नई दिल्ली : भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेले गए पहले टेस्ट मैच में पिच की हालत को देखते हुए विराट कोहली ने अपने स्वभाव के विपरीत बल्लेबाजी की. डोमिनिका की पिच पर हर तरह की कवर ड्राइव कोहली ने नहीं खेली, जिसके कारण इस बारे में आप सोच सकते हैं कि आखिर कोहली ने ऐसा क्यों नहीं किया.
कोहली का फ्रंट-फ़ुट कवर ड्राइव, बैक-फ़ुट कवर ड्राइव, स्टेप-आउट-एंड-स्टेप-अवे इनसाइड-आउट कवर ड्राइव. इसके साथ साथ कवर क्षेत्ररक्षक के बाईं ओर कवर ड्राइव और फिर उसके दाईं ओर कवर ड्राइव. इतना ही नहीं स्ट्रेट-बैट, पंची कवर ड्राइव, बॉटम-हैंड टॉप स्पिन कवर ड्राइव..इन सभी स्ट्रोक पर पहले टेस्ट में कोई चौके नहीं मिले, लेकिन बल्लेबाजी की एक कला जरूर दिखी, जो पिच के हिसाब से खुद को ढ़ालने की शैली दिखाती है.
कोहली की बल्लेबाजी का संदेश
हालाँकि, अपने 110वें टेस्ट मैच में कोहली को कवर ड्राइव खेलकर पहला चौका मारने के बाद हवा में मुक्का लहराते हुए चौके का ऐसा जश्न मनाया था, जैसा आम तौर पर शतक या अर्धशतक मारने के बाद किया जाता है. इसी से आप उस चौके की अहमियत समझ सकते हैं. भले ही कोहली अपने अर्धशतक को शतक में बदलने के पहले आउट हो गए, लेकिन वह धीमी व धुमावदार पिच पर 262 मिनट की बल्लेबाजी में एक संदेश छोड़ गए.
182 गेंदों की पारी में केवल 5 चौके
विराट कोहली ने 182 गेंदों की पारी में केवल 5 चौके मारे, जिसमें उनका पहला चौका उनकी पारी की 81वीं गेंद पर आया और पहले दिन उनके खाते में केवल एक ही चौका था. दूसरे दिन उन्होंने 4 और चौके जड़े. ज्यादातर चौके लेग साइड में खराब गेंदों पर ही जड़े. कोहली ने अपना पहला चौका लगाने के लिए 81 गेंदें लीं, दूसरा चौका लगाने के लिए 43 गेंदें और और तीसरा चौका लगाने के लिए 36 गेंदें और खेलीं, तब तक वह 50 रन पार कर चुके थे. फिर भी वह तेजी नहीं दिखा रहे थे.
आप देख सकते हैं कि एक चौके से दूसरे चौके के बीच कितना समय लिया और किसकी गेंद पर जड़े...
141.4... रेफर की गेंद पर पांचवां चौका
138.1.. ब्रैथवेट की गेंद पर चौथा चौका
137.5..अथानाज़े की गेंद पर तीसरा चौका
121.2.. जोसेफ की गेंद पर दूसरा चौका
108.5.. वॉरिकन की गेंद पर पहला चौका
कोहली की यह पारी डोमिनिका में पहले वेस्ट इंडीज-भारत टेस्ट की पिच स्पिनरों के लिए थोड़ी उछाल के साथ धीमी गति से टर्न लेने वाली पिच पर थी, जिससे बल्लेबाजों की गेंद को ड्राइव करने में काफी परेशानी हो रही थी. दूसरे दिन के आखिरी सेशन व तीसरे दिन यह समस्या और बढ़ने लगी थी.
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सचिन भी करते थे ऐसी पहल
हाल के कुछ महीनों और वर्षों में, कोहली ने टेस्ट मैचों में बड़ी लंबी पारियां नहीं खेली हैं. कुछ सबसे लंबी टेस्ट पारियों में केप टाउन में 79 रन की पारी व अहमदाबाद में 186 रन की पारी को छोड़ दें तो वह नाकाम ही रहे हैं. इस पारी के बाद उनके बारे में कहा जाने लगा है कि वह अपनी पारी को आगे बढ़ाने के लिए अपने पसंदीदा शॉट को भी छोड़ दे रहे हैं. इसीलिए उनको सचिन तेंदुलकर के जैसा कहा जा रहा है. सचिन भी कई मौकों पर पिच व गेंदबाजी के अनुरूप अपनी बैटिंग को ढाल लिया करते थे. वह भी अपने शॉट सेलेक्शन काफी सोच समझ कर किया करते थे.
दो गुना बढ़ गया है औसत
अब ऐसा कहा जा रहा है कि कोहली ने अपनी शैली को जरूरत के हिसाब से बदला है. धीमी गति से रन बनाना और पिच पर टिके रहना मौके की जरूरत थी. कोहली अपने सबसे बुरे दौर से निकल चुके हैं. कोहली की बैटिंग का इस साल उसका औसत 48.44 है, जबकि 2020-22 की अवधि में यह केवल 26.20 था. इसलिए सारी आशंकाओं को निराधार मानकर अगले मैचों में उनकी बल्लेबाजी का आनंद लेने की तैयारी करिए. क्योंकि कोहली कभी भी अपने पसंदीदा शॉट व नेचुरल खेल को ज्यादा समय तक छोड़ नहीं सकते हैं.