आगरा: भारत के संविधान निर्माता डाॅ. भीमराव आंबेडकर की एक प्रतिमा आगरा किला के आंगन में स्थापित की गई थी. जिसका अनावरण तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानीजैल सिंह को करना था. लेकिन किन्हीं कारणों के चलते अनावरण समारोह टल गया. जिसके बाद 38 साल से यह प्रतिमा अपने उद्घाटन का इंतजार कर रही है. जबकि, तमाम प्रमुख राजनेता, मंत्री और राज्यपाल यहां आकर प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित कर चुके हैं.
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बाबा साहेब दो बार आए थे आगरा
डाॅ. भीमराव आंबेडकर का आगरा से गहरा नाता था. अपने जीवन काल में वे दो बार आगरा आए. साल 1946 और 1956 को डाॅ. भीमराव आंबेडकर आगरा आए. 1956 को डाॅ. भीमराव आंबेडकर ने रामलीला मैदान में जनसभा की थी. यहां पर उन्होंने संदेश दिया था कि, 'शिक्षित बनो और संगठित रहो'. आज उसी रामलीला मैदान में भीमनगरी का आयोजन हो रहा है. यहां रजत जयंती समारोह का आयोजन हो रहा है. आयोजन से महज 200 मीटर की दूरी पर आगरा किला परिसर में अंबेडकर पार्क है. जिसमें डाॅ. भीमाराव आंबेडकर की प्रतिमा है.
लोगों में था उत्साह
अंबेडकर अनुयायी और वरिष्ठ अधिवक्ता करतार सिंह भारतीय का कहना है कि आगरा किला के बाहर परिसर में अंबेडकर पार्क में लगी बाबा साहब की प्रतिमा मुम्बई से बनकर आई थी. उस समय वहां पर हजारों की भीड़ जुटी थी. लोगों में खूब उत्साह था. तत्कालीन कैबिनेट मंत्री गुलाब सेहरा के प्रयास से यह प्रतिमा बनी थी. साल 1983 में प्रतिमा का अनावरण राष्ट्रपति के कर कमलों से होना था. इसको लेकर कई प्रयास किए गए. तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानीजैल सिंह का कार्यक्रम मार्च में फाइनल हो गया था.
विरोध का ऐलान और टल गया राष्ट्रपति का कार्यक्रम
अंबेडकर अनुयायी और वरिष्ठ अधिवक्ता करतार सिंह भारतीय का कहना है कि राष्ट्रपति के आने की अनुमति सन 1983 में मिल गई. मैं भी उस कमेटी में शामिल था. आगरा किले के अमर सिंह गेट पर जिला प्रशासन और कमेटी के लोगों ने काफिले के पास पूरी तैयारी कर ली थी. रूट भी तय हो गया था. लेकिन, कार्यक्रम के चार दिन पहले जाटव समाज के दो नेताओं रामजी लाल सुमन और राम कमल ने इसका विरोध कर दिया. उन दोनों ने कहा कि मंत्री गुलाब सेहरा ने मनमानी की है. उन्होंने जाटव समाज से पूछे बिना राष्ट्रपति का कार्यक्रम आयोजित कर लिया है. इन दोनों नेताओं की खबरें समाचार में खूब प्रकाशित हुई. उन दोनों ने विरोध का ऐलान कर दिया. जिसके बाद राजकमल और रामजी लाल सुमन के साथ मंत्री गुलाब सेहरा की मीटिंग हुई और विवाद खत्म हो गया. लेकिन, उसके बाद भी राष्ट्रपति के आगरा आने का कार्यक्रम निरस्त हो गया और प्रतिमा का अनावरण नहीं हो सका.
फिर टल गया कार्यक्रम
अंबेडकर अनुयायी और वरिष्ठ अधिवक्ता करतार सिंह भारतीय का कहना है कि जब राष्ट्रपति का कार्यक्रम निरस्त हुआ तो सभी लोग निराश हो गए. जिसके बाद कई सालों बाद फिर से एक बार राष्ट्रपति को बुलाने का प्लान बनाया गया. पिछले साल कार्यक्रम को लेकर राष्ट्रपति से मुलाकात भी की गई. कार्यक्रम भी तय हो गया था. लेकिन, कोरोना और लाॅकडाउन की वजह से कार्यक्रम निरस्त हो गया. जिसके बाद फिर से 17 मार्च 2021 को फिर से राष्ट्रपति से मुलाकात की गई. उनका आना तय हो गया था. लेकिन हाल में ही राष्ट्रपति की बाईपास सर्जरी हुई है. जिस वजह से यह कार्यक्रम एक बार फिर निरस्त हो गया है. साथ ही कोरोना भी तेजी से बढ़ रहा है.
फिर से किए जाएंगे प्रयास
डाॅ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा का अनारवण देश के राष्ट्रपति के हाथों कराने का समिति का निर्णय है. इस वजह से अभी तक प्रतिमा का अनावरण नहीं हो रहा है. लेकिन कमेटी और अंबेडकर अनुयाइयों का कहना है कि हमारा प्रयास जारी है. राष्ट्रपति से फिर से संपर्क करेंगे. जिससे प्रतिमा का अनावरण कराया जा सके.