जिनेवा: पिछले एक साल में दुनिया में 71 मिलियन से अधिक लोग अपने मूल स्थानों से विस्थापित हुए हैं. इनमें से ज्यादातर युद्धग्रस्त सीरिया से हैं. UNHCR या संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट 'ग्लोबल ट्रेंड्स' में कहा है कि पिछले एक साल में विस्थापित लोगों की संख्या 2017 में 68.5 मिलियन थी, जो कि बढ़कर 70 मिलियन हो गई है.
एजेंसी का कहना है कि यह संख्या अधिक भी हो सकती है.
लोग अपने स्थानों को छोड़ने का मुख्य कारण अपने ही देशों में अक्सर, बाढ़ एवं भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएं, युद्ध, आर्थिक कमजोरी, सरकारी उत्पीड़न, सामूहिक हत्याओं और यौन शोषण जैसी चीजों को बताते हैं.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के उच्चायुक्त फिलिपो ग्रान्डी कहते हैं, 'लोगों कई कारणों से एक स्थान से दूसरे स्थान में विस्थापित होते हैं. इनमें से कई ऐसे हैं जो बेहतर आर्थिक अवसरों के कारण अपने स्थान को छोड़ दूसरी जगह जाते हैं. वहीं कई लोग देश में होने वाली हिंसा के कारण ऐसा करते हैं.'
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शरणार्थियों के प्रति चिंता जाहिर करते हुए संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि अन्य देशों को इन शरणार्थियों को खतरे के रूप में नहीं लेना चाहिए. ऐसा इसलिये क्योंकि वे कई तरह की बाधाओं को पार करके दूसरे देश केवल सुरक्षित रहने के लिये जाते हैं. इसके अलावा उनका कोई अन्य उद्देश्य नहीं होता है.
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि विस्थापितों की स्थिति अंतरराष्ट्रीय समस्या बनती जा रही है जिसके समाधान के लिए वैश्विक स्तर पर ही काम किए जाने की जरूरत है. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी चाहती है कि दुनिया के देश विस्थापितों को सुरक्षा देने की दिशा में मिलकर काम करें.
साथ ही एजेंसी ने औद्योगीकृत देशों को चेतावनी दी है कि वे आश्रय चाहने वाले और विस्थापित हुए लोगों के प्रति अपनी बंधी हुई मानसिकता बदलें.