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टेस्ट में 'पिंक बॉल' की जरूरत क्यों? टीम इंडिया के रिकॉर्ड सहित यहां जानिए सब कुछ

जब-जब डे नाइट टेस्ट मैच होता है, पिंक बॉल चर्चा में आ जाती है. ऐसे में कई क्रिकेट फैंस के मन में ये सवाल आता है कि आखिर दिन-रात के टेस्ट मैच में पिंक बॉल का इस्तेमाल ही क्यों होता है? वहीं डे नाइट वनडे और टी-20 मैच सफेद बॉल से होते हैं. आइए आज हम इन्हीं सब सवालों का जवाब आपको बताते हैं.

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IND vs SL Day Night Test
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Published : Mar 10, 2022, 10:42 PM IST

हैदराबाद: भारतीय क्रिकेट टीम एक बार फिर श्रीलंका से मुकाबले की तैयारी कर रही है. भारत बनाम श्रीलंका के बीच सीरीज का दूसरा मैच 12 मार्च से बेंगलोर में खेला जाएगा. ये मैच इसलिए खास है, क्योंकि ये पिंक बॉल टेस्ट होगा, यानी दिन और रात में खेला जाने वाला टेस्ट मैच. भारतीय टीम लंबे समय बाद डे नाइट टेस्ट के लिए उतरने जा रही है. इसलिए भारतीय खिलाड़ी भी खास तैयारी में अभी से जुट गए हैं. सीरीज का पहला टेस्ट तीन ही दिन में खत्म हो गया था. इसलिए उन्हें तैयारी का कुछ और वक्त मिल गया है.

बताते चलें, पिंक बॉल टेस्ट का इतिहास बहुत लंबा है, लेकिन टीम इंडिया ने अभी तक तीन ही डे नाइट टेस्ट खेले हैं. ऐसे में खास बात ये भी है कि इसमें भारत की जीत का प्रतिशत अच्छा ही रहा है. भारत ने साल 2019 के नवंबर में अपना पहला पिंक बॉल टेस्ट खेला था. ये मैच भारत के ही ईडन गार्डेंस में खेला गया था और बांग्लादेश की टीम हमारे सामने थी.

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भारतीय टीम ने उस दरमियान शानदार प्रदर्शन करते हुए बांग्लादेश को चारो खाने चित्त किया था. इस मैच को भारत ने पारी और 46 रन से जीता था. ये वही मैच था, जिसमें भारतीय टीम के तब के कप्तान विराट कोहली ने शतक जड़ा था और भारत की ओर से पिंक बॉल टेस्ट में शतक लगाने वाले पहले खिलाड़ी भी बने थे. इसके बाद से अभी तक विराट कोहली कोई भी इंटरनेशनल शतक नहीं लगा पाए हैं. क्या विराट के बल्ले से फिर से शतक निकलेगा, फिलहाल ये तो मैच में ही पता चलेगा.

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डे नाइट टेस्ट

आखिर डे नाइट टेस्ट में पिंक बॉल ही क्यों?

