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लॉकडाउन ने फीका किया पेठे का कारोबार

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Published : Jun 9, 2020, 1:55 PM IST

Updated : Jun 9, 2020, 3:24 PM IST

ताजमहल की तरह ही दुनियां भर में आगरा का पेठा भी मशहूर है. यहां के पेठे की मिठास का हर कोई दीवाना है. मगर आगरा के पेठा कारोबार में कोरोना कड़वाहट बन गया है. लॉकडाउन से जहां करोड़ों रुपए का कारोबार चौपट हो गया, वहीं हजारों कारीगर बेरोजगार हो गए हैं. हालांकि अनलॉक-1 में भट्ठियां तो सुलगनी शुरू हो गई हैं, लेकिन बाजारों में अभी भी सन्नाटा है.

आगरा: कोरोना ने फीका किया करोड़ों का पेठा कारोबार
आगरा: कोरोना ने फीका किया करोड़ों का पेठा कारोबार

आगरा: जिले में काफी सालों से पेठे का कारोबार होता आ रहा है. देश और विदेश में यहां के पेठे की मिठास के लोग दीवाने हैं. शहर के नूरी दरवाजा में बड़े स्तर पर पेठे का कारोबार होता है, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन हो गया. आगरा रेड जोन में है. ऐसे में यहां अनलॉक-1 में धीरे-धीरे बाजार अब खुल रहे हैं.

कोरोना ने चौपट किया कोरोड़ों का कारोबार.

लॉकडाउन से अस्त-व्यस्त हो गया कारोबार
शहीद भगत सिंह पेठा कुटीर उद्योग के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल का कहना है कि 70 दिन से पेठा का कारोबार बंद है. लॉकडाउन में पेठा कारोबारी, व्यापारी, हजारों कारीगर और किसान प्रभावित हैं. व्यापारियों का पूरा कारोबार अस्त-व्यस्त हो गया है. अब बाजार खुला है तो इस कारोबार को पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है.

पेठा कारोबारियों की बढ़ी मुश्किलें

पेठा कारोबारी राकेश अग्रवाल का कहना है कि पेठे का कारोबार पर्यटन से जुड़ा हुआ है. अभी ताजमहल सहित अन्य स्मारक भी नहीं खुले हैं, तो पर्यटक भी नहीं आ रहे हैं. जब तक पर्यटक नहीं आएंगे, पेठे की बिक्री नहीं होगी. क्योंकि लोकल में पेठा की 10% भी खरीदारी नहीं है. बाहर से पर्यटक आते और जाते हैं तो पेठे की खरीदारी करते हैं.

कोरोना से डरे हुए हैं कारीगर
कोरोना के कारण सभी कारीगर अपने-अपने गांव में हैं. लॉकडाउन खुलने के बाद जब कारोबारी, कारीगरों से वापस आने को बोल रहे हैं तो वो अभी गांव से आने में असहज महसूस कर रहे हैं. जैसे-तैसे समझाने पर कुछ कारीगर वापस आए हैं, जिससे धीरे-धीरे काम शुरू हो रहा है.

दूसरे शहरों से आ रही डिमांड
पेठा कारोबारी तरुण गुप्ता ने बताया कि आगरा में ताजमहल और स्मारक बंद होने से अभी लोकल डिमांड बहुत कम है. जिन जिलों में लॉकडाउन खुल गया है, वहां से डिमांड आ रही है. वहां की मांग के हिसाब से पेठा तैयार किया जा रहा है.

जैसे-तैसे हो रहा गुजारा

कारीगर विष्णु शर्मा ने बताया कि, लॉकडाउन में वो गांव चले गए थे. वहां पर तमाम परेशानियां आईं. जो पैसे थे उससे काफी समय तक सब्जी खरीदी. लेकिन बाद में दूध और मट्ठे से खाना खाकर गुजारा किया. अब लॉकडाउन खुला है तो फिर कारखानों में काम करने के लिए आया हूं.

सब्जी उगाईं, उनका रेट नहीं मिला
कारीगर पप्पू ने बताया कि, लॉकडाउन में काम छूटा तो गांव जाकर खेतीबाड़ी की. सब्जियां उगाई लेकिन एक दो रुपए किलो सब्जी बिकी. परिवार के सभी लोग घर पर बैठे हुए हैं. पहले जहां 5 किलो का आटा घर में खर्च होता था, लेकिन इस समय दो किलो आटा में ही गुजारा करना पड़ा.

एक नजर में समझें पेठा कारोबार का गणित
- 500 करोड़ रुपए का कारोबार.
- 20 जिलों में है कच्चे पेठे की आढ़त.
- 500 पेठा कारखाने हैं आगरा जिले में.
- 2000 पेठे की रिटेल दुकानें हैं जिले में.

