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शरद पूर्णिमा पर चमकी की चमक: ताजमहल में लगता था मेला, कहते थे दीवाने...'ये चमकी और वो चमकी' - आगरा में चमकी मेले का इतिहास

आगरा में आज से 38 साल पहले सन् 1984 तक शरद पूर्णिमा पर ताजमहल में चमकी मेला लगता था. इस दौरान फुल मून में लाखों लोग ताजमहल की 'चमकी' देखने के लिए उमड़ते थे.

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शरद पूर्णिमा पर चमकी
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Published : Oct 9, 2022, 1:08 PM IST

आगरा: चाहे देशी पर्यटक हों या विदेशी मेहमान हों. सबकी हसरत मोहब्बत की निशानी ताजमहल को शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में निहारे की रहती है. यहीं वजह है कि आज भी मून लाइट में ताजमहल निहारने की टिकट की मारा मारी रहती है. मगर, आज से 39 साल पहले ताजमहल महल में शरद पूर्णिमा पर मेला लगता था. खूब दुकानें सजती थीं. भीड को देखकर ताजमहल पर अस्थाई सीढ़ियां तक लगाई जाती थीं. पूर्णिमा की रात में ताजमहल की चमकी देखने के लिए हजारों लोग आते थे. शरद पूर्णिमा की रातभर ताजमहल परिसर में यही गूंजता रहता था कि 'देखो...देखो... ये चमकी...वो चमकी'. मगर, सुरक्षा के लिहाज से ताजमहल परिसर में शरद पूर्णिमा के मेला पर पाबंदी लगी. अब न मेला लगता है और न दुकानें सजतीं हैं.

दरअसल, आज से 38 साल पहले सन् 1984 तक शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) पर ताजमहल में चमकी मेला (Chamki fair in Taj Mahal ) लगता था. शरद पूर्णिमा पर फुल मून में लाखों लोग ताजमहल की 'चमकी' देखने के लिए उमड़ते थे. कई दिन तक यह मेला रहता था. वरिष्ठ टूरिस्ट गाइड शमशुद्दीन बताते हैं कि शरद पूर्णिमा पर ताजमहल की 'चमकी' देखने के लिए आगरा ही नहीं, लोगों के नाते और रिश्तेदार आते थे. चांदनी रात में लोग ताजमहल की चमकी देखते थे. मगर, अब यह एक इतिहास हो गया है. उन्होंने बताया कि, आज से ज्यादा लोगों में ताजमहल को रात में निहारने का क्रेज था. सन् 1960 की बीत करें तो शरद पूर्णिमा के मेले में फुल मून में एक लाख लोगों ने ताजमहल की 'चमकी' देखी थी.

