आगरा: डाॅ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में 46 साल बाद डिग्री लेने के लिए 72 वर्षीय बुजुर्ग चक्कर लगा रहे हैं. बुजुर्ग का कहना है कि 'विश्वविद्यालय की व्यवस्था से तंग आ गया हूं. मैं उपराष्ट्रपति बनकर व्यवस्था में सुधार करूंगा. छात्रों की हर समस्या जड़ से खत्म करूंगा. इसलिए, उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने जा रहा हूं. कर्मचारी भ्रष्ट हैं. काम नहीं करते हैं. उन्हें भी 20 दिन से इधर उधर घुमा रहे हैं'.
बता दें कि कमलानगर के ब्लॉक एफ 850 निवासी 72 वर्षीय मनमोहन सिंह ने 46 साल पहले सन 1977 में आगरा विश्वविद्यालय से बीएससी की थी. लेकिन डिग्री नहीं ली. 20 दिन पहले पहली बार मनमोहन सिंह डाॅ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय पहुंचे. कर्मचारियों से मिले और कहा कि ' मुझे उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ना है. इसलिए डिग्री मुझे चाहिए. मैं अपनी डिग्री लेने के लिए मैं आया हूंट.
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कर्मचारियों के बर्ताव से आहत: बुजुर्ग मनमोहन सिंह बताते हैं कि 'पूछताछ करके मैं उस कार्यालय में पहुंचा. जहां से डिग्री जारी होती हैं. वहां पर मौजूद कर्मचारी से मिलकर डिग्री देने के बारे में कहा. इस पर कर्मचारियों ने यह कह कर वापस लौटा दिया कि विवि के पास उनका शिक्षा संबंधी कोई भी रिकॉर्ड मौजूद नहीं है. मैं 20 दिनों से ऐसे ही यूनिवर्सिटी के चक्कर काट रहा हूं. आगरा काॅलेज से नामांकन संख्या और अन्य रिकाॅर्ड भी निकाल ले आया हूं. इसे कर्मचारियों के पास जमा भी कर दिया गया है. लेकिन, अभी तक डिग्री नहीं मिली है. अब यह विश्वविद्यालय नहीं, बल्कि धर्मशाला बन चुका है'.
20 दिन से काट रहे चक्कर : मनमोहन सिंह ने बताया कि 'विश्वविद्यालय में न तो छात्रों की समस्याओं का समाधान होता है, ना ही कोई कर्मचारी ठीक से काम करता है. इस व्यवस्था से मैं 20 दिन में तंग आ गया हूं. डिग्री और अन्य दस्तावेज के लिए साल भर छात्र चक्कर काटते रहते हैं. यहां पर सबसे ज्यादा भ्रष्ट कर्मचारी हैं. समय से काम नहीं करते हैं. जिससे सालों तक डिग्री और मार्कशीट लटकी रहती हैं. मैं उपराष्ट्रपति बनने के बाद कर्मचारियों की खाट खड़ी करके उन्हें सबक सिखाऊंगा'.
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