हैदराबाद: अभिनेता मुकेश खन्ना देश के हर मुद्दे पर बेबाकी से अपनी राय रखते हैं. हाल ही में उन्होंने कंगना रनौत को उनके 'भीख' वाले बयान के लिए काफी खरी खोटी सुनाई है. अभिनेता ने कंगना के बयान के लिए चापलूस कहा है और कहा कि ये उनकी अज्ञानता दर्शाता है, जो उन्होंने पुरस्कार मिलने के बाद देश की आजादी को लेकर ऐसा बयान दिया हैं.
दरअसल, अभिनेता ने अपने इंस्टाग्राम पर कंगना की फोटो के साथ एक नोट पोस्ट किया. पोस्ट में उन्होंने लिखा-कई लोग बार बार मुझसे कह रहे हैं कि आपने देश के इंडिपेंडेंस पर किए गए कटाक्ष पर कोई टिप्पणी नहीं दी। क्यों ??
तो मैं बता दे चुका हूं, पर शायद पढ़ा नहीं गया, तो सोचा पब्लिकल्ली ही कह दूं. मेरे हिसाब से ये स्टेट्मेंट बचकाना था. हास्यास्पद था, चापलूसी से प्रेरित था.अज्ञानता दर्शाता था या पद्म अवार्ड का साइड इफेक्ट था. मैं नहीं जानता, पर सब ये जानते हैंऔर मानते भी हैं कि हमारा देश आज़ाद 1947 की 15 अगस्त को ही हुआ था. इसको अलग जामा पहनाने की कोशिश करना भी किसी के लिए मूर्खता से कम नहीं होगा.
पर यहां मैं ये खुलासा भी करना चाहूंगा कि ये कहना या गाना की.. दे दी हमें आज़ादी बिना खड़ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल.. भी वास्तविकता से उतना ही दूर है जितना ऊपर वाला स्टेट्मेंट. हक़ीक़त ये है कि अंग्रेज़ी हुकूमत के मन में अगर किसी ने भागने का ख़ौफ़ पैदा किया तो वो था देश के असंख्य क्रांतिकारियों का बलिदान, सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिंद फ़ौज का डर और अपने ही सैनिकों की बग़ावत. SO STOP MAKING SUCH CONTROVERSIAL STATEMENT
वीर दास पर भी भड़के थे महाभारत के भीष्म पितामह
गौरतलब है कि बीते दिनों मुकेश खन्ना वीर दास के दो भारत वाले बयान पर भी गुस्सा जाहिर किया था. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि जितनी तालियां वीर दास को मिलीं, उतने ही कोड़े हमारे देशवासियों की तरफ से उसे मिलने चाहिए. मुकेश खन्ना ने आगे कहा, 'ये वीरदास क्या प्रूव करना चाहता है कि उसमें इतनी हिम्मत है कि पूरे देश के खिलाफ बोल सकता है और वह भी विदेशी धरती के हॉल में अपने देश का नाम बर्बाद और यहां की बुराई कर रहे हो?'
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कंगना रनौत ने दिया था विवादित बयान?
कंगना रनौत ने एक टीवी चैनल के इवेंट में कहा था कि हमें जो आजादी 1947 में मिली वो 'भीख' में मिली थी. भारत को असली आजादी साल 2014 में मिली है. कंगना का ये बयान तेजी से वायरल हुआ. इसे लेकर कंगना की खूब आलोचना हो रही है. लोगों ने इसे स्वतंत्रता सेनानियों का सरासर अपमान बताया.
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