- 10000 श्रमिक जुड़े हैं पेठा कारोबार से.

आगरा के पेठे की मिठास खूब मशहूर है. आगरा के पेठे की डिमांड हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, दिल्ली, उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों में है. यहां के लोगों की जुबान पर पेठे की मिठास खूब घुलती है.

आगरा: जिले में काफी सालों से पेठे का कारोबार होता आ रहा है. देश और विदेश में यहां के पेठे की मिठास के लोग दीवाने हैं. शहर के नूरी दरवाजा में बड़े स्तर पर पेठे का कारोबार होता है, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन हो गया. आगरा रेड जोन में है. ऐसे में यहां अनलॉक-1 में धीरे-धीरे बाजार अब खुल रहे हैं.

कोरोना ने चौपट किया कोरोड़ों का कारोबार.

लॉकडाउन से अस्त-व्यस्त हो गया कारोबार
शहीद भगत सिंह पेठा कुटीर उद्योग के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल का कहना है कि 70 दिन से पेठा का कारोबार बंद है. लॉकडाउन में पेठा कारोबारी, व्यापारी, हजारों कारीगर और किसान प्रभावित हैं. व्यापारियों का पूरा कारोबार अस्त-व्यस्त हो गया है. अब बाजार खुला है तो इस कारोबार को पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है.

पेठा कारोबारियों की बढ़ी मुश्किलें

पेठा कारोबारी राकेश अग्रवाल का कहना है कि पेठे का कारोबार पर्यटन से जुड़ा हुआ है. अभी ताजमहल सहित अन्य स्मारक भी नहीं खुले हैं, तो पर्यटक भी नहीं आ रहे हैं. जब तक पर्यटक नहीं आएंगे, पेठे की बिक्री नहीं होगी. क्योंकि लोकल में पेठा की 10% भी खरीदारी नहीं है. बाहर से पर्यटक आते और जाते हैं तो पेठे की खरीदारी करते हैं.

कोरोना से डरे हुए हैं कारीगर
कोरोना के कारण सभी कारीगर अपने-अपने गांव में हैं. लॉकडाउन खुलने के बाद जब कारोबारी, कारीगरों से वापस आने को बोल रहे हैं तो वो अभी गांव से आने में असहज महसूस कर रहे हैं. जैसे-तैसे समझाने पर कुछ कारीगर वापस आए हैं, जिससे धीरे-धीरे काम शुरू हो रहा है.

दूसरे शहरों से आ रही डिमांड
पेठा कारोबारी तरुण गुप्ता ने बताया कि आगरा में ताजमहल और स्मारक बंद होने से अभी लोकल डिमांड बहुत कम है. जिन जिलों में लॉकडाउन खुल गया है, वहां से डिमांड आ रही है. वहां की मांग के हिसाब से पेठा तैयार किया जा रहा है.

जैसे-तैसे हो रहा गुजारा

कारीगर विष्णु शर्मा ने बताया कि, लॉकडाउन में वो गांव चले गए थे. वहां पर तमाम परेशानियां आईं. जो पैसे थे उससे काफी समय तक सब्जी खरीदी. लेकिन बाद में दूध और मट्ठे से खाना खाकर गुजारा किया. अब लॉकडाउन खुला है तो फिर कारखानों में काम करने के लिए आया हूं.

सब्जी उगाईं, उनका रेट नहीं मिला
कारीगर पप्पू ने बताया कि, लॉकडाउन में काम छूटा तो गांव जाकर खेतीबाड़ी की. सब्जियां उगाई लेकिन एक दो रुपए किलो सब्जी बिकी. परिवार के सभी लोग घर पर बैठे हुए हैं. पहले जहां 5 किलो का आटा घर में खर्च होता था, लेकिन इस समय दो किलो आटा में ही गुजारा करना पड़ा.

एक नजर में समझें पेठा कारोबार का गणित
- 500 करोड़ रुपए का कारोबार.
- 20 जिलों में है कच्चे पेठे की आढ़त.
- 500 पेठा कारखाने हैं आगरा जिले में.
- 2000 पेठे की रिटेल दुकानें हैं जिले में.

- 10000 श्रमिक जुड़े हैं पेठा कारोबार से.

आगरा के पेठे की मिठास खूब मशहूर है. आगरा के पेठे की डिमांड हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, दिल्ली, उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों में है. यहां के लोगों की जुबान पर पेठे की मिठास खूब घुलती है.

Last Updated : Jun 9, 2020, 3:24 PM IST
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