शरद पूर्णिमा पर चमकी की चमक का ऐतिहासिक इतिहास
संगमरमर की रेलिंग हटाकर बनती थीं सीढ़ियां वरिष्ठ टूरिस्ट गाइड शमशुद्दीन बताते हैं कि, शरद पूर्णिमा पर 'चमकी' मेला में लाखों की भीड उमड़ती थी. इसलिए पुलिस और प्रशासन की ओर से अच्छा बंदोबस्त किया जाता था. बल्लियां बांधकर कतार बनाई जाती थी. इसके साथ ही भीड़ नियंत्रण और प्रबंधन के लिए शाही मस्जिद और मेहमान खाना की ओर से ताजमहल के मुख्य गुम्मद पर लगी संगमरमर की रेलिंग हटाकर अस्थाई लकड़ी की सीढ़ियां बनाई जाती थीं. एक ओर से पर्यटक अस्थाई लकड़ी की सीढ़ियों से मुख्य गुम्मद पर चढ़ते थे और दूसरी ओर की अस्थायी सीढ़ियों से नीचे उतरते थे. उन्होंने बताया कि, ताजमहल में तब खाने पीने की चीजें ले जाने पर पाबंदी नहीं थी. इसलिए लोग अपने साथ घर से खाना बनाकर ले जाते थे. शरद पूर्णिमा के फुल मून में ताजमहल खाना खाते और ताजमहल निहारते थे. रात भी गूंजता था 'ये चमकी ...वो चमकी' शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में ताजमहल पर एएसआई की ओर से भी अलग व्यवस्था की जाती थी. अतिरिक्त स्टाफ की डयूटी लगाई जाती थी. 100 से ज्यादा एएसआई कर्मचारी रात में ताजमहल परिसर में अलग-अगल जगह पर पेट्रोमेक्स लेकर बैठते थे, जिससे लोगों को परेशानी न हो. वरिष्ठ टूरिस्ट गाइड शमशुद्दीन बताते हैं कि, शरद पूर्णिमा पर पूरी रात ये 'चमकी'... वो 'चमकी' का शोर गूंजता रहता था. फोरकोर्ट में लगता था बाजारस्थानीय निवासी अमर सिंह ने बताया कि, पहले ताजमहल रात दस बजे तक खुलता था. दुकानदार रात बारह बजे घर पहुंचते थे. ताजमहलके फोरकोर्ट में खाने पीने और अन्य सामान की दुकानें लगती थीं. शरद पूर्णिमा पर ताजमहल में चमकी का मेला लगा था. जिसमें शरद पूर्णिमा पर पूरी रात ताजमहल खुलता था. रातभर लोग चांदनी रात में ताजमहल निहारते थे. यूं समझे ताज की 'चमकी'जब चांदनी रात में ताजमहल के धवल संगमरमरी बदन पर चंद्रमा की रश्मियां अठखेलियां करती हैं, तो ताजमहल पर जड़े पत्थर (सेमी प्रीसियस और प्रीसियस स्टोन) चमकने लगते हैं. यह नजारा अद्भुत होता है. इसे ही 'चमकी' कहते हैं. इसी 'चमकी' का सैलानियों में क्रेज रहता है. इसलिए शरद पूर्णिमा के फुल मून में ताजमहल की 'चमकी' के दीदार को देशी-विदेशी पर्यटक इंतजार करते हैं.अब सिर्फ 400 की अनुमतिएएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने बताया कि, अब हर माह की पूर्णिमा पर मून लाइट ताजमहल निहारने के लिए पांच दिन टिकट जारी किए जाते हैं. एक रात में 400 पर्यटक ही ताजमहल मून लाइट में देख सकते हैं. इसकी टिकट एक दिन पहले एएसआई कार्यालय से खरीदनी होती है. सुरक्षा बंदोबस्त के बाद 50 50 के गु्रप में पर्यटकों को मून लाइट में ताजमहल का दीदार कराया जा जाता है. यह भी पढ़ें- आगरा में बिना रजिस्ट्रेशन के चल रही जूता फैक्ट्री में लगी भीषण आग



आगरा: चाहे देशी पर्यटक हों या विदेशी मेहमान हों. सबकी हसरत मोहब्बत की निशानी ताजमहल को शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में निहारे की रहती है. यहीं वजह है कि आज भी मून लाइट में ताजमहल निहारने की टिकट की मारा मारी रहती है. मगर, आज से 39 साल पहले ताजमहल महल में शरद पूर्णिमा पर मेला लगता था. खूब दुकानें सजती थीं. भीड को देखकर ताजमहल पर अस्थाई सीढ़ियां तक लगाई जाती थीं. पूर्णिमा की रात में ताजमहल की चमकी देखने के लिए हजारों लोग आते थे. शरद पूर्णिमा की रातभर ताजमहल परिसर में यही गूंजता रहता था कि 'देखो...देखो... ये चमकी...वो चमकी'. मगर, सुरक्षा के लिहाज से ताजमहल परिसर में शरद पूर्णिमा के मेला पर पाबंदी लगी. अब न मेला लगता है और न दुकानें सजतीं हैं.

दरअसल, आज से 38 साल पहले सन् 1984 तक शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) पर ताजमहल में चमकी मेला (Chamki fair in Taj Mahal ) लगता था. शरद पूर्णिमा पर फुल मून में लाखों लोग ताजमहल की 'चमकी' देखने के लिए उमड़ते थे. कई दिन तक यह मेला रहता था. वरिष्ठ टूरिस्ट गाइड शमशुद्दीन बताते हैं कि शरद पूर्णिमा पर ताजमहल की 'चमकी' देखने के लिए आगरा ही नहीं, लोगों के नाते और रिश्तेदार आते थे. चांदनी रात में लोग ताजमहल की चमकी देखते थे. मगर, अब यह एक इतिहास हो गया है. उन्होंने बताया कि, आज से ज्यादा लोगों में ताजमहल को रात में निहारने का क्रेज था. सन् 1960 की बीत करें तो शरद पूर्णिमा के मेले में फुल मून में एक लाख लोगों ने ताजमहल की 'चमकी' देखी थी.

