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बेटी के इलाज के लिए चलाया था रिक्शा, आज बन गया पहचान की वजह

आगरा की सरिता ने बेटी के इलाज के लिए रिक्शा चलाना शुरू किया था और महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश की थी. सरिता आज उसी रिक्शे की वजह से पहचान बनाने में कामयाब हुईं हैं. अब वह दूसरों की मदद कर उन्हें जागरूक करती हैं.

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महिला सशक्तिकरण की मिसाल
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Published : Mar 9, 2022, 9:50 AM IST

आगरा: जनपद में सरिता ने अपनी बेटी के दिल के इलाज के लिए रिक्शा चलाकर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला सशक्तिकरण का उदाहरण पेश किया है. सरिता को ई-रिक्शा चलाते हुए 7 साल हो गए हैं और उसी ई-रिक्शा की कमाई से बेटी का इलाज कराया. वह अपने परिवार को आर्थिक रूप से मदद करती हैं. एक रिक्शे से शुरू हुआ सफर अब 3 रिक्शों तक पहुंच गया है. महिला दिवस पर सरिता सम्मानित किया गया. इस मौके पर सरिता ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत करते हुए जीवन के अनुभव साझा किए.


समाज से ताने मिले पर हिम्मत नहीं हारी
सरिता ने बताया कि उन्होंने अपना ई-रिक्शा पति के चलाने के लिए खरीदा था, लेकिन पति ड्राइविंग का काम करते थे. घर में ई-रिक्शा रखा रहता था. बेटी कि आए दिन तबीयत खराब रहती थी. ऐसे में डॉक्टर ने इलाज में बताया कि उनकी छोटी बेटी गायत्री के दिल में छेद है और इसके लिए ऑपरेशन कराना पड़ेगा. आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण सरिता ने निर्णय लिया कि वह घर में रखा ई रिक्शा चलाएंगी. समाज ने ताने दिए कि महिलाओं के बस का यह काम नहीं उसके बावजूद भी सरिता ने रिक्शा चलाना शुरु किया. कमाई से मिले पैसों की बदौलत सरिता ने अपनी बेटी का इलाज कराया.

महिला सशक्तिकरण की मिसाल

यह भी पढ़ें-एग्जिट पोल : यूपी में क्यों नहीं बही 'बदलाव की बयार'



महिलाओं को सशक्त बनाने का लिया निर्णय
सरिता बताती हैं कि ई-रिक्शा चलाने की वजह से वह आर्थिक रूप से मजबूत बनी हैं. पति के साथ गृहस्थी में और अर्थिक रूप भी सहयोग करती हैं. ई-रिक्शा के बदौलत आज सरिता ने दो गाड़ियां और निकाली हैं जिनको किराए पर चलाती हैं. सरिता बताती हैं कि आज हमारे हालात बहुत अच्छे हैं फिर भी मैं ई-रिक्शा चलाती हूं, क्योंकि मैं खुद सशक्त बनाने के साथ ही अन्य महिलाओं को सशक्त बनाने के महिलाओं की भी मदद भी करती हैं. बस्तियों में जाकर महिलाओं के वृद्धा पेंशन, दिव्यांग पेंशन, राशन कार्ड जैसे छोटे-मोटे कामों में मदद करती हैं.

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आगरा: जनपद में सरिता ने अपनी बेटी के दिल के इलाज के लिए रिक्शा चलाकर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला सशक्तिकरण का उदाहरण पेश किया है. सरिता को ई-रिक्शा चलाते हुए 7 साल हो गए हैं और उसी ई-रिक्शा की कमाई से बेटी का इलाज कराया. वह अपने परिवार को आर्थिक रूप से मदद करती हैं. एक रिक्शे से शुरू हुआ सफर अब 3 रिक्शों तक पहुंच गया है. महिला दिवस पर सरिता सम्मानित किया गया. इस मौके पर सरिता ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत करते हुए जीवन के अनुभव साझा किए.


समाज से ताने मिले पर हिम्मत नहीं हारी
सरिता ने बताया कि उन्होंने अपना ई-रिक्शा पति के चलाने के लिए खरीदा था, लेकिन पति ड्राइविंग का काम करते थे. घर में ई-रिक्शा रखा रहता था. बेटी कि आए दिन तबीयत खराब रहती थी. ऐसे में डॉक्टर ने इलाज में बताया कि उनकी छोटी बेटी गायत्री के दिल में छेद है और इसके लिए ऑपरेशन कराना पड़ेगा. आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण सरिता ने निर्णय लिया कि वह घर में रखा ई रिक्शा चलाएंगी. समाज ने ताने दिए कि महिलाओं के बस का यह काम नहीं उसके बावजूद भी सरिता ने रिक्शा चलाना शुरु किया. कमाई से मिले पैसों की बदौलत सरिता ने अपनी बेटी का इलाज कराया.

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महिलाओं को सशक्त बनाने का लिया निर्णय
सरिता बताती हैं कि ई-रिक्शा चलाने की वजह से वह आर्थिक रूप से मजबूत बनी हैं. पति के साथ गृहस्थी में और अर्थिक रूप भी सहयोग करती हैं. ई-रिक्शा के बदौलत आज सरिता ने दो गाड़ियां और निकाली हैं जिनको किराए पर चलाती हैं. सरिता बताती हैं कि आज हमारे हालात बहुत अच्छे हैं फिर भी मैं ई-रिक्शा चलाती हूं, क्योंकि मैं खुद सशक्त बनाने के साथ ही अन्य महिलाओं को सशक्त बनाने के महिलाओं की भी मदद भी करती हैं. बस्तियों में जाकर महिलाओं के वृद्धा पेंशन, दिव्यांग पेंशन, राशन कार्ड जैसे छोटे-मोटे कामों में मदद करती हैं.

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