अनंतनाग: क्रिकेट सिर्फ पुरुषों का ही खेल नहीं, उन महिलाओं का भी है जो मैदान पर अपनी जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं, यह दिखाते हुए कि महिलाएं भी पुरुषों से कहीं पीछे नहीं हैं. घाटी की महिला क्रिकेटरों ने साबित कर दिया है कि वे खेल सकती हैं और जीत भी सकती हैं. आत्मविश्वास से भरपूर और साहस से लबरेज महिला क्रिकेटर्स अपनी राह खुद बना रही हैं. महिलाएं राष्ट्र का भविष्य हैं, आजकल युवा लड़कियां हर क्षेत्र में अपनी चमक बिखेर रही हैं, क्रिकेट के अलावा अन्य खेल गतिविधियां लड़कियों की भागीदारी महिलाओं को सशक्त बनाने का एक महत्वपूर्ण साधन है.
![ईटीवी भारत से क्रिकेट खिलाड़ी ने की बातचीत](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/jk-ang-02-girlsareinterestedinsportsactivates-pkg-7203196_30072022212842_3007f_1659196722_148_3107newsroom_1659282975_915.jpg)
कश्मीर में लड़के और लड़कियों के बीच का अंतर धीरे-धीरे मिटता जा रहा है. क्रिकेट की शौकीन लड़कियां सार्वजनिक और निजी अकादमियों में ट्रेंनिंग ले रही हैं. हालांकि, भारतीय सेना न केवल लड़कों बल्कि लड़कियों को भी नशीली दवाओं की लत और अन्य सामाजिक बुराइयों से दूर रखने और उन्हें एक बेहतर मंच प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. इसी पहल के तहत सेना की 19 राष्ट्रीय राइफल्स समय-समय पर ट्रेंनिंग आयोजित करती हैं. इसी क्रम में महिला क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया गया, जिसमें लड़कियों को अपने कौशल को विकसित करने का पूरा अवसर मिला.
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हाल ही में भारतीय सेना ने दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के डोरू शाहाबाद में 'चिनार महिला टी-20 क्रिकेट लीग' का आयोजन किया जिसमें कई महिला टीमों ने भाग लिया. ईटीवी भारत से बात करते हुए, क्रिकेट खिलाडी रूबिया जान ने कहा कि शारीरिक फिटनेस हासिल करने, ड्रग्स और बुरी संगत से दूर रहने के लिए खेल एक महत्वपूर्ण साधन है. आज लड़कियां लड़कों से पीछे नहीं हैं. लड़कियां विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ खेलों में भी अपना नाम बना रही हैं. उन्होंने कहा कि ज्यादातर लड़कियों की प्रतिभा नकारात्मक सोच से दब जाती हैं, लेकिन माता-पिता और रिश्तेदारों के सहयोग से मनोबल ऊंचा होता है. उन्होंने आगे कहा कि माता-पिता का पहला कर्तव्य अपनी बेटियों के अधिकारों की सुरक्षा करना और उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए हर संभव सहायता प्रदान करना होना चाहिए.