  • क्रिकेट की शुरुआत लाल बॉल से हुई. लेकिन जब डे नाइट मैचों का आगमन हुआ, तो सफेद बॉल ने क्रिकेट के मैदान में दस्तक दे दी.
  • लाल बॉल दिन में अच्छी तरह से दिखती है तो सफेद बॉल रात में खिलाड़ियों को अच्छी तरह से दिखाई देती है.
  • लेकिन जब दिन रात के टेस्ट मैच की बात आई तो पिंक बॉल को तरजीह दी गई. ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि दोनों बॉल की ड्यूरेबिलिटी में अंतर होता है.
  • टेस्ट मैच में बॉल को एक पारी में करीब 80 ओवर तक रखना होता है. उसके बाद ही नई बॉल ले सकते हैं.
  • सफेद बॉल में उसका रंग जल्दी उड़ने लगता है. रंग उड़ने के बाद इसे देख पाने में खिलाड़ियों को दिक्कत होती है. टेस्ट मैच में 80 ओवर तक सफेद गेंद से खेल संभव नहीं हो सकता.
  • सफेद बॉल डे नाइट मैच के लिए बिल्कुल मुफीद होती है. लेकिन ये अपना रंग भी जल्दी छोडती है.
  • 30 ओवर के बाद कोटिंग उतरने लगती है. टी-20 और वनडे में तो कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन टेस्ट मैच में गेंद को 80 ओवर तक रखना होता है. ऐसे में टेस्ट मैच में सफेद बॉल से खेल संभव नहीं होता.
  • पिंक बॉल को बनाने में उसमें कलर का काफी ख्याल रखा जाता है. उसमें रंग की कई परत चढ़ाई जाती है. ऐसे में काफी देर तक उसका रंग नहीं उड़ता. उसकी विजिबिलिटी काफी अच्छी रहती है. इसी कारण टेस्ट मैच में पिंक बॉल का इस्तेमाल किया जाता है.
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    पिंक बॉल टेस्ट

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पिंक बॉल टेस्ट मैचों में भारत का रिकॉर्ड

  • भारत ने पहला पिंक बॉल टेस्ट नवंबर 2019 में बांग्लादेश के खिलाफ कोलकाता के प्रसिद्ध ईडन गार्डन्स मैदान पर खेला था. उन्होंने बांग्लादेशियों को हराया और आसानी से एक पारी में जीत हासिल की. विराट कोहली ने 136 रन बनाकर अपना 27वां टेस्ट शतक बनाया और इस बीच पिंक टेस्ट मैचों में शतक बनाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बन गए थे.
  • भारत का दूसरा गुलाबी गेंद का खेल दिसंबर 2020 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुआ था. यह भारत के लिए सबसे निराशाजनक खेलों में से एक था, जिसे उन्होंने प्रारूप में खेला था. क्योंकि भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलियाई टीम के हाथों आठ विकेट से हार का सामना करना पड़ा था.
  • फरवरी 2021 में भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ अपना तीसरा पिंक बॉल टेस्ट खेला था. अहमदाबाद के उस मैच को भारत ने बड़े अंतर से जीता था. 6/38 और 5/32 के आंकड़ों के साथ, अक्षर पटेल इंग्लैंड पर भारत की 10 विकेट की जीत के स्टार थे.

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लाल और पिंक बॉल बनाने की प्रक्रिया में अंतर

पिंक बॉल और लाल बॉल में सबसे बड़ा अंतर कलर कोटिंग को लेकर होता है. लाल बॉल के लेदर पर रंग का इस्तेमाल डाय के द्वारा किया जाता है. वहीं पिंक बॉल पर कई परत का इस्तेमाल होता है और इन कोटिंग्स को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए गुलाबी गेंद को लाख की अतिरिक्त परत के साथ समाप्त किया जाता है.

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भारत बनाम श्रीलंका टेस्ट

कोलकाता में जब भारत ने पहली बार डे नाइट टेस्ट मैच का आयोजन किया था, उस समय खिलाड़ियों ने कहा था कि पिच और हवा में पिंक बॉल उम्मीद से ज्यादा तेज आ रही थी. इतना ही नहीं फील्डर्स को ज्यादा सख्त और भारी भी लगी थी. लंबे समय तक चलने वाली चमक के कारण गेंद को स्विंग करने में भी मदद मिलती है. कभी-कभी तो उम्मीद से भी ज्यादा.

