जोहान्सबर्ग: साल 2018 में भारतीय टीम ने जोहान्सबर्ग में 63 रनों से ऐतिहासिक जीत हासिल की थी, जो कि उस टूर के लिए एक अच्छी बात साबित हुई थी. हालांकि, इसके बाद इंग्लैंड और न्यूजीलैंड में टीम हार गई, लेकिन टीम ऑस्ट्रेलिया में एक के बाद एक सीरीज जीतने में कामयाब रही थी. इसके बाद वेस्टइंडीज में सीरीज जीत और सितंबर में इंग्लैंड में 2-1 से आगे रहने के बाद भारत ने विदेशी धरती पर एक मजबूत छवि पेश की थी.
विराट कोहली ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जोहान्सबर्ग में जीत के बारे में पूछे जाने पर कहा था, हम उस (जोहान्सबर्ग 2018 जीत) जीत से प्रेरणा ले सकते हैं. हम शायद उस दौरे की सबसे कठिन परिस्थितियों में जीते थे, इसलिए हमें इससे काफी आत्मविश्वास मिलेगा. दक्षिण अफ्रीका एक ऐसी जगह है, जहां हमने अभी तक कोई सीरीज नहीं जीती है. इसलिए हम यहां सीरीज जीतने के लिए बहुत उत्साहित हैं.
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भारत फिर दक्षिण अफ्रीका का दौरा कर रहा है, जहां से शानदार विदेशी दौरों की शुरुआत हुई थी. कोहली की अगुवाई वाली टीम टेस्ट सीरीज जीतने के लिए जोहान्सबर्ग पहुंच चुकी है, जो पहले कभी नहीं हुआ है. न्यूजीलैंड के खिलाफ अपनी घरेलू सीरीज में मयंक अग्रवाल और रविचंद्रन अश्विन जैसे अनुभवी खिलाड़ियों से लेकर श्रेयस अय्यर और मोहम्मद सिराज जैसे युवाओं ने भारत के लिए दमदार प्रदर्शन किया था.
हालांकि, भारतीय टीम की बल्लेबाजी में कुछ खामियां हैं, विशेष रूप से चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे के बल्ले से रनों का न आया. साथ ही नवंबर 2019 के बाद से कोहली के एक भी शतक नहीं लगाया है.
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पुजारा ने 42 पारियों में एक भी शतक लगाने में असफल रहे हैं. वहीं, रहाणे मेलबर्न में बॉक्सिंग डे टेस्ट में शानदार 112 रन बनाने के बावजूद पिछले 16 टेस्ट में केवल 24.39 के औसत से रन बनाए हैं. चोट के कारण इस साल टेस्ट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले रोहित शर्मा टेस्ट सीरीज से बाहर है और बल्लेबाजी क्रम में पुजारा, रहाणे और कोहली को उनके अनुपस्थिति में ज्यादा जिम्मेदारी निभानी होगी.
साल 2018 सीरीज में भारत के बल्लेबाजों ने पहले दो मैचों में बल्लेबाजी से निराश किया था. क्योंकि दक्षिण अफ्रीका ने सीरीज में अजेय बढ़त बना ली थी. हालांकि, जोहान्सबर्ग में भारतीय टीम ने जीत के साथ अपने अभियान को समाप्त किया था.
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तेज गेंदबाजी के मामले में भारत के पास मोहम्मद सिराज और उमेश यादव के अलावा जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी मौजूद हैं. इसके अलावा इशांत शर्मा, जिन्होंने सितंबर में इंग्लैंड के खिलाफ ओवल टेस्ट के बाद से थोड़ी परेशानी में दिखे हैं. स्पिन विभाग की बात करें तो रवींद्र जडेजा और उनके जैसे अक्षर पटेल चोटों के कारण दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ नहीं खेल रहे हैं. अश्विन और जयंत यादव के स्पिन विकल्प के रूप में भारत इस बात पर विचार करेगा कि अपनी पांच-सदस्यीय गेंदबाजी रणनीति को कैसे जारी रखा जाए. दक्षिण अफ्रीका में बेहतर प्रदर्शन के लिए भारत को ऑफ-फील्ड विवादों से भी दूर रहना होगा.
कोहली की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने भारतीय क्रिकेट में खलबली मचा दी है, क्योंकि उन्होंने सीधे तौर पर बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली की टिप्पणियों का खंडन किया, जिसमें उन्होंने कहा था, टी-20 कप्तान के रूप में पद छोड़ने के लिए नहीं कहा गया और फिर वनडे कप्तान के रूप में हटाए जाने की कोई पूर्व सूचना का उल्लेख नहीं किया.
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साथ ही कोहली ने वनडे सीरीज के लिए अपनी अनुपलब्धता के बारे में कही जा रही बातों को भी खारिज कर दिया, जो टेस्ट के तुरंत बाद होनी है. दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट सीरीज जीतने की उत्सुकता काफी अच्छी है. लेकिन भारत को बाहरी विवादों से दूरी बनानी होगी. हो सकता है कि साल 2018 में जोहान्सबर्ग में शुरू हुआ सिलसिला 2021/22 में भी जारी रहे.