शरद पूर्णिमा पर चमकी की चमक का ऐतिहासिक इतिहास
संगमरमर की रेलिंग हटाकर बनती थीं सीढ़ियां वरिष्ठ टूरिस्ट गाइड शमशुद्दीन बताते हैं कि, शरद पूर्णिमा पर 'चमकी' मेला में लाखों की भीड उमड़ती थी. इसलिए पुलिस और प्रशासन की ओर से अच्छा बंदोबस्त किया जाता था. बल्लियां बांधकर कतार बनाई जाती थी. इसके साथ ही भीड़ नियंत्रण और प्रबंधन के लिए शाही मस्जिद और मेहमान खाना की ओर से ताजमहल के मुख्य गुम्मद पर लगी संगमरमर की रेलिंग हटाकर अस्थाई लकड़ी की सीढ़ियां बनाई जाती थीं. एक ओर से पर्यटक अस्थाई लकड़ी की सीढ़ियों से मुख्य गुम्मद पर चढ़ते थे और दूसरी ओर की अस्थायी सीढ़ियों से नीचे उतरते थे. उन्होंने बताया कि, ताजमहल में तब खाने पीने की चीजें ले जाने पर पाबंदी नहीं थी. इसलिए लोग अपने साथ घर से खाना बनाकर ले जाते थे. शरद पूर्णिमा के फुल मून में ताजमहल खाना खाते और ताजमहल निहारते थे. रात भी गूंजता था 'ये चमकी ...वो चमकी' शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में ताजमहल पर एएसआई की ओर से भी अलग व्यवस्था की जाती थी. अतिरिक्त स्टाफ की डयूटी लगाई जाती थी. 100 से ज्यादा एएसआई कर्मचारी रात में ताजमहल परिसर में अलग-अगल जगह पर पेट्रोमेक्स लेकर बैठते थे, जिससे लोगों को परेशानी न हो. वरिष्ठ टूरिस्ट गाइड शमशुद्दीन बताते हैं कि, शरद पूर्णिमा पर पूरी रात ये 'चमकी'... वो 'चमकी' का शोर गूंजता रहता था. फोरकोर्ट में लगता था बाजारस्थानीय निवासी अमर सिंह ने बताया कि, पहले ताजमहल रात दस बजे तक खुलता था. दुकानदार रात बारह बजे घर पहुंचते थे. ताजमहलके फोरकोर्ट में खाने पीने और अन्य सामान की दुकानें लगती थीं. शरद पूर्णिमा पर ताजमहल में चमकी का मेला लगा था. जिसमें शरद पूर्णिमा पर पूरी रात ताजमहल खुलता था. रातभर लोग चांदनी रात में ताजमहल निहारते थे. यूं समझे ताज की 'चमकी'जब चांदनी रात में ताजमहल के धवल संगमरमरी बदन पर चंद्रमा की रश्मियां अठखेलियां करती हैं, तो ताजमहल पर जड़े पत्थर (सेमी प्रीसियस और प्रीसियस स्टोन) चमकने लगते हैं. यह नजारा अद्भुत होता है. इसे ही 'चमकी' कहते हैं. इसी 'चमकी' का सैलानियों में क्रेज रहता है. इसलिए शरद पूर्णिमा के फुल मून में ताजमहल की 'चमकी' के दीदार को देशी-विदेशी पर्यटक इंतजार करते हैं.अब सिर्फ 400 की अनुमतिएएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने बताया कि, अब हर माह की पूर्णिमा पर मून लाइट ताजमहल निहारने के लिए पांच दिन टिकट जारी किए जाते हैं. एक रात में 400 पर्यटक ही ताजमहल मून लाइट में देख सकते हैं. इसकी टिकट एक दिन पहले एएसआई कार्यालय से खरीदनी होती है. सुरक्षा बंदोबस्त के बाद 50 50 के गु्रप में पर्यटकों को मून लाइट में ताजमहल का दीदार कराया जा जाता है. यह भी पढ़ें- आगरा में बिना रजिस्ट्रेशन के चल रही जूता फैक्ट्री में लगी भीषण आग



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