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क्या है पिंक बॉल टेस्ट का रिकॉर्ड

  • डे-नाइट टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया सबसे सफल टीम है. उन्होंने 10 टेस्ट खेले हैं और सभी जीते हैं.
  • पहली बार पिंक बॉल टेस्ट 27 नंवबर 2015 को ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच आयोजित किया गया था. ऑस्ट्रेलिया ने एडिलेड में विकेट से जीत दर्ज की.
  • ऑस्ट्रेलिया के जोश हेजलवुड डे-नाइट टेस्ट में विकेट लेने वाले पहले गेंदबाज हैं. उन्होंने न्यूजीलैंड के मार्टिन गप्टिल को आउट किया था.
  • पाकिस्तान के अजहर अली पिंक बॉल टेस्ट में 100 रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज हैं. उन्होंने दुबई में वेस्टइंडीज के खिलाफ 302 रन बनाए थे.
  • डे-नाइट टेस्ट में बल्लेबाज अब तक 23 शतक लगा चुके हैं.
  • ऑस्ट्रेलिया के मार्नस लाबुस्चगने ने पिंक बॉल टेस्ट में तीन बार 100 से अधिक रन बनाए हैं.
  • अजहर अली ने साल 2016 में दुबई में वेस्टइंडीज के खिलाफ 302 रन बनाए थे.
  • ऑस्ट्रेलिया के डेविड वार्नर ने साल 2019 में एडिलेड में पाकिस्तान के खिलाफ 335 रन बनाए थे. यह डे-नाइट टेस्ट में अब तक का सर्वोच्च स्कोर भी है.
  • अब तक 18 पिंक बॉल टेस्ट हुए हैं और उनमें से प्रत्येक ने एक रिकॉर्ड दिया है.
  • अभी तक कोई भी पिंक बॉल टेस्ट ड्रॉ नहीं हुआ है. ऑस्ट्रेलिया द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ 589/3 डे नाइट टेस्ट का सर्वोच्च स्कोर है.
  • पिंक बॉल टेस्ट में भारत द्वारा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 36/9 अब तक का सबसे खराब स्कोर रहा है.
  • डे नाइट टेस्ट में पाकिस्तान के खिलाफ वेस्टइंडीज के देवेंद्र बिशू का 8/49 एक गेंदबाज द्वारा सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी आंकड़ा है.
  • ऑस्ट्रेलिया के डेविड वॉर्नर (596) डे-नाइट टेस्ट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं. उन्होंने 6 टेस्ट में 59.60 की औसत से ये रन बनाए थे.
  • ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज मिचेल स्टार्क डे-नाइट टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं. उन्होंने केवल आठ टेस्ट मैचों में 18.86 की औसत से 46 विकेट लिए, जो पिंक बॉल टेस्ट में सर्वोच्च है.

अरविंद राव...

हैदराबाद: भारतीय क्रिकेट टीम एक बार फिर श्रीलंका से मुकाबले की तैयारी कर रही है. भारत बनाम श्रीलंका के बीच सीरीज का दूसरा मैच 12 मार्च से बेंगलोर में खेला जाएगा. ये मैच इसलिए खास है, क्योंकि ये पिंक बॉल टेस्ट होगा, यानी दिन और रात में खेला जाने वाला टेस्ट मैच. भारतीय टीम लंबे समय बाद डे नाइट टेस्ट के लिए उतरने जा रही है. इसलिए भारतीय खिलाड़ी भी खास तैयारी में अभी से जुट गए हैं. सीरीज का पहला टेस्ट तीन ही दिन में खत्म हो गया था. इसलिए उन्हें तैयारी का कुछ और वक्त मिल गया है.

बताते चलें, पिंक बॉल टेस्ट का इतिहास बहुत लंबा है, लेकिन टीम इंडिया ने अभी तक तीन ही डे नाइट टेस्ट खेले हैं. ऐसे में खास बात ये भी है कि इसमें भारत की जीत का प्रतिशत अच्छा ही रहा है. भारत ने साल 2019 के नवंबर में अपना पहला पिंक बॉल टेस्ट खेला था. ये मैच भारत के ही ईडन गार्डेंस में खेला गया था और बांग्लादेश की टीम हमारे सामने थी.

