हैदराबाद: 2010 में, भारत के पास दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी करके अंतरराष्ट्रीय खेल जगत में अपनी पहचान बनाने का शानदार अवसर था. हमें उस भारी निराशाजनक और दर्दनाक परिणाम की उम्मीद नहीं थी जिसका एक देश के तौर पर हमको कोई अंदाजा ही नहीं था. CWG की लगभग हर मोर्चे पर आलोचना की गई - बुनियादी ढांचे से लेकर वास्तविक खेल आयोजनों तक और भ्रष्टाचार के आरोपों से देश की छवि बुरी तरह आहत हुई.
उस इवेंट को होस्ट किए 11 साल हो गए हैं लेकिन भारत अभी भी इस कलंक से पूरी तरह से मुक्त नहीं पा पाया है.
हालांकि, कुछ ही दिन पहले मुंबई में एक IOC सेशन की मेजबानी पर मोहर लगी है जिसके चलते भारत की ओलंपिक होस्ट करने की दावेदारी को थोड़ी मजबूती मिल सकती है लेकिन ये किस हद तक मदद कर सकता है ये तो समय ही बताएगा.
ओलंपिक को होस्ट करने के कई फायदे हैं जो इन देशों द्वारा समय दर समय देखें गए हैं.
वर्षों से, सियोल, बार्सिलोना या लंदन में खेलों बेहतर तरीके से होस्ट होते हुए देखा गया है. सियोल में 1988 के खेलों में देश को भारी मुनाफा हुआ था; 1992 में बार्सिलोना के खेलों को होस्ट करने ये शहर शीर्ष विश्व पर्यटन स्थलों में से एक के रूप में घोषित किया गया था. इसके अलावा स्पेन में लगभग 20,000 स्थायी रोजगार और एक ठोस खेल विरासत का संरचना भी ओलंपिक खेलों की मेजबानी के बाद हुई. इसी तरह, लंदन में 2012 के खेलों ने यूके की अर्थव्यवस्था को 9.9 बिलियन पाउंड का बढ़ावा दिया.
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हालांकि, ऐतिहासिक रूप से, खेल एक संपत्ति की तुलना में अधिक दायित्व साबित हुए हैं. अधिकांश होस्टिंग देश "आर्थिक घाटे" से पीड़ित हुए हैं. अक्सर, खेलों के निर्माण में निवेश में भारी वृद्धि देखी जाती है.
मापदंडों का आकलन
IOA को 2036 खेलों की मेजबानी की दौड़ में भाग लेने की तैयारी करते समय भारत के इन मुद्दों पर विचार करना पड़ेगा.
1. भारत को आगामी ओलंपिक खेलों (पेरिस ओलंपिक) में अपनी छाप छोड़नी होगी. बड़ी संख्या में ओलंपिक पदक विजेताओं के बिना, अन्य देशों को ये विश्वास दिलाना कठिन होगा कि इतनी बड़ी जनसंख्या वाला देश खेलों को गंभीरता से लेता है कि नहीं.
2. 10,000 से अधिक एथलीटों और 310 आयोजनों के साथ एक कार्यक्रम की सफलतापूर्वक मेजबानी करने के लिए, उच्च स्तर की विशेषज्ञता, जानकारी और कौशल महत्वपूर्ण है. अब तक, भारत ने एशियाई खेलों (1951 और 1982) और राष्ट्रमंडल खेलों (2010) जेसै बहु-खेल आयोजनों की मेजबानी की है लेकिन ओलंपिक इन सबसे कहीं बड़े तर्ज पर खेला जाता है.
3. आमतौर पर, एक ओलंपिक खेलों को सार्वजनिक धन, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कॉरपोरेट्स, बहुराष्ट्रीय प्रायोजन सौदों, प्रसारण अधिकारों की बिक्री आदि के माध्यम से वित्त पोषित किया जाता है. जिसका भार कई बार देश की जनता को टैक्स के माध्यम से उठाना पड़ता है.
4. भारत सरकार को पर्यावरण, प्रदूषण जैसे मुद्दों से निपटने के लिए इस अवसर का अधिकतम लाभ उठाना होगा. यह सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता के मुद्दों से निपटने के लिए एक कदम बढ़ाना होगा.
खेलों की मेजबानी के बारे में IOA के 'गंभीर' होने की हालिया कोशिश से ये तो तय है कि भारत ओलंपिक दोस्ट करने को लेकर कोई कोशिश अधूरी नहीं छोड़ेगा अब देशकना ये है कि भारत द्वारा ओलंपिक खेलों के लिए 2036 की बोली IOC पर कितना असर डालती है.