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विराट जैसी सफलता न मिलने पर बोले उन्मुक्त चंद, कहा- ऐसा नहीं था कि मुझे मौके नहीं मिले लेकिन.. - unmukt chand news

उनमुक्त चंद ने कहा है कि मुझे याद है कि जब मैं अच्छा कर रहा था उस समय सीनियर टीम में वीरू भैया, गौतम भैया, भारत के लिए ओपनिंग किया करते थे. फिर ऐसा समय आया कि सलामी बल्लेबाजों की कमी हो गई और तब मेरा फॉर्म बेकार चल रहा था. यह चीजें भी मायने रखती हैं.

उनमुक्त चंद
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Published : Jun 8, 2020, 9:04 AM IST

हैदराबाद : एक समय कहा जा रहा था कि उनमुक्त चंद वो क्रिकेटर हैं जो विराट कोहली के नक्शेकदम पर चलने की सलाहियत रखते हैं और जो भविष्य में भारत की सीनियर टीम का नियमित सदस्य बनेंगे. लेकिन 2012 में भारत को अंडर-19 विश्व कप दिलाने वाला ये कप्तान अपनी काबिलियत पर खरा नहीं उतर सका.

2012 में अंडर-19 का वर्ल्ड कप जीतने के बाद अधिकांश लोगों का ये मानना था कि उन्मुक्त चंद अब विराट कोहली और मोहम्मद कैफ की तरह क्रिकेट में बहुत दूर तक जाएंगे. घरेलू क्रिकेट में उनकी अच्छी शुरुआत हुई, लेकिन भारत के लिए डेब्यू का मौका नहीं मिल पाया. आठ साल बीत गए और उन्मुक्त के लिए अभी तक टीम इंडिया के दरवाजे नहीं खुले.

उनमुक्त चंद
उनमुक्त चंद

उन्मुक्त ने हाल ही में आकाश चोपड़ा से बातचीत में कहा, "जाहिर सी बात है कि किसी भी अंडर-19 खिलाड़ी के लिए विश्व कप काफी अहम है. ये काफी सालों की मेहनत होती है, जूनियर से लेकर अंडर-16 और फिर उससे आगे. किसी भी जूनियर खिलाड़ी के लिए वहां तक पहुंचना बहुत बड़ी बात है और निश्चित तौर पर विश्व कप जीतना भी बड़ी बात है."

उन्होंने आगे कहा, "चार साल पहले मैंने देखा था कि विराट भैया टीम की कप्तानी कर रहे हैं और विश्व कप जीत कर आए हैं. वो मेरी यादों में ताजा था इसलिए प्रभाव काफी ज्यादा पड़ा. मुझे पता है कि कहानी अलग हो सकती थी. ऐसा नहीं है कि आप हमेशा अपने आप भारत के लिए खेलोगे, लेकिन उस समय मेरे लिए अंडर-19 विश्व कप जीतना काफी अहम था."

उनमुक्त चंद
उनमुक्त चंद

उन्मुक्त ने कहा कि 2012 के बाद से वो लगातार रन बना रहे थे और उन्होंने इंडिया-ए की कप्तानी भी की थी, लेकिन सीनियर टीम से कभी उन्हें बुलावा नहीं आया. उन्होंने कहा, "ऐसा नहीं है कि जीतने के बाद मुझे मौका नहीं मिला. मैं इंडिया-ए के लिए खेला और मैं 2016 तक टीम की कप्तानी कर रहा था. रन भी बना रहा था. कुछ बार मुझसे कहा गया कि 'तैयार रहो, हम तुम्हें चुनेंगे.' लेकिन ठीक है. ये कहना कि अगर मैं खेला होता तो ये कर देता या वो कर देता, यह सही नहीं होगा. सबसे अहम है कि क्या हुआ और मैं उससे क्या सीख सका."