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भारतीय टीम ने उस दरमियान शानदार प्रदर्शन करते हुए बांग्लादेश को चारो खाने चित्त किया था. इस मैच को भारत ने पारी और 46 रन से जीता था. ये वही मैच था, जिसमें भारतीय टीम के तब के कप्तान विराट कोहली ने शतक जड़ा था और भारत की ओर से पिंक बॉल टेस्ट में शतक लगाने वाले पहले खिलाड़ी भी बने थे. इसके बाद से अभी तक विराट कोहली कोई भी इंटरनेशनल शतक नहीं लगा पाए हैं. क्या विराट के बल्ले से फिर से शतक निकलेगा, फिलहाल ये तो मैच में ही पता चलेगा.

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डे नाइट टेस्ट

आखिर डे नाइट टेस्ट में पिंक बॉल ही क्यों?

  • क्रिकेट की शुरुआत लाल बॉल से हुई. लेकिन जब डे नाइट मैचों का आगमन हुआ, तो सफेद बॉल ने क्रिकेट के मैदान में दस्तक दे दी.
  • लाल बॉल दिन में अच्छी तरह से दिखती है तो सफेद बॉल रात में खिलाड़ियों को अच्छी तरह से दिखाई देती है.
  • लेकिन जब दिन रात के टेस्ट मैच की बात आई तो पिंक बॉल को तरजीह दी गई. ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि दोनों बॉल की ड्यूरेबिलिटी में अंतर होता है.
  • टेस्ट मैच में बॉल को एक पारी में करीब 80 ओवर तक रखना होता है. उसके बाद ही नई बॉल ले सकते हैं.
  • सफेद बॉल में उसका रंग जल्दी उड़ने लगता है. रंग उड़ने के बाद इसे देख पाने में खिलाड़ियों को दिक्कत होती है. टेस्ट मैच में 80 ओवर तक सफेद गेंद से खेल संभव नहीं हो सकता.
  • सफेद बॉल डे नाइट मैच के लिए बिल्कुल मुफीद होती है. लेकिन ये अपना रंग भी जल्दी छोडती है.
  • 30 ओवर के बाद कोटिंग उतरने लगती है. टी-20 और वनडे में तो कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन टेस्ट मैच में गेंद को 80 ओवर तक रखना होता है. ऐसे में टेस्ट मैच में सफेद बॉल से खेल संभव नहीं होता.
  • पिंक बॉल को बनाने में उसमें कलर का काफी ख्याल रखा जाता है. उसमें रंग की कई परत चढ़ाई जाती है. ऐसे में काफी देर तक उसका रंग नहीं उड़ता. उसकी विजिबिलिटी काफी अच्छी रहती है. इसी कारण टेस्ट मैच में पिंक बॉल का इस्तेमाल किया जाता है.
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    पिंक बॉल टेस्ट

यह भी पढ़ें: महिला विश्व कप: 'भारत के शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों को बेहतर करने की जरूरत'

पिंक बॉल टेस्ट मैचों में भारत का रिकॉर्ड

  • भारत ने पहला पिंक बॉल टेस्ट नवंबर 2019 में बांग्लादेश के खिलाफ कोलकाता के प्रसिद्ध ईडन गार्डन्स मैदान पर खेला था. उन्होंने बांग्लादेशियों को हराया और आसानी से एक पारी में जीत हासिल की. विराट कोहली ने 136 रन बनाकर अपना 27वां टेस्ट शतक बनाया और इस बीच पिंक टेस्ट मैचों में शतक बनाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बन गए थे.
  • भारत का दूसरा गुलाबी गेंद का खेल दिसंबर 2020 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुआ था. यह भारत के लिए सबसे निराशाजनक खेलों में से एक था, जिसे उन्होंने प्रारूप में खेला था. क्योंकि भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलियाई टीम के हाथों आठ विकेट से हार का सामना करना पड़ा था.
  • फरवरी 2021 में भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ अपना तीसरा पिंक बॉल टेस्ट खेला था. अहमदाबाद के उस मैच को भारत ने बड़े अंतर से जीता था. 6/38 और 5/32 के आंकड़ों के साथ, अक्षर पटेल इंग्लैंड पर भारत की 10 विकेट की जीत के स्टार थे.

