाती थी.
तय समयों पर ही आएं मरीज
ओपीडी में आने वाले मरीजों को देखने के लिए समय तय कर दिया गया है. दंत रोग में एक मरीज को 10 मिनट, मेडिसन-त्वचा रोग में 5 मिनट. बाल रोग, स्त्री रोग, हड्डी रोग में लगभग 6 मिनट का समय चिकित्सक एक मरीज को देखने में देंगे. यदि समय और दिन पर मरीज नहीं आता है तो उसे नए सिरे से पंजीकरण कराना होगा.