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India vs West Indies : हद से ज्यादा प्रयोगों से टी-20 सीरीज हारने की कगार पर टीम इंडिया

वेस्टइंडीज में भारतीय क्रिकेट टीम पहले दो मैच हार कर टी 20 मैचों की सीरीज हारने की कगार पर पहुंच गयी है. यह स्थिति हद से ज्यादा प्रयोग करने के कारण हो रही है....

India vs West Indies T20 Series West Indies May Win Series
भारत बनाम वेस्टइंडीज
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Published : Aug 7, 2023, 11:59 AM IST

नई दिल्ली : वेस्टइंडीज के दौरे पर गई भारतीय क्रिकेट टीम वैसे तो कागज पर काफी मजबूत कही जा रहा थी, तभी तो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड व टीम मैनेजमेंट ने वनडे और टी-20 सीरीज में भारत के कई वरिष्ठ खिलाड़ियों को नजरअंदाज करते युवा कंधों पर दोनों सीरीज को जीतने की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन युवाओं से भरी इस टीम में कई तरह के अनोखे प्रयोग और खिलाड़ियों को खेलने की अनिश्चितता को लेकर भारतीय क्रिकेट टीम ने न सिर्फ एक वनडे मैच हार गयी बल्कि टी20 मैचों की सीरीज हारने के कगार पर पहुंच गयी है.

कहा जा रहा है कि हद से अधिक प्रयोग के कारण भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों के ऊपर एक अनावश्यक रूप से मनोवैज्ञानिक दबाव बना हुआ है, क्योंकि युवा खिलाड़ियों से भरी इस टीम में बल्लेबाजी और गेंदबाजी के क्रम को लेकर टीम प्रबंधन और कप्तान के द्वारा कई तरह के अनोखे प्रयोग किए जा रहे हैं. टीम में यह भी कंफर्म नहीं है कि कौन बल्लेबाज किस क्रम पर बल्लेबाजी करेगा और उसका अगले मैच में बैटिंग ऑर्डर क्या होगा. यही हाल गेंदबाजी का है. यह तय ही नहीं हो पा रहा है कि भारत का मुख्य स्ट्राइक गेंदबाज कौन है और किसके भरोसे टीम गेंदबाजी में लीड करने जा रही है.

भले ही पिछले कुछ वर्षों में कई टीमों ने टी20 क्रिकेट में सफल होने के कई तरीके अपनाएं हैं, लेकिन आपकी गेंदबाजी व बल्लेबाजी को लेकर एक माइंडसेट क्लीयर होना चाहिए और वैकल्पिक स्थिति के रूप में इसे बदलने की कोशिश करनी चाहिए. पहला वनडे मैच जीतने व दूसरा वनडे मैच हारने के बाद भी टीम में सीनियर खिलाड़ी नहीं खेले और तीसरे वनडे में अच्छी बैटिंग के दम पर टीम ने सीरीज जीत ली, लेकिन वही खिलाड़ी टी-20 सीरीज में फेल होते जा रहे हैं. टीम प्रबंधन के बल्लेबाज व गेंदबाज जब जरूरत हो तब या तो रन नहीं बना पा रहे हैं या विकेट निकालने में असफल साबित हो रहे हैं.

Hardik Suryakumar and Ishan Kishan in T20 Matches
दूसरे मैच में विकेट लेने के बाद हार्दिक, सूर्या व ईशान किशन

तरौबा में खेले गए पहले टी20 मैच में जब भारत को 5 ओवर में 37 रन की जरूरत थी और उसके छह विकेट बाकी थे, तो भारत की जीत पूरी तरह से पक्की दिख रही थी, लेकिन अगली 3 गेंदों में उन्होंने हार्दिक पंड्या और संजू सैमसन के आउट हो जाने के बाद भारत की पारी लड़खड़ा गयी. आखिर में जब 27 गेंदों में 37 रनों की आवश्यकता थी तो कुलदीप यादव, अर्शदीप, चहल व मुकेश कुमार मिलकर जीत नहीं दिला सके. भारत के आखिरी चार पुछल्ले बल्लेबाजों ने घुटने टेक दिए और वेस्टइंडीज 4 रन से जीत गया.

वहीं रविवार को दूसरे टी-20 मैच में कुलदीप के घायल होने के कारण भारत ने रवि बिश्नोई को मौका दिया, लेकिन अबकी बार पहले बल्लेबाजी करने उतरे तो टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज दगा दे गए. फिर पुछल्ले बल्लेबाजों ने किसी तरह भारत को 150 के पार पहुंचाया, लेकिन रोमांचक मैच में आखिरी 3 ओवरों में भारतीय गेंदबाजी अपनी करामात नहीं दिखा सकी और 2 विकेट से मेजबान टीम फिर जीत गयी और 2-0 की लीड ले ली है. अब उसे सीरीज जीतने के लिए केवल एक मैच जीतना है, जबकि टीम इंडिया को सभी मैच जीतने होंगे.

ऐसी स्थिति में टीम की बल्लेबाजी पर और अधिक ध्यान देने की जरूरत है और टॉप ऑर्डर के पहले चार बल्लेबाजों में से कम से कम 2 बल्लेबाजों को 10 से 15 ओवरों तक टिके रहने की जिम्मेदारी लेनी होगी, तभी बाद के बल्लेबाज तेजी से रन बना पाएंगे. साथ ही बल्लेबाजों का क्रम भी फिक्स रखने की जरूरत है, जिससे वह खुद के लिए रोल चुन सके. यह बैटिंग ऑर्डर किसी विशेष परिस्थिति में ही बदलना चाहिए, नहीं पिछले साल हुए टी-20 विश्वकप के प्रयोगों की तरह सारे प्रयोग फेल न हो जाएं.