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लाल और पिंक बॉल बनाने की प्रक्रिया में अंतर

पिंक बॉल और लाल बॉल में सबसे बड़ा अंतर कलर कोटिंग को लेकर होता है. लाल बॉल के लेदर पर रंग का इस्तेमाल डाय के द्वारा किया जाता है. वहीं पिंक बॉल पर कई परत का इस्तेमाल होता है और इन कोटिंग्स को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए गुलाबी गेंद को लाख की अतिरिक्त परत के साथ समाप्त किया जाता है.

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भारत बनाम श्रीलंका टेस्ट

कोलकाता में जब भारत ने पहली बार डे नाइट टेस्ट मैच का आयोजन किया था, उस समय खिलाड़ियों ने कहा था कि पिच और हवा में पिंक बॉल उम्मीद से ज्यादा तेज आ रही थी. इतना ही नहीं फील्डर्स को ज्यादा सख्त और भारी भी लगी थी. लंबे समय तक चलने वाली चमक के कारण गेंद को स्विंग करने में भी मदद मिलती है. कभी-कभी तो उम्मीद से भी ज्यादा.

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क्या है पिंक बॉल टेस्ट का रिकॉर्ड

  • डे-नाइट टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया सबसे सफल टीम है. उन्होंने 10 टेस्ट खेले हैं और सभी जीते हैं.
  • पहली बार पिंक बॉल टेस्ट 27 नंवबर 2015 को ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच आयोजित किया गया था. ऑस्ट्रेलिया ने एडिलेड में विकेट से जीत दर्ज की.
  • ऑस्ट्रेलिया के जोश हेजलवुड डे-नाइट टेस्ट में विकेट लेने वाले पहले गेंदबाज हैं. उन्होंने न्यूजीलैंड के मार्टिन गप्टिल को आउट किया था.
  • पाकिस्तान के अजहर अली पिंक बॉल टेस्ट में 100 रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज हैं. उन्होंने दुबई में वेस्टइंडीज के खिलाफ 302 रन बनाए थे.
  • डे-नाइट टेस्ट में बल्लेबाज अब तक 23 शतक लगा चुके हैं.
  • ऑस्ट्रेलिया के मार्नस लाबुस्चगने ने पिंक बॉल टेस्ट में तीन बार 100 से अधिक रन बनाए हैं.
  • अजहर अली ने साल 2016 में दुबई में वेस्टइंडीज के खिलाफ 302 रन बनाए थे.
  • ऑस्ट्रेलिया के डेविड वार्नर ने साल 2019 में एडिलेड में पाकिस्तान के खिलाफ 335 रन बनाए थे. यह डे-नाइट टेस्ट में अब तक का सर्वोच्च स्कोर भी है.
  • अब तक 18 पिंक बॉल टेस्ट हुए हैं और उनमें से प्रत्येक ने एक रिकॉर्ड दिया है.
  • अभी तक कोई भी पिंक बॉल टेस्ट ड्रॉ नहीं हुआ है. ऑस्ट्रेलिया द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ 589/3 डे नाइट टेस्ट का सर्वोच्च स्कोर है.
  • पिंक बॉल टेस्ट में भारत द्वारा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 36/9 अब तक का सबसे खराब स्कोर रहा है.
  • डे नाइट टेस्ट में पाकिस्तान के खिलाफ वेस्टइंडीज के देवेंद्र बिशू का 8/49 एक गेंदबाज द्वारा सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी आंकड़ा है.
  • ऑस्ट्रेलिया के डेविड वॉर्नर (596) डे-नाइट टेस्ट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं. उन्होंने 6 टेस्ट में 59.60 की औसत से ये रन बनाए थे.
  • ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज मिचेल स्टार्क डे-नाइट टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं. उन्होंने केवल आठ टेस्ट मैचों में 18.86 की औसत से 46 विकेट लिए, जो पिंक बॉल टेस्ट में सर्वोच्च है.

अरविंद राव...

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