यह भी पढ़ें- विश्व कप जिताने वाले कप्तान ने किया खुलासा.. कहा- दिल्ली में हर खिलाड़ी अपने लिए खेलता है, टीम के लिए नहीं

उन्होंने कहा, "कई बार आपको समझना होता है कि भारतीय टीम संयोजन की बात है. मुझे याद है कि जब मैं अच्छा कर रहा था उस समय सीनियर टीम में वीरू भैया, गौतम भैया, भारत के लिए ओपनिंग किया करते थे. फिर ऐसा समय आया कि सलामी बल्लेबाजों की कमी हो गई और तब मेरा फॉर्म बेकार चल रहा था. यह चीजें भी मायने रखती हैं."

हैदराबाद : एक समय कहा जा रहा था कि उनमुक्त चंद वो क्रिकेटर हैं जो विराट कोहली के नक्शेकदम पर चलने की सलाहियत रखते हैं और जो भविष्य में भारत की सीनियर टीम का नियमित सदस्य बनेंगे. लेकिन 2012 में भारत को अंडर-19 विश्व कप दिलाने वाला ये कप्तान अपनी काबिलियत पर खरा नहीं उतर सका.

2012 में अंडर-19 का वर्ल्ड कप जीतने के बाद अधिकांश लोगों का ये मानना था कि उन्मुक्त चंद अब विराट कोहली और मोहम्मद कैफ की तरह क्रिकेट में बहुत दूर तक जाएंगे. घरेलू क्रिकेट में उनकी अच्छी शुरुआत हुई, लेकिन भारत के लिए डेब्यू का मौका नहीं मिल पाया. आठ साल बीत गए और उन्मुक्त के लिए अभी तक टीम इंडिया के दरवाजे नहीं खुले.

उनमुक्त चंद
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उन्मुक्त ने हाल ही में आकाश चोपड़ा से बातचीत में कहा, "जाहिर सी बात है कि किसी भी अंडर-19 खिलाड़ी के लिए विश्व कप काफी अहम है. ये काफी सालों की मेहनत होती है, जूनियर से लेकर अंडर-16 और फिर उससे आगे. किसी भी जूनियर खिलाड़ी के लिए वहां तक पहुंचना बहुत बड़ी बात है और निश्चित तौर पर विश्व कप जीतना भी बड़ी बात है."

उन्होंने आगे कहा, "चार साल पहले मैंने देखा था कि विराट भैया टीम की कप्तानी कर रहे हैं और विश्व कप जीत कर आए हैं. वो मेरी यादों में ताजा था इसलिए प्रभाव काफी ज्यादा पड़ा. मुझे पता है कि कहानी अलग हो सकती थी. ऐसा नहीं है कि आप हमेशा अपने आप भारत के लिए खेलोगे, लेकिन उस समय मेरे लिए अंडर-19 विश्व कप जीतना काफी अहम था."

उनमुक्त चंद
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उन्मुक्त ने कहा कि 2012 के बाद से वो लगातार रन बना रहे थे और उन्होंने इंडिया-ए की कप्तानी भी की थी, लेकिन सीनियर टीम से कभी उन्हें बुलावा नहीं आया. उन्होंने कहा, "ऐसा नहीं है कि जीतने के बाद मुझे मौका नहीं मिला. मैं इंडिया-ए के लिए खेला और मैं 2016 तक टीम की कप्तानी कर रहा था. रन भी बना रहा था. कुछ बार मुझसे कहा गया कि 'तैयार रहो, हम तुम्हें चुनेंगे.' लेकिन ठीक है. ये कहना कि अगर मैं खेला होता तो ये कर देता या वो कर देता, यह सही नहीं होगा. सबसे अहम है कि क्या हुआ और मैं उससे क्या सीख सका."

यह भी पढ़ें- विश्व कप जिताने वाले कप्तान ने किया खुलासा.. कहा- दिल्ली में हर खिलाड़ी अपने लिए खेलता है, टीम के लिए नहीं

उन्होंने कहा, "कई बार आपको समझना होता है कि भारतीय टीम संयोजन की बात है. मुझे याद है कि जब मैं अच्छा कर रहा था उस समय सीनियर टीम में वीरू भैया, गौतम भैया, भारत के लिए ओपनिंग किया करते थे. फिर ऐसा समय आया कि सलामी बल्लेबाजों की कमी हो गई और तब मेरा फॉर्म बेकार चल रहा था. यह चीजें भी मायने रखती हैं."

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