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नई दिल्ली : वेस्टइंडीज के दौरे पर गई भारतीय क्रिकेट टीम वैसे तो कागज पर काफी मजबूत कही जा रहा थी, तभी तो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड व टीम मैनेजमेंट ने वनडे और टी-20 सीरीज में भारत के कई वरिष्ठ खिलाड़ियों को नजरअंदाज करते युवा कंधों पर दोनों सीरीज को जीतने की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन युवाओं से भरी इस टीम में कई तरह के अनोखे प्रयोग और खिलाड़ियों को खेलने की अनिश्चितता को लेकर भारतीय क्रिकेट टीम ने न सिर्फ एक वनडे मैच हार गयी बल्कि टी20 मैचों की सीरीज हारने के कगार पर पहुंच गयी है.

कहा जा रहा है कि हद से अधिक प्रयोग के कारण भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों के ऊपर एक अनावश्यक रूप से मनोवैज्ञानिक दबाव बना हुआ है, क्योंकि युवा खिलाड़ियों से भरी इस टीम में बल्लेबाजी और गेंदबाजी के क्रम को लेकर टीम प्रबंधन और कप्तान के द्वारा कई तरह के अनोखे प्रयोग किए जा रहे हैं. टीम में यह भी कंफर्म नहीं है कि कौन बल्लेबाज किस क्रम पर बल्लेबाजी करेगा और उसका अगले मैच में बैटिंग ऑर्डर क्या होगा. यही हाल गेंदबाजी का है. यह तय ही नहीं हो पा रहा है कि भारत का मुख्य स्ट्राइक गेंदबाज कौन है और किसके भरोसे टीम गेंदबाजी में लीड करने जा रही है.

भले ही पिछले कुछ वर्षों में कई टीमों ने टी20 क्रिकेट में सफल होने के कई तरीके अपनाएं हैं, लेकिन आपकी गेंदबाजी व बल्लेबाजी को लेकर एक माइंडसेट क्लीयर होना चाहिए और वैकल्पिक स्थिति के रूप में इसे बदलने की कोशिश करनी चाहिए. पहला वनडे मैच जीतने व दूसरा वनडे मैच हारने के बाद भी टीम में सीनियर खिलाड़ी नहीं खेले और तीसरे वनडे में अच्छी बैटिंग के दम पर टीम ने सीरीज जीत ली, लेकिन वही खिलाड़ी टी-20 सीरीज में फेल होते जा रहे हैं. टीम प्रबंधन के बल्लेबाज व गेंदबाज जब जरूरत हो तब या तो रन नहीं बना पा रहे हैं या विकेट निकालने में असफल साबित हो रहे हैं.

Hardik Suryakumar and Ishan Kishan in T20 Matches
दूसरे मैच में विकेट लेने के बाद हार्दिक, सूर्या व ईशान किशन

तरौबा में खेले गए पहले टी20 मैच में जब भारत को 5 ओवर में 37 रन की जरूरत थी और उसके छह विकेट बाकी थे, तो भारत की जीत पूरी तरह से पक्की दिख रही थी, लेकिन अगली 3 गेंदों में उन्होंने हार्दिक पंड्या और संजू सैमसन के आउट हो जाने के बाद भारत की पारी लड़खड़ा गयी. आखिर में जब 27 गेंदों में 37 रनों की आवश्यकता थी तो कुलदीप यादव, अर्शदीप, चहल व मुकेश कुमार मिलकर जीत नहीं दिला सके. भारत के आखिरी चार पुछल्ले बल्लेबाजों ने घुटने टेक दिए और वेस्टइंडीज 4 रन से जीत गया.

वहीं रविवार को दूसरे टी-20 मैच में कुलदीप के घायल होने के कारण भारत ने रवि बिश्नोई को मौका दिया, लेकिन अबकी बार पहले बल्लेबाजी करने उतरे तो टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज दगा दे गए. फिर पुछल्ले बल्लेबाजों ने किसी तरह भारत को 150 के पार पहुंचाया, लेकिन रोमांचक मैच में आखिरी 3 ओवरों में भारतीय गेंदबाजी अपनी करामात नहीं दिखा सकी और 2 विकेट से मेजबान टीम फिर जीत गयी और 2-0 की लीड ले ली है. अब उसे सीरीज जीतने के लिए केवल एक मैच जीतना है, जबकि टीम इंडिया को सभी मैच जीतने होंगे.

ऐसी स्थिति में टीम की बल्लेबाजी पर और अधिक ध्यान देने की जरूरत है और टॉप ऑर्डर के पहले चार बल्लेबाजों में से कम से कम 2 बल्लेबाजों को 10 से 15 ओवरों तक टिके रहने की जिम्मेदारी लेनी होगी, तभी बाद के बल्लेबाज तेजी से रन बना पाएंगे. साथ ही बल्लेबाजों का क्रम भी फिक्स रखने की जरूरत है, जिससे वह खुद के लिए रोल चुन सके. यह बैटिंग ऑर्डर किसी विशेष परिस्थिति में ही बदलना चाहिए, नहीं पिछले साल हुए टी-20 विश्वकप के प्रयोगों की तरह सारे प्रयोग फेल न हो जाएं.

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